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What is Right to Match: क्या होता है 'राइट टू मैच' कार्ड जिसे वापस लेकर आई BCCI? कैसे करेगा काम, क्या हुए हैं बदलाव, जानें सब कुछ

आईपीएल 2025 के लिए होने वाली खिलाड़ियों की नीलामी से पहले बीसीसीआई द्वारा रिटेंशन और नीलामी को लेकर नियम जारी कर दिए गए हैं. राइट टू मैच का नियम बीसीसीआई एक बार फिर वापस लाई है, लेकिन इस बार एक ट्विस्ट के साथ इसे वापस लाया गया है.

What is Right to Match: क्या होता है 'राइट टू मैच' कार्ड जिसे वापस लेकर आई BCCI? कैसे करेगा काम, क्या हुए हैं बदलाव, जानें सब कुछ
बीसीसीआई आईपीएल 2025 के लिए होने वाली खिलाड़ियों की नीलामी के लिए राइट टू मैच कार्ड वापस लाई है

Right to Match Option: इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 सीजन से पहले अपने सबसे बड़े बदलावों में से एक के लिए तैयार है. आईपीएल ने 2025 से 2027 चक्र के लिए कई नियमों में बदलाव किए हैं. इसके अलावा राइट-टू-मैच के विकल्प को वापस लाया गया है. लेकिन बीसीसीआई ने इसमें एक बदलाव जोड़ा है. आईपीएल की रिटेंशन पॉलिसी के अनुसार, सभी फ्रेंचाइजी या तो रिटेंशन से या फिर राइट-टू-मैच का इस्तेमाल करके, अपने मौजूदा रोस्टर से छह खिलाड़ियों को फिर से साइन कर सकती है. अगर कोई फ्रेंचाइजी तीन खिलाड़ियों को रिटेन करती है तो उसके पास तीन आरटीएम कार्ड होंगे.

क्या होता है राइट टू मैच

खिलाड़ियों की नीलामी को लेकर पहले भी राइट टू मैच का विकल्प लाया गया था. साल 2017 के मेगा ऑक्शन में इसका इस्तेमाल हुआ था, लेकिन 2022 के मेगा ऑक्शन के लिए इसे खत्म कर दिया गया था. लेकिन एक बार फिर बीसीसीआई इस ऑप्शन को वापस लाई है. राइट टू मैच का विकल्प फ्रेंचाइजी को अपने रोस्टर में शामिल किसी खिलाड़ी को अपनी टीम में बनाए रखने की अनमुती देता है, भले ही नीलामी में उसे किसी भी अन्य टीम ने खरीदा हो.

फ्रेंचाइजी और बोर्ड अधिकारियों के बीच हुई मीटिंग में कम से कम तीन फ्रेंचाइजी - कोलकाता नाइट राइडर्स, मुंबई इंडियंस और सनराइजर्स हैदराबाद ने कम से कम सात से आठ राइट टू मैच का विकल्प देने की बात कही थी. हालांकि, खिलाड़ी राइट टू मैच के विकल्प से खुश नहीं होते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें सही कीमत नहीं मिलती.

राइट टू मैच विकल्प में आया 'ट्विस्ट'

वहीं खिलाड़ियों को इस मांग को ध्यान में रखते हुए आईपीएल ने इसमें एक बदलाव किया है. राइट टू मैच के नए नियम के अनुसार, "सबसे अधिक बोली लगाने वाले को खिलाड़ी के लिए अपनी बोली बढ़ाने का एक अंतिम अवसर दिया जाएगा, इससे पहले कि आरटीएम कार्ड रखने वाली टीम अपने अधिकार का प्रयोग कर सके."

अगर इसे उदाहरण से समझें तो मान लेते हैं कि रोहित शर्मा को मुंबई इंडियंस रिटेन नहीं करती है और रोहित नीलामी में जाते हैं. ऐसे में मुंबई इंडियंस के पास रोहित शर्मा के लिए राइट टू मैच कार्ड होगा. अगर नीलामी में रोहित के लिए सबसे बड़ी बोली 10 करोड़ की होती है, जो कोलकाता नाइट राइडर्स लगाती है (उदाहरण के लिए), ऐसी स्थिति में मुंबई से पहले पूछा जाएगा कि क्या वे आरटीएम का प्रयोग करेंगे और अगर मुंबई इसके लिए राजी होती है तो ऐसे में कोलकाता के पास अपनी बोली बढ़ाने का एक और मौका होगा.

अगर कोलकाता इस बोली को बढ़ाकर 15 करोड़ करती तो, ऐसी स्थिति में मुंबई के पास आरटीएम का इस्तेमाल करके रोहित को अपनी टीम में करने का मौका होगा. लेकिन अगर कोलकाता 10 करोड़ से बोली आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लेती है तो मुंबई आरटीएम का इस्तेमाल करके 10 करोड़ में रोहित को अपनी टीम में रख सकती है.

इससे पहले, राइट टू मैच विकल्प, नीलामी के दौरान फ्रेंचाइजी को बोली समाप्त होने के बाद किसी अन्य फ्रेंचाइजी द्वारा खिलाड़ी के लिए लगाई गई उच्चतम बोली की बराबरी करके अपने खिलाड़ी को वापस खरीदने की क्षमता देता है.

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