 
                                            किसान हैं परेशान..............
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                चंडीगढ़: 
                                        गेहूं पर आयात शुल्क ख़त्म करने के फैसले से पंजाब के किसान हैरान और निराश हैं. पंजाब देश का लगभग आधा गेहूं पैदा करता है. सरकार कह रही है कि फैसला सिर्फ कीमतों को काबू में रखने के लिए लिया गया है.
भारतीय खाद्य निगम के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार के गोदामों में गेहूं का भंडार पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है.
गेहूं का भंडार (लाख टन)
2016 : 164.96
2015 : 268.79
2014 : 275.69
2013 : 310.67
2012 : 376.52
इसी आधार पर सरकार ने पिछले दिनों गेहूं पर आयात शुल्क ख़त्म करने का फैसला लिया, जिसका संसद में जोरदार विरोध भी हुआ, लेकिन सरकार कह रही है किसी भी संकट से निपटने के लिए पर्याप्त गेहूं मौजूद है.
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'सार्वजनिक वितरण के लिए गेहूं की कमी नहीं है, लेकिन गेहूं बेकरी में भी इस्तेमाल होता है. खुले बाजार में जमाखोरी की आशंका रहती है, इसलिए पिछले कुछ महीनों में दाम बढ़े हैं. हमने ये फैसला कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए लिया है.'
मोहाली के सिम्बल माजरा गांव में किसान गुरविंदर ने 2 एकड़ खेत में गेहूं बोया है. बैसाखी तक बम्पर फसल की उम्मीद है, लेकिन मंडी में खरीद होगी या नहीं, इसे लेकर आशंका है, क्योंकि हाल ही में धान की फसल बेचने के लिए किसानों को लंबा इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन फिर भी 30 फीसद पेमेंट बकाया है. गुरविंदर कहते हैं, 'फरवरी में चुनाव हैं और मार्च-अप्रैल तक रिजल्ट आ जाएंगे. उसके बाद हमारा गेहूं कौन खरीदेगा.. अभी तो चुनाव की वजह से खरीद लिया.'
एक और गेहूं किसान दर्शन सिंह का कहना है, 'फिर तो हमें कौन पूछेगा. हमें अच्छे दाम नहीं मिलेंगे. किसान ख़ुदकुशी करेगा. पहले ही किसान मर रहा है.'
पिछले साल पंजाब ने अनाज के केंद्रीय पूल में सबसे ज़्यादा 46 फीसद गेहूं दिया था, लेकिन घटते मुनाफे के चलते किसान अब दूसरी फसलों की तरफ जा रहे हैं. हालात बेहतर न हुए तो पंजाब से देश के 'गेहूं के कटोरे' का ताज छिन सकता है.
                                                                        
                                    
                                भारतीय खाद्य निगम के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार के गोदामों में गेहूं का भंडार पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है.
गेहूं का भंडार (लाख टन)
2016 : 164.96
2015 : 268.79
2014 : 275.69
2013 : 310.67
2012 : 376.52
इसी आधार पर सरकार ने पिछले दिनों गेहूं पर आयात शुल्क ख़त्म करने का फैसला लिया, जिसका संसद में जोरदार विरोध भी हुआ, लेकिन सरकार कह रही है किसी भी संकट से निपटने के लिए पर्याप्त गेहूं मौजूद है.
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'सार्वजनिक वितरण के लिए गेहूं की कमी नहीं है, लेकिन गेहूं बेकरी में भी इस्तेमाल होता है. खुले बाजार में जमाखोरी की आशंका रहती है, इसलिए पिछले कुछ महीनों में दाम बढ़े हैं. हमने ये फैसला कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए लिया है.'
मोहाली के सिम्बल माजरा गांव में किसान गुरविंदर ने 2 एकड़ खेत में गेहूं बोया है. बैसाखी तक बम्पर फसल की उम्मीद है, लेकिन मंडी में खरीद होगी या नहीं, इसे लेकर आशंका है, क्योंकि हाल ही में धान की फसल बेचने के लिए किसानों को लंबा इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन फिर भी 30 फीसद पेमेंट बकाया है. गुरविंदर कहते हैं, 'फरवरी में चुनाव हैं और मार्च-अप्रैल तक रिजल्ट आ जाएंगे. उसके बाद हमारा गेहूं कौन खरीदेगा.. अभी तो चुनाव की वजह से खरीद लिया.'
एक और गेहूं किसान दर्शन सिंह का कहना है, 'फिर तो हमें कौन पूछेगा. हमें अच्छे दाम नहीं मिलेंगे. किसान ख़ुदकुशी करेगा. पहले ही किसान मर रहा है.'
पिछले साल पंजाब ने अनाज के केंद्रीय पूल में सबसे ज़्यादा 46 फीसद गेहूं दिया था, लेकिन घटते मुनाफे के चलते किसान अब दूसरी फसलों की तरफ जा रहे हैं. हालात बेहतर न हुए तो पंजाब से देश के 'गेहूं के कटोरे' का ताज छिन सकता है.
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