दक्षिण अफ्रीका दौरा इसी महीने से शुरू होने जा रहा है. जो सोचा था, वह नहीं हुआ, जो हुआ, वह किसी ने नहीं सोचा था. किसी न सोचा नहीं था कि दौरे के लिए 18 सदस्यीय टीम घोषित की जाएगी, किसी ने नहीं सोचा था कि शुबमन गिल और अक्षर पटेल को मिलाकर चार अहम खिलाड़ी चोटिल हो जाएंगे. और सोचा तो यह भी किसी ने नहीं था कि विराट वनडे के कप्तान नहीं होंगे. उम्मीद सब यह भी कर रहे थे कि पुजारा और रहाणे के लिए मुश्किलें हो सकती हैं, लेकिन ये दोनों भी टीम में बरकरार हैं. हां यह जरूर है कि रहाणे के हाथ से उप-कप्तानी निकल गयी है.
ज्यादा दिन पहले की बात नहीं है, जब रहाणे की कप्तानी में ही भारत ने इंग्लैंड की धरती पर इतिहास रचा था. उनकी कप्तानी कौशल के उदाहरण दिए जा रहे थे. लेकिन क्रिकेट में हालात क्रिकेट के रंग की तरह बदलते हैं. दक्षिण अफ्रीकी दौरे में कुछ खिलाड़ियों को खराब प्रदर्शन के बावजूद जगह दी गयी, लेकिन सच यह है कि इनमें से किसी ने अंतिम ग्यारह में से जगह गंवा दी है, तो कोई जूझ रहा है. सच यह है कि अगर दक्षिण अफ्रीका दौरे में अगर इन्होंने स्पेशल नहीं किया, तो इनका यह विदेशी ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी आखिरी दौरा हो सकता है. बारी-बारी से इनका हालिया प्रदर्शन जान लीजिए.
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1. चेतेश्वर पुजारा
हालिया समय में यह बल्लेबाज उम्मीदों पर बिल्कुल खरा नहीं उतरा है. यह जरूर है कि एक-दो मौकों पर उन्होंने विकेट पर लंगर डालकर और छाती पर गेंदों की बौझार झेलकर भारत के लिए मैच बचाया, लेकिन ज्यादातर मौकों पर इन्होंने निराश ही किया. फिलहाल जिस स्टेज पर पुजारा खड़े हैं, वहां से 50-60 से भला होने नहीं जा रहा. अय्यर और बाकी युवा दबाव बना रहे हैं. इस साल 1 जनवरी से अभी तक पुजारा ने 13 टेस्ट में 29.82 के औसत से 686 रन बनाए हैं. एक भी शतक नहीं है. यह वह बात है, जिससे पुजारा भी सहमत नहीं होंगे. ऐसे में समर्थकों और सेलेक्टरों का तो सवाल ही नहीं उठता. अब मैनजेमेंट भी बदल चुका है
2. अजिंक्य रहाणे
मुंबई टेस्ट में अय्यर की जगह बनाने के लिए "चोटिल" रहाणे को इलेवन से बाहर किया गया, तो इसके बाद उनकी उप-कप्तानी भी चली गयी. रहाणे की हालत फिलहाल पुजारा से भी बदतर हो चली है. रहाणे ने एक जनवरी से खेले 12 टेस्ट मैचों में सिर्फ 19.57 के औसत से 411 रन बनाए. सवाल तो उन्हें लेकर ये उठ रहे हैं कि आखिर रहाणे को इतना लंबा रन क्यों दिया गया. क्या किसी और खिलाड़ी को इतने मैच दिए जाएंगे? रहाणे के लिए यह आखिरी मौका है. और वह भी तब, जब वह इलवेन का हिस्सा बन भी पाते हैं.
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3. ईशांत शर्मा
जब न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछले दिनों ईशांत को कानपुर में खिलाया गया, तो सभी ने सवाल खड़े किए कि सिराज को क्यों नहीं खिलाया गया. इस बात को सिराज ने अगले मैच में सही भी साबित किया. बहरहाल, 105 टेस्ट खेल चुके ईशांत का करियर अब लगभग खत्म है. उन्हें चुन लिया गया, यह उनके लिए एक तरह से बोनस की तरह है. इस साल खेले 8 टेस्ट में इशांत 168.2 ओवरों में 14 विकेट ही ले सके. मतलब हर पारी में 1 से भी कम विकेट. यह बात इशांत को शोभा नहीं देती.
विराट कोहली से किसने छीनी कप्तानी?.
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