
विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर पक्के दोस्त रहे हैं (फाइल फोटो)
पुणे:
1983 में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के कैप्टन रहे महान ऑलराउंडर कपिल देव ने सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के बीच अनूठी तुलना करते हुए कहा है कि किसी खिलाड़ी के करियर को संवारने में अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि का बहुत महत्व होता है। उन्होंने यह कहा कि अच्छा सपोर्ट सिस्टम अच्छी प्रतिभा को स्टार बनाने में मदद करता है।
कपिल देव ने पुणे में सफल खिलाड़ियों के माता-पिता के सम्मान के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। उन्होंने संन्यास ले चुके महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और उनके स्कूल के साथी और क्रिकेटर विनोद कांबली का उदाहरण दिया।
आसपास के माहौल ने पैदा किया अंतर
कपिल ने कहा, ‘‘उन दोनों ने एक साथ शुरुआत की और दोनों में समान प्रतिभा थी। कांबली संभवत: अधिक प्रतिभावान था, लेकिन उनका सपोर्ट सिस्टम, घर का माहौल और उनके मित्र संभवत: सचिन से बिलकुल अलग थे।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम सभी को पता है कि बाद में क्या हुआ। सचिन 24 साल तक देश के लिए खेले और कांबली गायब हो गए, क्योंकि वह अपने करियर की शुरुआत में मिली सफलता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए।’’
कपिल ने कहा, ‘‘प्रतिभा एक चीज है, लेकिन खिलाड़ी को इससे अधिक की जरूरत होती है। मित्रों, माता-पिता, भाई-बहन, स्कूल का समर्थन जरूरी होता है।’’
दो साल में ही खत्म हो गया टेस्ट करियर
गौरतलब है कि बाएं हाथ के क्लासिक बल्लेबाज कांबली ने 1993 में अपने क्रिकेट करियर की धमाकेदार शुरुआत की थी। उन्होंने अपने पहले 7 टेस्ट मैचों में ही दो डबल सेंचुरी और दो सेंचुरी ठोक दी थीं, लेकिन दो साल के पीरियड में 17 टेस्ट खेलने के बाद उनका टेस्ट करियर खत्म हो गया था। उन्होंने 1084 टेस्ट रन बनाए। उनका औसत देखिए जो 54.20 रहा। वनडे में उन्होंने 104 मैचों में 2477 रन ठोके।
मुंबई इंडियन्स और केकेआर के आईपीएल मैच के दौरान कांबली बेटे जीसस क्रिस्टियानो के साथ (फोटो : BCCI)
सचिन रहे संयमित, कांबली रहे स्वच्छंद
सचिन ने क्रिकेट करियर में क्या किया इसे बताने की जरूरत नहीं है। सचिन और कांबली जिगरी दोस्त थे और वे स्कूल क्रिकेट के दौरान 664 रन की वर्ल्ड रिकॉर्ड साझेदारी के लिए जाने जाते हैं। दोनों में बस एक ही अंतर रहा और वह है लाइफस्टाइल का। कांबली ने जहां उन्मुक्त और स्वच्छंद अंदाज अपनाया, वहीं सचिन ने संयमित।
अब 44 साल के हो चुके कांबली भी संभवतः इस बात से सहमत होंगे कि उनकी लाइफस्टाइल ने ही उनके शानदार करियर पर विराम लगा दिया। इन दिनों वह आईपीएल मैचों में बेटे के साथ दिख रहे हैं और उन्होंने यह भी कहा है कि सचिन को टीम इंडिया का कोच बना देना चाहिए।
कपिल देव ने पुणे में सफल खिलाड़ियों के माता-पिता के सम्मान के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। उन्होंने संन्यास ले चुके महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और उनके स्कूल के साथी और क्रिकेटर विनोद कांबली का उदाहरण दिया।
आसपास के माहौल ने पैदा किया अंतर
कपिल ने कहा, ‘‘उन दोनों ने एक साथ शुरुआत की और दोनों में समान प्रतिभा थी। कांबली संभवत: अधिक प्रतिभावान था, लेकिन उनका सपोर्ट सिस्टम, घर का माहौल और उनके मित्र संभवत: सचिन से बिलकुल अलग थे।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम सभी को पता है कि बाद में क्या हुआ। सचिन 24 साल तक देश के लिए खेले और कांबली गायब हो गए, क्योंकि वह अपने करियर की शुरुआत में मिली सफलता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए।’’
कपिल ने कहा, ‘‘प्रतिभा एक चीज है, लेकिन खिलाड़ी को इससे अधिक की जरूरत होती है। मित्रों, माता-पिता, भाई-बहन, स्कूल का समर्थन जरूरी होता है।’’
दो साल में ही खत्म हो गया टेस्ट करियर
गौरतलब है कि बाएं हाथ के क्लासिक बल्लेबाज कांबली ने 1993 में अपने क्रिकेट करियर की धमाकेदार शुरुआत की थी। उन्होंने अपने पहले 7 टेस्ट मैचों में ही दो डबल सेंचुरी और दो सेंचुरी ठोक दी थीं, लेकिन दो साल के पीरियड में 17 टेस्ट खेलने के बाद उनका टेस्ट करियर खत्म हो गया था। उन्होंने 1084 टेस्ट रन बनाए। उनका औसत देखिए जो 54.20 रहा। वनडे में उन्होंने 104 मैचों में 2477 रन ठोके।

सचिन रहे संयमित, कांबली रहे स्वच्छंद
सचिन ने क्रिकेट करियर में क्या किया इसे बताने की जरूरत नहीं है। सचिन और कांबली जिगरी दोस्त थे और वे स्कूल क्रिकेट के दौरान 664 रन की वर्ल्ड रिकॉर्ड साझेदारी के लिए जाने जाते हैं। दोनों में बस एक ही अंतर रहा और वह है लाइफस्टाइल का। कांबली ने जहां उन्मुक्त और स्वच्छंद अंदाज अपनाया, वहीं सचिन ने संयमित।
अब 44 साल के हो चुके कांबली भी संभवतः इस बात से सहमत होंगे कि उनकी लाइफस्टाइल ने ही उनके शानदार करियर पर विराम लगा दिया। इन दिनों वह आईपीएल मैचों में बेटे के साथ दिख रहे हैं और उन्होंने यह भी कहा है कि सचिन को टीम इंडिया का कोच बना देना चाहिए।
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