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This Article is From Oct 06, 2020

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के नाम रवीश कुमार का पत्र

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 06, 2020 17:29 pm IST
    • Published On अक्टूबर 06, 2020 17:29 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 06, 2020 17:29 pm IST

मंगल पांडे जी,

समझ सकता हूं कि आप चुनाव कार्य में व्यस्त होंगे. चुनाव आयोग के कारण आप नीतिगत फैसला नहीं ले सकते लेकिन आपके सचिव जिनका काम है कि वे छात्रों की समस्याओं को देखें, उन्हें ये काम कर देना चाहिए था, या फिर छात्रों के साथ बातचीत कर अपनी बात बता देनी चाहिए थी. मुझे स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का पक्ष मालूम नहीं है लेकिन मेडिकल के छात्रों की बात से लगता है कि उन्हें राहत मिलनी चाहिए. 

मेडिकल के हर छात्र को पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पढ़नी पड़ती है. कई राज्यों की तरह बिहार में भी नियम है कि तीन साल तक राज्य सरकार की सेवा देनी होगी. पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद छात्रों को सुपर स्पेशियालिटी का कोर्स करना होता है. उसके बाद ही डॉक्टर ख़ुद को कार्डियोलॉजिस्ट या न्यूरोलॉजिस्ट कह सकता है. आपके राज्य के नियम के अनुसार कोई डॉक्टर यह पढ़ाई ही नहीं पढ़ सकेगा क्योंकि नियम ही विचित्र है. 

कई राज्यों में नियम है कि अगर पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र को सुपरस्पेशियालिटी के कोर्स में एडमिशन मिल जाता है तो पहले वह पढ़ाई करेगा फिर राज्य सरकार की सेवा की शर्त पूरी करेगा. मगर बिहार में नियम है कि पहले राज्य सरकार की सेवा करेगा उसके तीन साल बाद सुपर स्पेशियालिटी का कोर्स करेगा. ऐसा क्यों है? क्या स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए अभी तक आप यह नहीं जान सके कि सुपर स्पेशियालिटी के कोर्स में एडमिशन कितना मुश्किल है? इस साल बहुत कम डाक्टर ही क्वालिफाई कर सके हैं लेकिन बिहार सरकार उन्हें एडमिशन नहीं लेने दे रही है. क्या यह सही है कि आपके प्रधान सचिव ने डॉक्टरों की बात तक नहीं सुनी जैसा कि मुझे बताया गया है?

15 अक्तूबर को नामांकन की आख़िरी तारीख़ है. दर्जन भर भी डाक्टर नहीं होंगे जिनका सुपर स्पेशियालिटी कोर्स में एडमिशन हुआ होगा. क्या बिहार सरकार उन्हें राहत नहीं दे सकती है? एक तरफ राज्य में डॉक्टर नहीं हैं दूसरी तरफ डॉक्टर बनने के लिए नियम इतने प्रतिकूल होंगे तो इस राज्य में चिकित्सा व्यवस्था का क्या होगा? क्या आप पोस्ट ग्रुजुएट डॉक्टरों को पहले सुपर स्पेशियालिटी का कोर्स करने की अनुमति नहीं दे सकते? क्या इससे मरीज़ों का ज़्यादा भला नहीं होगा कि उसके बाद तीन साल राज्य सरकार की सेवा में रहेंगे तो ज़्यादा कौशल के साथ मरीज़ों की देखभाल कर सकेंगे. 

इतनी सी बात के लिए वहां से छात्र मुझे लिख रहे हैं. अजीब है. आशा है आप मेडिकल छात्रों से इस बारे में बात करने का समय निकालेंगे. 

रवीश कुमार

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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