दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाल ही में टेस्ट सीरीज में 2-0 के सफाए के बाद भारतीय क्रिकेट गलियारे में भूचाल आया हुआ है. पूर्व क्रिकेटरों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है, तो करोड़ों फैंस का दिल रो रहा है, तो हे कोच गौतम गंभीर और खिलाड़ी निशाने पर हैं. लेकिन अब सवाल चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर को लेकर भी उठने लगे हैं. बात एकदम सही है कि पिछले कुछ समय में चयन को लेकर कई विवाद हुए हैं और खिलाड़ियों के चयन होने या न होने पर खूब हो हल्ला मचा. और पिछला कुछ इतिहास अगरकर को घेरने के लिए काफी है.
हाशिए पर गए ये सितारा खिलाड़ी
कुछ सितारे एकदम हाशिए पर चले गए, तो कुछ के साथ बहुत ही अटपटा बर्ताव हुआ. प्रमुख सितारा खिलाड़ियों में हार्दिक पांड्या, श्रेयस अय्यर, ईशान किशन, अभिमन्यु ईश्वरन, रिंकू सिंह, संजू सैसमन, ऋतुराज गायकवाड़ और अब मोहम्मद शमी शामिल हैं
हर सितारे की अपनी एक अलग कहानी
शुरुआत हार्दिक पांड्या से करते हैं, जो एक समय रोहित के संन्यास लेने के बाद व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में कप्तान बनने के सबसे प्रबल दावेदार थे. सबकुछ तय दिख रहा था और आधिकारिक चैनल ने तो पांड्या को लेकर विज्ञापन भी रिलीज कर दिया, लेकिन किसी को आज तक नहीं समझ आया कि क्यों एकदम से ही रेस में सूर्यकुमार यादव आगे आ गए और पांड्या नैपथ्य में जाकर पूरी तरह से खामोश हो गए. और इस बात हालिया उदाहरण मोहम्मद शमी का है, जो एक तरफ कह रहे हैं कि वह पूरी तरह फिट है. वह रणजी ट्रॉफी में विकेट ले रहे हैं, लेकिन अगरकर का कुछ और ही कहना है. और बात दोनों के मीडिया में वार-पलटवार तक पहुंच गई.
सरफराज खान को लेकर बहुत ज्यादा रोष
पिछले दिनों इंग्लैंड ए के खिलाफ घोषित भारत ए टीम में सरफराज खान को नजरअंदाज किया गया, तो मानो बवाल मच गया. गूंज आम फैंस से लेकर राजनीतिक गलियारे तक पहुंच गई, लेकिन इस बल्लेबाज को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया. और सरफराज का चयन अगरकर के कार्यकाल में बड़े विवादों में से एक बनकर रह गया.
संजू सैमसन होते रहे अंदर बाहर और..
केरल के विकेटकीपर बल्लेबाज हालिया पिछले कुछ समय में टीम से अंदर-बाहर होते रहे, तो कभी उन्हें बैटिंग ऑर्डर में ऊपर-नीचे किया गया. और अब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सैमसन की जगह ध्रुव जुरेल ने ली है, तो वहीं ऋतुराज गायकवाड़ को लेकर भी कुछ समझ नहीं आ रह कि वह सब कुछ करने के बाद अकेले क्यों पड़ गए, तो बीसीसीआई से सजा पाए ईशान किशन को भी नहीं पता कि उनका आगे किस फॉर्मेट में क्या भविष्य है.
सवाल इन खिलाड़ियों को लेकर भी है
अभिमन्यु ईश्ववरन मानो एक बड़ा उदाहरण बन गए हैं कि घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बनाने के बावजूद उन्हें पर्याप्त मौके क्यों नहीं मिले. ईश्वरन इकलौते नहीं हैं. कुछ महीने पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे में अश्विन के विकल्प के रूप में चुने गए ऑफ स्पिनर तनुष कोटियां आए और गए, तो पिछले सीजन के रणजी इतिहास में एक सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने पर हर्ष दुबे का भी यह हक तो बनता ही है कि उन्हें यहां से और क्या करना पड़ेगा?
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