जस्टिस आरएम लोढा (फाइल फोटो)
मुंबई:
बीसीसीआई के बाद अलग-अलग राज्यों के क्रिकेट एसोसिएशन भी लोढा कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला कर चुके हैं। शुरुआत की है मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने। एमसीए ने अपनी मैनेजिंग कमेटी की बैठक में लोढा कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर करने का फैसला किया है।
एसोसिएशन का कहना है कि वो रिपोर्ट को लागू करने में होने वाली मुश्किलों के साथ इसकी विसंगतियों के बारे में न्यायालय को बताएगा। बीसीसीआई के साथ राज्य क्रिकेट एसोसिएशन भी इस बात को समझते हैं कि अगर लोढा कमेटी की सिफारिशें लागू होती हैं तो पैसों से बीसीसीआई की तिजोरी ज्यादा दिनों तक भरी ना रह पाएगी। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने इस मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत तक जाने का फैसला कर लिया है सोमवार को एसोसिएशन की वर्किंग कमेटी में मुख्य रूप से तीन बातों पर माथापच्ची हुई।
लोढा कमेटी चाहती है सिर्फ लंच के वक्त विज्ञापन आएं हर ओवर के बाद नहीं। एसोसिएशन का मानना है अगर ऐसे हुआ तो उनकी मुख्य आय यानी टेलीविज़न प्रसारण लगभग ख़त्म हो जाएगा। लोढा कमेटी चाहती है कि हर राज्य से वोटिंग अधिकारी सिर्फ एक एसोसिएशन हो, एमसीए के अनुसार अगर ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र, गुजरात को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। लोढा कमेटी के अनुसार क्रिकेट के मैदान में दूसरे खेल भी आयोजित हों लेकिन एमसीए का मानना है कि इससे मैदान ख़राब होने और तय वक्त में मैच ना होने का डर है।
बैठक के बाद एमसीए अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, 'कई लोगों को लगता है कि माननीय लोढा पैनल ने जो सुझाव दिए हैं उसमें से कइयों को लागू करना बहुत मुश्किल होगा इसलिए हमने बैठक में फैसला किया कि अपनी चिंताओं को हम सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे।'
एमसीए मुख्यालय में महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अजय शिर्के भी बैठक में पहुंचे, सौराष्ट्र से निरंजन शाह ने भी एमसीए अधिकारियों के साथ मुलाकात की। लेकिन बोर्ड अध्यक्ष शशांक मनोहर के विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ने बैठक से खुद को दूर रखा। वैसे बीसीसीआई की ताकत बचाने के लिए अब सारे एसोसिएशन उसके साथ दिख रहे हैं, क्योंकि सवाल अब सम्मान से ज्यादा अस्तित्व का है।
एसोसिएशन का कहना है कि वो रिपोर्ट को लागू करने में होने वाली मुश्किलों के साथ इसकी विसंगतियों के बारे में न्यायालय को बताएगा। बीसीसीआई के साथ राज्य क्रिकेट एसोसिएशन भी इस बात को समझते हैं कि अगर लोढा कमेटी की सिफारिशें लागू होती हैं तो पैसों से बीसीसीआई की तिजोरी ज्यादा दिनों तक भरी ना रह पाएगी। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने इस मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत तक जाने का फैसला कर लिया है सोमवार को एसोसिएशन की वर्किंग कमेटी में मुख्य रूप से तीन बातों पर माथापच्ची हुई।
लोढा कमेटी चाहती है सिर्फ लंच के वक्त विज्ञापन आएं हर ओवर के बाद नहीं। एसोसिएशन का मानना है अगर ऐसे हुआ तो उनकी मुख्य आय यानी टेलीविज़न प्रसारण लगभग ख़त्म हो जाएगा। लोढा कमेटी चाहती है कि हर राज्य से वोटिंग अधिकारी सिर्फ एक एसोसिएशन हो, एमसीए के अनुसार अगर ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र, गुजरात को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। लोढा कमेटी के अनुसार क्रिकेट के मैदान में दूसरे खेल भी आयोजित हों लेकिन एमसीए का मानना है कि इससे मैदान ख़राब होने और तय वक्त में मैच ना होने का डर है।
बैठक के बाद एमसीए अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, 'कई लोगों को लगता है कि माननीय लोढा पैनल ने जो सुझाव दिए हैं उसमें से कइयों को लागू करना बहुत मुश्किल होगा इसलिए हमने बैठक में फैसला किया कि अपनी चिंताओं को हम सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे।'
एमसीए मुख्यालय में महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अजय शिर्के भी बैठक में पहुंचे, सौराष्ट्र से निरंजन शाह ने भी एमसीए अधिकारियों के साथ मुलाकात की। लेकिन बोर्ड अध्यक्ष शशांक मनोहर के विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ने बैठक से खुद को दूर रखा। वैसे बीसीसीआई की ताकत बचाने के लिए अब सारे एसोसिएशन उसके साथ दिख रहे हैं, क्योंकि सवाल अब सम्मान से ज्यादा अस्तित्व का है।
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