मुंबई:
क्रिकेट जगत के सबसे सफल बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने गुरुवार को स्वीकार किया कि वह शतरंज के खेल में हमेशा असफल रहे। तेंदुलकर ने अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमारे घर में शतरंज बहुत खेला जाता था। मैंने अपने भाई के साथ बहुत अधिक शतरंज खेली है लेकिन मुझे ज्यादा सफलता नहीं मिली। मैंने हालांकि इस खेल का भरपूर मजा लिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे परिवार में शतरंज खेलने की शुरुआत मेरे अंकल ने की थी। उन्होंने शतरंज पर एक किताब भी लिखी है और वह शतरंज महासंघ का भी हिस्सा थे।’’ उन्होंने खुलासा किया कि उनके 13 वर्षीय पुत्र अजरुन ने पहले क्रिकेट पर शतरंज को तरजीह दी थी और उसकी कोचिंग भी ली थी।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘कुछ साल पहले मेरे बेटे ने भी शतरंज खेलना शुरू किया था। वह इस खेल को लेकर काफी गंभीर हो गया था और हमने शतरंज की कक्षाओं में भी उसका नाम लिखवा दिया था। यदि मेरा कोई दोस्त या मेहमान किसी काम से घर में आता तो अजरुन उन्हें शतरंज खेलने के लिये मजबूर कर देता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह एक समय शतरंज का दीवाना था लेकिन आप जानते हो कि बच्चों की पसंद और नापसंद बदलती रहती है। वह शतरंज से डब्ल्यूडब्ल्यूई और फिर फुटबाल और क्रिकेट की तरफ मुखातिब हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे परिवार में शतरंज खेलने की शुरुआत मेरे अंकल ने की थी। उन्होंने शतरंज पर एक किताब भी लिखी है और वह शतरंज महासंघ का भी हिस्सा थे।’’ उन्होंने खुलासा किया कि उनके 13 वर्षीय पुत्र अजरुन ने पहले क्रिकेट पर शतरंज को तरजीह दी थी और उसकी कोचिंग भी ली थी।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘कुछ साल पहले मेरे बेटे ने भी शतरंज खेलना शुरू किया था। वह इस खेल को लेकर काफी गंभीर हो गया था और हमने शतरंज की कक्षाओं में भी उसका नाम लिखवा दिया था। यदि मेरा कोई दोस्त या मेहमान किसी काम से घर में आता तो अजरुन उन्हें शतरंज खेलने के लिये मजबूर कर देता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह एक समय शतरंज का दीवाना था लेकिन आप जानते हो कि बच्चों की पसंद और नापसंद बदलती रहती है। वह शतरंज से डब्ल्यूडब्ल्यूई और फिर फुटबाल और क्रिकेट की तरफ मुखातिब हुआ।’’
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