- आर्मी चीफ ने चाणक्य डिफेंस डायलॉग में सेना की भावी रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण पर बात की.
- सेना ने 2032 तक तीव्र बदलाव, 2037 तक स्थिरीकरण और 2047 तक पूर्णत एकीकृत सेना निर्माण की योजना बनाई है.
- चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2023 में स्थापित हुआ था और यह अब वैश्विक रणनीतिक विमर्श का एक प्रमुख मंच बन चुका है.
नई दिल्ली में आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलॉग में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारतीय सेना की भावी रणनीति, सैन्य परिवर्तनों और राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण का व्यापक खाका पेश किया. सेना प्रमुख ने कहा कि विश्व अत्यधिक अस्थिर, बहुध्रुवीय और संघर्षग्रस्त होता जा रहा है. उन्होंने बताया कि फिलहाल दुनिया के 50 से अधिक क्षेत्रों में संघर्ष जारी हैं, इससे वैश्विक असुरक्षा लगातार बढ़ रही है. ऐसे में यह मूल प्रश्न उठता है कि तेजी से बदलती इन वैश्विक परिस्थितियों में भारतीय सेना को किस दिशा में रूपांतरित होना चाहिए.
ये भी पढ़ें- रावलपिंडी के जिस जेल में बंद हैं इमरान खान, वहां दफन हैं 142 साल के गहरे राज, इनसाइड स्टोरी
‘रिफार्म टू ट्रांसफॉर्म- सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत'
सेनाध्यक्ष ने यहां प्रधानमंत्री के 5-एस दृष्टिकोण का उल्लेख भी किया. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के 5-एस दृष्टिकोण यानी सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा के आधार पर भारत अमृतकाल से विजन 2047 की ओर बढ़ रहा है. इसी विजन से इस वर्ष का विषय रखा गया है जिसका शीर्षक ‘रिफार्म टू ट्रांसफॉर्म- सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत' है.
सेना की तीन-चरणीय योजना तैयार
सेना प्रमुख ने बताया कि सेना ने आने वाले वर्षों के लिए तीन-चरणीय योजना तैयार की है. चरण-1 के अंतर्गत वर्ष 2032 तक परिवर्तन के दशक के अंतर्गत तीव्र बदलाव की रूपरेखा तय है. चरण-2 में 2037 तक पहले चरण में हासिल उपलब्धियों का विस्तार एवं स्थिरीकरण निश्चित किया गया है. चरण-3 में जंप यानी भविष्य के लिए 2047 तक पूर्णत एकीकृत, बहु-क्षेत्रीय, आधुनिक और तैयार सेना का निर्माण तय किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 को रक्षा मंत्रालय ने सुधार वर्ष घोषित किया है, जिसका प्रभाव ओपरेशन ‘सिंदूर' जैसी उपलब्धियों में दिखा है. भारतीय सेना के परिवर्तन के चार प्रमुख आधार बताए गए.
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चार प्रमुख स्प्रिंगबोर्ड या प्रेरक आधार बताए, इनमें आत्मनिर्भरता यानी स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण शामिल है. वहीं रक्षा निर्माण, अंतरिक्ष तकनीक और आधुनिक सैन्य प्रणालियों में भारत तेजी से आगे बढ़ा है. हालांकि अभी भी व्यापक क्षमता के निर्माण की जरूरत है, ताकि भारत स्वयं की जरूरतें स्वयं पूरी कर सके. वहीं अनुसंधान यानी त्वरित नवोन्मेष को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
अनुकूलन और रक्षा ढांचे में सुधार की जरूरत
सेना प्रमुख ने बताया कि आइडेक्स और ‘अदिति' जैसे कार्यक्रम विचार से प्रोटोटाइप तक तेजी ला रहे हैं. अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर, क्वांटम, अंतरिक्ष और अत्याधुनिक सामग्री के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है. तीसरा अनुकूलन और रक्षा ढांचे में सुधार है. राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता लक्ष्यों के अनुरूप सैन्य ढांचे को तेजी से पुनर्गठित किया जा रहा है.
इस संवाद से सेना को ठोस सुझाव मिलने की अपेक्षा है. चौथा आधार एकीकरण को बताया गया, इसमें सैन्य नागरिक समन्वय शामिल है. युद्धक क्षमता का विकास बहु-एजेंसी और बहु-क्षेत्रीय प्रयास भी इसका हिस्सा ह. आर्मी चीफ ने बताया कि सेना अपने परीक्षण क्षेत्र खोल रही है, स्टार्ट-अप को सहयोग दे रही है और राष्ट्रीय तकनीकी मिशनों से जुड़ रही है. साथ ही वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ वैश्विक सहयोग को भी आगे बढ़ाया जा रहा है.
भारतीय सेना के परिवर्तन को मिलेगी नई दिशा
सेना प्रमुख ने संबोधन के अंत में कहा कि चाणक्य डिफेंस डायलॉग में उपस्थित सैन्य विशेषज्ञ, विद्वान और नीति निर्माता भारतीय सेना के परिवर्तन को नई दिशा देंगे. इससे पहले सत्र की शुरुआत में सेना प्रमुख ने राष्ट्रपति, राजनयिक समुदाय, सेनाध्यक्षों, विशेषज्ञों, मीडिया प्रतिनिधियों और उपस्थित विद्यार्थियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि चाणक्य डिफेंस डायलॉग की स्थापना वर्ष 2023 में हुई थी, तब तत्कालीन सेना प्रमुख ने भारतीय सेना के लिए ‘परिवर्तन का दशक' घोषित किया था. इसके बाद यह मंच लगातार विस्तृत, प्रभावी और वैश्विक रणनीतिक विमर्श का प्रमुख केंद्र बन चुका है.
इनपुट- भाषा के साथ
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं