निवेशकों के लिए क्रिप्टोकरेंसी मार्केट की चाल बड़ी चिंता का कारण बन गई है. टॉप डिजिटल टोकनों की कीमतें औंधे मुंह गिरने लगी हैं. पिछले 48 घंटों में टॉप क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं और मार्केट कैपिटलाइजेशन के नए स्तर ने निवेशकों की चिंता को बढ़ा दिया है.
कुछ दिन पहले तक जहां एक डिजिटल टोकन टॉप ग्रोथ करने वाले क्रिप्टो में शुमार था, अब कई ऐसे टोकन फिसल कर कई पायदान नीचे चले गए हैं. CoinMarketCap के आंकड़ें बताते हैं कि Terra (LUNA), जो कुछ दिन पहले टॉप क्रिप्टोकरेंसी में शामिल था, अब रैंकिंग में गिरकर 59वें स्थान पर पहुंच गया है. पिछले 7 दिनों में इसने अपनी वैल्यू का 99 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है. केवल पिछले 24 घंटों में ही Terra की कीमत में 96 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है.
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन भी पिछले 7 दिनों में रिकॉर्ड स्तर तक नीचे गिर चुकी है और गिरावट का ये सिलसिला अभी थमता नहीं दिख रहा. गैजेट्स 360 क्रिप्टोकरेंसी प्राइस ट्रैकर पर बिटकॉइन हिस्ट्री कहती है कि पिछले 7 दिनों में बिटकॉइन की कीमत में 28 प्रतिशत की कमी आ चुकी है. TerraUSD (UST) पिछले 7 दिनों में 32 प्रतिशत नीचे आ चुका है. वहीं, बात पिछले 24 घंटों की करें तो UST डिजिटल करेंसी की कीमत में 18 प्रतिशत की कमी आ गई है.
इस बीच, Zerodh के को-फाउंडर नितिन कमात ने Coinbase Global से भारतीय निवेशकों को एक ट्वीट के जरिए सावधान किया है. कमात ने कहा कि कॉइनबेस की 2022 की पहली तिमाही में पिछले साल के मुकाबले रिवेन्यू इस बार 27 फीसदी कम रहा है और कंपनी को 43 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. ट्विटर पर पोस्ट के जरिए निवेशकों को सावधान करते हुए उन्होंने कहा कि कॉइनबेस अगर दिवालिया होती है तो निवेशकों के एसेट्स खतरे में पड़ सकते हैं. यह पोस्ट ऐसे समय में आई है जब क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में आई गिरावट के बड़ी लहर से निवेशक पहले ही जूझ रहे हैं.
Coinbase latest filing: Customer assets could be at risk in case of bankruptcy. Indian crypto investors on exchanges also need to be aware of this. Unlike the stock market where stocks are held in a demat with a depository & have no broker risk, crypto with exchanges carry a risk
— Nithin Kamath (@Nithin0dha) May 11, 2022
क्रिप्टोकरेंसी में इतनी बड़ी गिरावट का कारण क्या हो सकता है? एक्सपर्ट्स का कहना है कि विश्वभर में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने की कवायद चल रही है. कुछ देशों ने इसे लीगल टेंडर के रूप में भी घोषित किया है जिनमें अल सल्वाडोर का नाम सबसे पहले आता है. अल सल्वाडोर के इस कदम के बारे में पिछले दिनों अपडेट आया था कि देश में बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित करना फायदेमंद साबित होता नहीं दिख रहा है और लोग क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शंस को तवज्जो नहीं दे रहे हैं.
मार्केट के जानकार इस गिरावट का कारण देशों की सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के लिए नकारात्मक भावना को मान रहे हैं. ग्लोबल लेवल पर अधिकतर देशों की सरकारें क्रिप्टो को अर्थव्यवस्था और सेफ्टी के लिहाज से खतरा मान रही हैं. ऐसा ही रुख भारतीय सरकार की ओर से भी अपनाया जाता दिख रहा है. 2022 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान भारत में है. इसके बाद अब खबर है कि जीएसटी परिषद भी क्रिप्टोकरेंसी पर 28 प्रतिशत टैक्स लगा सकती है. यह उतना ही टैक्स है जितना कि कसीनो, सट्टेबाजी और लॉटरी पर लिया जाता है. इसी कारण निवेशकों को क्रिप्टो में पैसा लगाना अब फायदे का सौदा नहीं लग रहा और वे एसेट्स को बेच रहे हैं जिससे मार्केट में लगातार गिरावट देखी जा रही है.
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