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RBI नई सरकार को देगी शानदार तोहफा, सरकारी खजाने में आएंगे 2.11 लाख करोड़ रुपये

RBI Dividend to Government: विशेषज्ञों का मानना है कि बजट से अधिक डिविडेंड भुगतान मिलने से अगले महीने बनने वाली नई सरकार को योजनाओं पर खर्च बढ़ाने और राजकोषीय घाटे का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी.

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RBI नई सरकार को देगी शानदार तोहफा, सरकारी खजाने में आएंगे 2.11 लाख करोड़ रुपये
RBI Dividend News: पिछला उच्चतम स्तर वित्त वर्ष 2018-19 में रहा था जब रिजर्व बैंक ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था. 
नई दिल्ली:

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंड भुगतान को बुधवार को मंजूरी दे दी. गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आयोजित आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 608वीं बैठक में डिविडेंड भुगतान का निर्णय लिया गया.यह केंद्रीय बैंक की ओर से अबतक का सर्वाधिक डिविडेंड भुगतान होगा.यह चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान की तुलना में दोगुना से भी अधिक है.

अंतरिम बजट में सरकार ने आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये की डिविडेंड आय का अनुमान जताया था.

एक साल पहले की तुलना में भी दोगुने से अधिक डिविडेंड

इसके अलावा यह डिविडेंड एक साल पहले की तुलना में भी दोगुने से अधिक है. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आरबीआई ने 87,416 करोड़ रुपये का डिविडेंड सरकार को दिया था.पिछला उच्चतम स्तर वित्त वर्ष 2018-19 में रहा था जब रिजर्व बैंक ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था. 

रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘निदेशक मंडल ने लेखा वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2,10,874 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी.''

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में अपने व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर यानी राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 प्रतिशत यानी 17.34 लाख करोड़ रुपये पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा हुआ है.

बजट से अधिक डिविडेंड से नई सरकार को मिलेगी मदद

विशेषज्ञों का मानना है कि बजट से अधिक डिविडेंड भुगतान मिलने से अगले महीने बनने वाली नई सरकार को योजनाओं पर खर्च बढ़ाने और राजकोषीय घाटे का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी. मौजूदा लोकसभा चुनावों के नतीजे चार जून को घोषित होंगे.

आरबीआई के निदेशक मंडल ने वृद्धि परिदृश्य से जुड़े जोखिमों और वैश्विक एवं घरेलू आर्थिक परिदृश्य की भी समीक्षा की.इसके अलावा बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर चर्चा की गई और पिछले वित्त वर्ष के लिए इसकी वार्षिक रिपोर्ट एवं वित्तीय विवरण को मंजूरी दी गई. आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच व्यापक आर्थिक स्थितियों और कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया गया था. इससे वृद्धि एवं समग्र आर्थिक गतिविधि का समर्थन मिलने की उम्मीद थी.

आरबीआई ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि में पुनरुद्धार होने पर सीआरबी को बढ़ाकर 6.0 प्रतिशत किया गया था. अर्थव्यवस्था में मजबूती और जुझारूपन बने रहने से निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सीआरबी को बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का फैसला किया है.''

बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति सिफारिश पर लिया गया फैसला

आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देय डिविडेंड राशि के बारे में निर्णय अगस्त, 2019 में अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के आधार पर लिया गया है. बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने ईसीएफ की सिफारिश की थी. समिति ने कहा था कि सीआरबी के तहत जोखिम प्रावधान को आरबीआई के बही-खाते के 6.5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में रखा जाना चाहिए. 

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे में आएगी 0.4% की कमी

कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि इस तरह के अप्रत्याशित लाभ से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे में 0.4 प्रतिशत की कमी आ जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू और विदेशी दोनों प्रतिभूतियों पर उच्च ब्याज दरें, विदेशी मुद्रा की उल्लेखनीय रूप से अधिक बिक्री और पिछले वर्ष की तुलना में तरलता परिचालन से सीमित दबाव होने के कारण शायद इतना बड़ा डिविडेंड मिला है.''

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि आरबीआई से इस बढ़े हुए सरप्लस ट्रांसफर से चालू वित्त वर्ष में केंद्र के संसाधन आधार को बढ़ावा देगा. इससे अंतरिम बजट में निर्धारित राजकोषीय मजबूती को तेज करने या व्यय में वृद्धि की अनुमति मिलेगी.  नायर ने कहा, ‘‘पूंजीगत व्यय के लिए उपलब्ध धनराशि बढ़ने से निश्चित रूप से राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता बढ़ेगी. हालांकि, पूर्ण बजट पेश होने और संसदीय अनुमोदन के आठ महीनों के भीतर अतिरिक्त खर्च करना मुश्किल हो सकता है.'' 
 

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