करोड़ों रुपये की धारावी झुग्गी-बस्ती पुनर्विकास परियोजना (DRP) में अदाणी समूह को भूमि का हस्तांतरण शामिल नहीं है, बल्कि परियोजना में भूमि का हस्तांतरण महाराष्ट्र सरकार के विभागों को किया जाना है. . सूत्रों ने इस बारे में स्थिति साफ करते हुए कहा है कि अहमदाबाद स्थित समूह सिर्फ़ परियोजना डेवलपर के रूप में मकान बनाएगा, जो उन्हीं विभागों को सौंपे जाएंगे. बाद में इन घरों का आवंटन एशिया की सबसे बड़ी झोपड़-पट्टी के निवासियों को किया जाएगा.
सांसद वर्षा गायकवाड़ द्वारा लगाए गए भूमि हड़पने के आरोपों का खंडन करते हुए परियोजना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ज़मीन के टुकड़े सिर्फ़ राज्य सरकार के आवास विभाग के धारावी पुनर्विकास परियोजना / स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (DRP/SRA) को हस्तांतरित किए जाने हैं.
परियोजना को लेकर गलतफ़हमियों को दूर करने की कोशिश करते हुए सूत्रों ने कहा कि निविदा के अनुसार भूमि, सरकार द्वारा तय दरों पर DRP/SRA को ही आवंटित रहेगी. DRPPL को विकास करने के लिए मांग के अनुसार सरकार को भुगतान करना होगा.
इस मामले में, जहां DRPPL को विकास करने का अधिकार मिला है, वहीं निविदा दस्तावेज़ का हिस्सा राज्य समर्थन समझौता स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य सरकार अपने खुद के DRP/SRA विभाग को भूमि देकर परियोजना का समर्थन करेगी.
इन आरोपों को कि धारावीवासियों को धारावी से बाहर निकाल दिया जाएगा और बेघर कर दिया जाएगा, को पूरी तरह से काल्पनिक और जनता के बीच चिंता पैदा करने के लिए फैलाई कल्पना करार देते हुए सूत्रों ने कहा कि सरकार के 2022 के आदेश में शर्त रखी गई है कि धारावी के प्रत्येक निवासी (पात्र या अपात्र) को एक घर दिया जाएगा.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि DRP/SRA योजना के तहत किसी भी धारावीवासी को विस्थापित नहीं किया जाएगा.
1 जनवरी, 2000 को या उससे पहले मौजूद मकानों के धारक यथास्थान पुनर्वास के पात्र होंगे. 1 जनवरी, 2000 से 1 जनवरी, 2011 के बीच मौजूद लोगों को धारावी के बाहर मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में कहीं भी PMAY के तहत सिर्फ ₹2.5 लाख में या किराये के माध्यम से घर आवंटित किए जाएंगे.
सूत्रों ने कहा कि धारावी पुनर्विकास निविदा बेहद प्रगतिशील है. यह पूरी तरह स्थानीय लोगों के अनुकूल है और इसमें मुफ्त और बेहद रियायती आवास, स्टाम्प शुल्क और संपत्ति कर की छूट, 10 वर्ष का नि:शुल्क रखरखाव और आवासीय परिसर में 10 प्रतिशत वाणिज्यिक क्षेत्र शामिल है.
निविदा में काम पूरा करने के लिए सख्त समयसीमा तय की गई है और किसी भी उल्लंघन पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
आरोप लगाया गया है कि रेलवे की भूमि पर धारावी पुनर्विकास के नाम पर हरित आवरण को नष्ट किया जाना है, लेकिन वास्तविकता यह है कि पर्यावरण के अनुकूल विकास की परिकल्पना की गई है. वनों की कटाई की परिकल्पना नहीं की गई है. इसके अलावा, कई हजार पेड़-पौधे और लगाए जाएंगे. अब तक अदाणी समूह ने पूरे भारत में 4.4 मिलियन से अधिक पौधे लगाए हैं और एक ट्रिलियन पेड़-पौधे लगाने के लिए समूह प्रतिबद्ध है.
सूत्रों ने कहा कि चुनावी लाभ के लिए परियोजना को लेकर फर्जी कहानी फैलाई जा रही है, जो अगर सफल हो जाती है, तो धारावी के लोगों को खराब परिस्थितियों में रहना पड़ेगा और बुनियादी सुविधाओं तक उनकी पहुंच कम होगी.
धारावी पुनर्विकास परियोजना अपनी तरह की पहली पहल है, जो इलाके को विश्वस्तरीय शहर में बदलने की कोशिश कर रही है.
सूत्रों ने कहा कि परियोजना मानव-केंद्रित नज़रिये से धारावी के 10 लाख से अधिक निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना चाहती है.
उन्होंने कहा कि यहां टिकाऊ परिवहन प्रणालियों और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ ही युवाओं के कौशल विकास पर भी खास जोर दिया जा रहा है.
(इनपुट IANS से भी)
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