- ईशान किशन ने झारखंड की कप्तानी में सैयद मुस्ताक अली ट्रॉफी जीताकर टीम इंडिया में स्थान बनाया है.
- ईशान किशन बिहार के नवादा जिले में जन्मे और पढ़ाई के लिए पटना स्थानांतरित हुए थे.
- उनकी दादी डॉ. सावित्री शर्मा ने बताया कि ईशान बचपन से क्रिकेट में रुचि रखते थे और पढ़ाई में मन नहीं लगता था.
Ishan Kishan Family: अपनी कप्तानी में झारखंड को सैयद मुस्ताक अली ट्रॉफी जिताने वाले ईशान किशन को आखिरकार टीम इंडिया में शामिल कर लिया गया है. अच्छे प्रदर्शन के बाद भी ईशान की टीम में जगह नहीं बन पा रही थी. जिससे उनके फैंस परेशान थे. ईशान का परिवार और खुद ईशान भी तनाव में थे. लेकिन ईशान ने लगाार प्रदर्शन करते हुए अपना जगह पक्का किया. ईशान किशन टी-20 वर्ल्ड कप के लिए चुने गए टीम इंडिया में बिहार से इकलौते खिलाड़ी है. उनका पूरा परिवार बिहार में रहता है. हालांकि वो क्रिकेट झारखंड के लिए खेलते हैं. ईशान के सलेक्शन से उनके परिवार में खुशियों का माहौल है. इस बीच ईशान की दादी डॉ. सावित्री शर्मा ने उनके बचपन के हरकतों के बारे में एनडीटीवी को बताया है. उन्होंने यह भी बताया कि ईशान के लिए उसके बड़े भाई ने क्रिकेट छोड़ दिया.
Ishan Kishan की यात्रा
- टेस्ट टीम से ड्रॉप
- ODI से ड्रॉप
- T-20 टीम से ड्रॉप
- नेशनल कांट्रैक्ट से बाहर
- अनुशासनहीनता के आरोप
- डॉमेस्टिक खेला
- SMAT में 200 के Sr से सर्वाधिक रन
- कप्तान बनकर झारखंड को पहली बार SMAT जिताया
- अब टीम इंडिया में हुई वापसी
पढ़ाई में नहीं लगता था ईशान का मनः दादी
ईशान की दादी डॉ. सावित्री शर्मा ने कहा- "वह बचपन से नटखट था, प्यारा था, लेकिन पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता था. बचपन से क्रिकेट देखने और खेलने का आदी था. उसे पढ़ाई के लिए जब कमरे में बंद किया जाता था तब वह कॉपी पर ग्राउंड और बैट-बॉल की तस्वीर बनाकर क्रिकेट का इंज्वाय करता था."

अपने परिजनों के साथ ईशान किशन.
नवादा में हुआ जन्म, पढ़ाई के लिए पटना शिफ्ट हुए ईशान
ईशान की दादी डॉ. सावित्री शर्मा नवादा जिले की सिविल सर्जन रही हैं. एक्सक्लूसिव बातचीत में नवादा की प्रसिद्ध महिला चिकित्सक डॉ. सावित्री शर्मा ने ईशान की बचपन से लेकर अबतक की कहानी साझा की हैं. उन्होंने कहा कि ईशान का जन्म नवादा स्थित उनके क्लीनिक सावित्री सेवा सदन में हुआ था. ईशान का बचपन नवादा में बीता. पढ़ाई की उम्र में उसे पटना शिफ्ट किया गया. फिर भी नवादा से नियमित नाता रहा.
मां को चिंता थी, लेकिन दादी को था भरोसा
डॉ. सावित्री कहती हैं कि ईशान के बचपन को लेकर हर मां की तरह उनकी मां सुचित्रा सिन्हा को भी चिंता रहती थी. ईशान के भविष्य को लेकर बहुत पूजा-पाठ करती थीं. पर उन्हें भरोसा था कि ईशान अच्छा करेगा. मम्मी कभी कभार डांट दिया करती थी, लेकिन वह आज तक नहीं डांटी. क्रिकेट के कारण ईशान को पटना DPS से निकाल दिया गया था. तब अश्विनी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई किया.
दोनों भाई क्रिकेटर, लेकिन ईशान के लिए बड़े भाई ने छोड़ा क्रिकेट
ईशान और उसके बड़े भाई राज किशन अच्छे खिलाड़ी थे. लेकिन राज पढ़ाई में भी तेज था. लिहाजा, उसे पढ़ाई के लिए कहा गया. जबकि ईशान को पढ़ाई में रूचि कम थी. इसलिए खेल में अवसर उपलब्ध कराया गया. अब राज किशन चिकित्सक हैं. जबकि ईशान क्रिकेटर. डॉ. सावित्री शर्मा कहती हैं कि राज ने अपने छोटे भाई के लिए वह पढ़ाई का रास्ता अख्तियार किया.

मां के साथ ईशान किशन.
अब भी जब मिलता है, बच्चे की तरह गले में लटक जाता है ईशानः दादी
सावित्री शर्मा बताती हैं कि ईशान चाहें जितना बड़ा खिलाड़ी बन गया हो लेकिन आज भी जब मिलता है तब बच्चा जैसा गले में लटक जाता है. वह सबका प्रिय है. वह शाकाहारी है. मां की हाथ का खाना उसे बहुत पसंद है. आज भी पापा की मर्जी के बगैर कोई समान नहीं खरीदता है. बड़े भाई और भाभी का काफी सम्मान करता है. इसलिए वह सभी का प्रिय है.
कोच का सुझाव रहा टर्निंग प्वाइंट
एक कोच का सुझाव ईशान के जीवन का र्टनिंग प्वाइंट रहा है. मोईनुल हक स्टेडियम में ईशान के प्रैक्टिस के दौरान कोच ने उनके पिता प्रणव पांडेय को सुझाव दिया कि यह अच्छा कर सकता है. लेकिन बिहार में अभी अवसर नहीं है. इसलिए झारखंड से प्रयास करना चाहिए. इसके बाद ईशान के पिता उसके कैरियर को संवारने के लिए झारखंड में अवसर उपलब्ध करवाया.
पिता बोले- मेहनत को मिला सम्मान
ईशान के पिता प्रणव कुमार पांडे ने कहा कि यह परिवार के लिए बेहद गर्व का क्षण है. उन्होंने बताया कि पहले फोन पर मिल रही बधाइयों पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब टीवी पर चयन की खबर देखी तब यकीन हुआ. उन्होंने कहा, जब बेटा लगातार अच्छा प्रदर्शन करता था और फिर भी चयन नहीं होता था, तो मन दुखी हो जाता था. लेकिन मेहनत कभी बेकार नहीं जाती. आज ईशान को उसका वाजिब सम्मान मिल गया है.

ईशान से मिलने पटना जा रहीं दादी
ईशान की दादी डॉ. सावित्री शर्मा ने भावुक होते हुए बताया कि इस पल का उन्हें लंबे समय से इंतजार था. उन्होंने कहा कि बीसीसीआई द्वारा नजरअंदाज किए जाने के बाद उन्होंने क्रिकेट देखना तक छोड़ दिया था. लेकिन घरेलू क्रिकेट में ईशान के निरंतर प्रदर्शन ने उन्हें भरोसा दिया कि एक दिन न्याय जरूर मिलेगा. उन्होंने बताया कि ईशान रांची से पटना पहुंच चुका है. मैं खुद उससे मिलने पटना पहुंच चुकी हूं.
(नवादा से अशोक प्रियदर्शी की रिपोर्ट)
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