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This Article is From Jul 08, 2022

नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 08, 2022 23:58 pm IST
    • Published On जुलाई 08, 2022 23:58 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 08, 2022 23:58 pm IST

नमस्कार मैं रवीश कुमार, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे पर आज गोली मार कर हत्या कर दी गई. उस वक्त शिंज़ो आबे क्योटो शहर के पास नारा शहर में चुनाव प्रचार कर रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरी चिन्ता जताई है और कहा है कि मेरे प्रिय मित्र शिंज़ो आबे पर हमले की ख़बर सुनने के बाद से मेरे ख़्याल और मेरी प्रार्थनाएं उनके परिवार और जापान के लोगों के साथ हैं. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे शिंज़ो आबे भारत और जापान के बीच मित्रता के अगुआ रहे हैं, उन पर हुए हमले की खबर से सदमे में हूं. दुनिया भर से इसी तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. प्रधानमंत्री ने शिंजे  आबे को याद करते हुए तस्वीरें साझा की हैं. शिंजो आबे के दादा प्रधानमंत्री थे, पिता विदेश मंत्री. जापान के प्रधानमंत्री के लंबे समय तक रहने का रिकार्ड शिंजो आंबे के उनके नाम है. पहली बार 2006 में प्रधानमंत्री बने, 2007 में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया लेकिन 2012 से 2020 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे. अपने दूसरे कार्यकाल में शिंजो आबे तीन तीन बार भारत आए. गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बने और पदम विभूषण पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया.

2015 में जब भारत आए तब बुलेट ट्रेन को लेकर करार हुआ था. आज ही बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रबंध निदेशक सतीश अग्निहोत्री के बर्खास्त किए जाने की ख़बर छपी है. इन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं कि कथित रुप से अनधिकृत तरीके से पैसा एक निजी कंपनी में डायवर्ट कर दिया था.  बुलेट ट्रेन आने से पहले इसके एमडी करप्शन के चार्ज में बर्खास्त हो गए, यह खबर भी किसी सदमे से कम नहीं. आज सतीश अग्निहोत्री इसी चक्कर में होंगे कि बड़ी ख़बरों के बीच उनकी ख़बर ग़ायब  हो जाए.
जापान के समय के अनुसार सुबह साढ़े ग्यारह बजे के करीब शिनज़ो आबे नारा शहर के इस मेट्रो स्टेशन के बाहर नुक्कड़ सभा कर रहे थे. शिनजो आंबे के साथ सुरक्षा थी लेकिन पास में खड़े एक नौजवान ने गोली चला दी. एक गोली के चूक जाने की बात कही जा रही है लेकिन एक गोली उनकी गर्दन में लग गई और वे ज़मीन पर गिर गए. साढ़े ग्यारह पर गोली लगती है और सात मिनट के भीतर आपातकाल सेवा पहुंच जाती है. 17 मिनट के भीतर शिनजो को हेलिपैड तक ले जाया गया और पचास मिनट के भीतर अस्पताल में भर्ती हो गए थे. मौक़ा दुखद है लेकिन यह घटना हमें एक देश के भीतर झांक कर देखने का मौका भी देती है. नारा एक छोटा सा शहर है. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री को गोली लगने के बाद भी मेट्रो स्टेशन पूरी तरह से बंद नहीं किया गया है. लोग सामान्य तरीके से आ जा रहे हैं, सुरक्षा के नाम पर भगदड़ नहीं मची है. मेट्रो स्टेशन के भीतर मीडिया का कैमरा अपनी अपनी जगह पर खड़ा है, कुछ इस तरह से किसी आने-जाने वाले को तकलीफ न हो. आप इस ऊंचाई से देख सकते हैं कि पुलिस ने एक खास जगह की ही घेराबंदी की है और लोग बिल्कुल आराम से आ जा रहे हैं. अब जैसे ही वीडियो रिकार्ड करने वाले मित्र मेट्रो स्टेशन से बाहर आते हैं आप शांत और संयम जापान को और करीब से देखते हैं. यहां किसी के चेहरे पर घबराहट नहीं है.

उन्हें अपनी एजेंसी के काम पर भरोसा है और एजेंसी को भी अपने आप पर. चेकिंग के नाम पर अनावश्यक बैरिकेंडिग और शहर भर में जाम पैदा नहीं की गई है. लोग आराम से आ जा रहे हैं. मेट्रो स्टेशन का नाम यमातो सैदैचि है, इसके दोनों तरफ मॉल हैं. जापान में आमतौर पर ऐसी ही जगहों पर चुनाव प्रचार होते हैं. अलग से मंच नहीं बनता और न ही लाखों लोगों को जुटाया जाता है. मेट्रो स्टेशन के दोनों तरफ मॉल होने के कारण आने-जाने वालों की भीड़ होती है,यही वजह रही होगी कि पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने यहां नुक्कड़ सभा का चुनाव किया होगा. यहां जापानी मीडिया की टीम रिपोर्ट कर रही है लेकिन उनके आस-पास भी  लोगों की भीड़ नहीं है.सब अपना-अपना काम कर रहे हैं, कोई किसी के काम में आड़े नहीं आ रहा है. जांच एजेंसियों के लोग घेराबंदी किए गए इलाके की जांच आराम से कर रहे हैं.सबके चेहरे पर मास्क है. पूरे वीडियो में आपको ऐसा कोई नहीं दिखेगा जिसके चेहरे पर मास्क नहीं होगा. घटनास्थल से लगे शापिंग मॉल को बंद नहीं किया गया है, सारी दुकानें खुली हैं और सामान्य रुप से चल रही हैं।. जिस शख्स ने यह सब रिकार्ड किया है, घटना के तुरंत बाद वह इस मेट्रो स्टेशन से यमातो सैदैचि के लिए रवाना होता है, यह मेट्रो स्टेशन यमातो सैदैचि से दस मिनट की दूरी पर है. एक  पूर्व प्रधानमंत्री को गोली लगी, दुनिया सदमे में है मगर जापान सामान्य है. यहां पर प्रचार का काम चल रहा है. हमारे मित्र मेट्रो में सवार होते हैं और यमातो सैदेचि की तरफ चल देते हैं जहां पर शिंजो आबे को गोली लगी है.


इससे बड़ी चीज़ यह समझने लायक है कि 11 बजकर 30 मिनट पर गोली लगती है और उन्हें 12 बज कर 20 मिनट पर उन्हें अस्पाल में भर्ती करा दिया जाता है. और यह जापान का एक छोटा सा शहर है. मतलब सुविधाओं का नेटवर्क इतना अच्छा है कि बड़े शहरों की तरह छोटे शहरों में भी सिस्टम तेज़ गति से काम करता है. जापान के नारा से हम आपको बिहार के नालंदा ले चलते हैं जहां से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आते हैं जो बीस साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. यह शख्स अपने पिता को ठेले पर लाद कर अस्पताल ले जा रहा है, क्योंकि एंबुलेंस नहीं मिल सकी. बेटे रवि रंजन के मुताबिक अपने पिता को ठेले पर लाद कर ज़िले के सदर अस्पताल ले जा रहा था. यह ठेला भी पिता का ही जो किसी नए बन रहे मकान पर लगाने के लिए टंकी लेकर गए थे. छज्जा गिरने से रंजन के पिता ज़ख्मी हो गए. पास के प्राइवेट क्लिनिक में ले जाया गया लेकिन वहां मौत हो गई. उसके बाद रंजन अपने पिता के ही ठेले पर इस तरह लाद कर सदर अस्पताल गया. जापान से तुलना नहीं  है लेकिन एक राज्य या एक देश की कार्य संस्कृति की बात तो की जा सकती है जहां आम आदमी की ज़िंदगी की ये हालत है. एक तरफ जापान हैं जहां गोल्डन टाइम के एक घंटे के भीतर शिंजे आबे को अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है, दूसरी तरह नालंदा का रंजन अपने पिता को ठेले पर लाद कर पांच किलोमीटर भागता है. पिता मर जाते हैं. सिविल सर्जन ने बताया कि 102 डायल करने पर फ्री एंबुलेंस सेवा मिलती है. लोगों ने जागरुकता नहीं है. सूचना के बाद पुलिस को एंबुलेंस उपलब्ध कराने में सहयोग करना चाहिए था. थानाध्यक्ष ने बताया किउन्हें एंबुलेंस उपलब्ध कराने की जानकारी नहीं दी गई. वो नहीं किया तो वो नहीं किया लेकिन इन सबके बीच एक ग़रीब मर गया. ऐसा नहीं है कि बिहार में एंबुलेंस की कमी है, एक दिन पहले बिहार में 500 से अधिक एडवांस लाइफ सपोर्ट और बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सेवा लांच की गई. पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झंडा दिखाकर रवाना किया प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि बिहार पहला राज्य है जहां हर प्रखंड में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने की शुरूआत हुई है. बिहार ने 1000 नए एंबुलेंस खरीदने का फैसला किया है.


आपने देखा होगा और आप यही देखते रहेंगे कि अस्पताल में सुविधा हो या न एंबुलेंस सेवा लांच होती रहेगी, होनी ही चाहिए लेकिन इसके लांच से यह नहीं समझना चाहिए कि अस्पताल बन गया और डाक्टर आ गए और इलाज चालू हो गया. एंबुलेंस और बीमा की पाली इलाज में सहायक हैं, अस्पताल नहीं हैं. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आंबे को पचास मिनट के भीतर घटनास्थल से अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. अभी आपने हाल में सुना कि राजद अध्यक्ष लालू यादव को एयर एंबुलेंस के ज़रिए पटना से दिल्ली लाया गया. बिहार की राजधानी में अगर बेहतर इलाज न हो और वहां से दिल्ली लाना पड़े ये भी एक सवाल है ही लेकिन एयर एंबुलेंस से संबंधित कुछ पुरानी ख़बरों पर आपका ध्यान चाहता हूं. 


यह PIB की प्रेस रिलीज़ है. अक्तूबर 2016 की. 24 अक्तूबर 2016 की इस रिलीज़ में डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रस्तावित किया है कि पूर्वोत्तर के इलाकों के लिए मोबाइल एयर डिस्पेंसरी होना चाहिए. हेलिकाप्टर में एक डाक्टर भी होगा. जो नियमित रुप से दूर दराज़ के इलाके में जाएगा. भारत में पहली बार इस तरह का प्रयोग हो रहा है और अगर सफल रहा तो जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भी आज़माया जा सकता है. जितेंद्र सिंह ने राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला की इस बात की तारीफ की कि राज्यपाल ने रायल फ्लाईंग सर्विस आफ आस्ट्रेलिया की तरह पूर्वोत्तर में भी एयर डिस्पेंसरी शुरू करने का सुझाव दिया. इस खबर पर हार्ड न्यूज़ के संपादक संजय कपूर बधाई देते हैं कि आपके कमिटमेंट के कारण ही पूर्वोत्तर में एयर एंबुलेंस संभव हो पा रहा है तब तत्कालीन राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला उनके ट्विट पर जवाब देती है कि संजय यह एयर एंबुलेंस नहीं है, बल्कि डिस्पेंसरी के साथ फ्लाइंग डाक्टर है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नजमा हेपतुल्ला ने आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान फ्लाईंग डाक्टर सेवा के बारे में जाना था, यह वीडियो उसी सेवा का है जो आप देख रहे हैं, जिसके नाम पर पूर्वोत्तर में सपनों की हेडलाइन छपती रही.


यह खबर अक्तूबर 2016 की. अब यही खबर नवंबर 2017 में आती है. एक साल के बाद. नवंबर 2017 में PIB की ही प्रेस रिलीज़ आती है कि एयर डिस्पेंसरी हेलिकाप्टर के लिए 25 करोड़ दिए गए हैं. यहां तक आने में एक साल लग गया. पहले योजना का प्रस्ताव खबर बनती है फिर एक साल बाद उसकी राशि की खबर आती है.

23 नंवबर 2017 को PIB की एक प्रेस रिलीज़ है कि भारत का पहला एयर डिस्पेंसरी हेलिकॉप्टर पूर्वोत्तर को मिलेगा. इसके लिए पूर्वोतत्र के विकास के लिए मंत्रालय ने 25 करोड़ का बजट तय किया है. इसमें भी वही लिखा है जो अक्तूबर 2016 की प्रेस रिलीज में है किअगर यहां यह प्रयोग सफल रहा तो जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश जैसे इलाकों में भी इसकी शुरूआत होगी. इस प्रेस रिलीज़ में कहा है कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय के मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि 2018 की शुरूआत से चालू करने का प्रस्ताव है. इससे दूर दराज़ के मरीज़ों को अस्पताल तक पहुंचाने में आसानी होगी. मणिपुर के इंफाल और मेघालय के शिलांग में हेलिकाप्टर तैनात रहेगा. इसके लिए तीन डबल इंजन हेलिकाप्टर खरीदने की योजना बन रही है. यह नवंबकर 2017 के दो ट्विट हैं. एक पूर्वोत्तर के विकास मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह और दूसरा मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला का. तत्लाकिन राज्यपाल प्रधानमंत्री का आभार जता  रही हैं कि एयर डिस्पेंसरी हेलिकाप्टर सेवा से पूर्वोत्तर को लाभ होगा.


शिंजे आबे के लिए हेलिकाप्टर 15-20 मिनट में आ गया. भारत में एयर एंबुलेंस की हालत के बारे में समझने की ज़रूरत है. 2016 से लेकर 2017 तक एक ही तरह की बात की जाती है कि एयर डिस्पेंसरी शुरू होगी।
13 फरवरी 2018 के द हिन्दू अखबार में खबर छपती है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने विधानसभा में घोषणा की है कि पूर्वोत्तर में एयर डिस्पेंसरी सेवा जल्दी ही शुरू होगी. अखबार लिखता है कि यह गवर्नर नजमा हेपतुल्ला का ब्रेन चाइल्ड है यानी उनकी कल्पना है.इस अखबार में उस समय की गवर्नर नजमा हेपतुल्ला का बयान छपा है कि मैंने खुद प्रधानमंत्री से कहा कि एयर डिस्पेंसरी सेवा शुरू की जाए.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह 2016 और 2017 में बयान देते हैं कि एयर डिस्पेंसरी सेवा शुरू होगी.अब एक और जानकारी आपको देता हूं .21 जून 2019 को लोकसभा में कांग्रेस सांसद हबी एडन सरकार से पूछते हैं कि क्या सरकार के पास एयर एंबुलेंस को लेकर कोई योजना है तो स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे जवाब देते हैं कि एयर एंबुलेंस सेवा शुरू करने की कोई योजना नहीं है.  पूर्वोत्तर में एयर डिस्पेंसरी सेवा शब्द का इस्तेमाल हुआ और यहां जवाब में एयर एंबुलेंस सेवा कहा गया है. क्या इस आधार पर अंतर किया जा सकता है कि मंत्रालय ने एयर डिस्पेंसरी के बारे में कुछ नहीं कहा? स्वास्थ्य मंत्रालय संसद में कहता है कि एयर एबुंलेस सेवा शुरू करने का कोई प्रस्ताव ही नहीं लेकिन 2016, 2017 में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और 2018 में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह इसकी बात करते हैं, कि एयर डिस्पेंसरी सेवा शुरू होगी।यह कैसे हो सकता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय को जानकारी न हो.


2017 में कहा गया था कि एयर डिस्पेंसरी हेलिकाप्टर सेवा के लिए 25 करोड़ दिए गए हैं।हमने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के बजट एंट्री में जाकर देखा कि एयर एंबुलेंस के लिए कुछ तो बजट होगा ही। इस मंत्रालय के 2019-20 के बजट एंट्री 12 में लिखा है कि पूर्वोत्तर में मोबाइल एयर डिस्पेंसरी और एयर एंबुलेंस का प्रावधान।  उम्मीद है एयर डिस्पेंसरी की सेवा शुरु हो गई होगी और अखबारों ने इसे छापने लायक नहीं समझा होगा. हमने बहुत पता किया,गगूल सर्च किया, ज़रूर गूगल सर्च करने में हमारी कमी रही होगी. हमारे सहयोगी रतनदीप ने बताया कि यह प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुआ. पूर्वोत्तर में प्राइवेट एयर एंबुलेंस तो है मगर सरकारी नहीं है. 2016 से एयर डिस्पेंसरी की योजना 2022 तक शुरू हुई या नहीं, मणिपुर और मेघालय के लोग बेहतर बता सकते हैं. 


इस साल 31 मार्च को ndtv.com पर एक खबर छपी है कि नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री वी के सिंह ने कहा है कि भारत में केवल 49 एयर एंबुलेंस हैं. 19 आपरेटर इन्हें संचालित करते हैं। दिल्ली में सबसे अधिक 39 एयरएंबुलेंस हैं और महाराष्ट्र में 5, ओडिसा, पश्चिम बंगाल और गुजरात में एक एक एयर एंबुलेंस हैं।पिछले तीन साल में 4100 मरीज़ों ने एयर एंबुलेंस किराये पर लिया है. भारत में एयर एंबुलेंस की कहानी और नालंदा में एंबुलेंस के बजाए ठेले पर मरीज़ को ले जाने की कहानी आप इग्नोर कर दें। ऐसे किसी भी मुद्दे पर ध्यान न दें. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या की खबर पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया है। भारत में एक दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया है. 


गोली चलाने वाला मौके पर ही पकड़ लिया गया. तेत सुया यामा गामी नाम के इस शख्स का कहना है कि वह शिनजे आबे से नाराज़ था, इसलिए गोली मार दी. उसने भागने की कोशिश भी नहीं की. जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने घटना की निंदा की है और कहा है कि इसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है. तेत सुया जापानी सेना का सदस्य रहा है इसके घर से विस्फोटक मिलने की भी खबर है. जापान में हर किसी को बंदूक का लाइसेंस नहीं मिलता, काफी कड़ाई रहती है. BBC ने लिखा है कि 2014 में जब अमरीका में बंदूक से 33,559 लोग मारे गए थे तब उस साल पूरे जापान में छह लोगों की हत्या हुई थी. 2017 में BBC ने एक रिपोर्ट किया था कि कैसे जापान ने बंदूक से अपराध को ख़त्म कर दिया है. जापान में बंदूक का लाइसेंस हासिल करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य और ड्रग का टेस्ट होता है।देखा जाता है कि किसी चरमपंथी समूह से कोई ताल्लुक तो नहीं है. आपराधिक पृष्ठभूमि तो नहीं है. रिश्तेदारों और दफ्तर में सहयोगियों से पूछा जाता है. क्लास होती है परीक्षा होती है तब जाकर लाइसेंस मिलता है. पिस्टल तो मिलेगी नहीं है. केवल शाटगन और राइफल का लाइसेंस मिलता है. बंदूक और गोली घर में कहां रखी है, यह भी पुलिस को बताना होता है. ऐसे जापान में बंदूक की गोली से पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या हुई है. ज़ाहिर है उस मुल्क में इस ख़बर का गहरा असर हुआ होगा.

अब एक नज़र बंदूक की संस्कृति पर।जापान में लोग बंदूक रखना बुरा समझते हैं. बंदूक आसानी से रख भी नहीं सकते. लेकिन हरियाणा में विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ने बयान दिया है कि अगर हिन्दुओं को जेहिदियों से आत्मरक्षा के लिए हथियार चाहिए तो लाइसेंस दिलाने में वे मदद करेंगे. इसके लिए एक हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया गया है. भारत जापान से बहुत आगे निकल चुका है. 


पवन जी को तो कोई रोक नहीं सकता, लाइसेंस बनवाने का एलान कर रहे हैं तब तो प्रभावशाली होंगे ही, उन्हीं से गुज़ारिश की जा सकती है कि इस काम से फुर्सत पाने के बाद देश में दारोगा की बहाली की प्रक्रिया भी ठीक करा दें. कर्नाटक में सहायक दारोगा की बहाली में धांधली के आरोप में एक वरिष्ट आई पी एस अफसर गिरफ्तार हैं. जम्मू कश्मीर में 1200 सब इंस्पेक्टर की बहाली रद्द कर दी गई है. घोटाला निकल गया. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने CBI जांच के आदेश दिए हैं. इसके जांच के लिए एक पैनल का गठन हुआ था,जिसने पाया कि सब इंस्पेक्टर की बहाली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. जिस देश में एंबुलेंस टाइम पर नहीं मिलता, बिना इलाज के लोग सड़क पर मर जा रहे हैं उस देश की प्राथमिकता बदल गई है. धर्म के लोगों को आहवान किया जा रहा है कि लाइसेंस बनवा देंगे ऐसा लगता है कि पुलिस और सेना या अर्ध सैनिक बलों पर भरोसा ही नहीं है. इनके होते भी लाइसेंस बनवाने का आह्वना हो रहा है।फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को उत्तर प्रदेश में दर्ज एक हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है, ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस की हिरासत में रहना होगा.उधर ज़ी न्यूज़ के रोहित रंजन की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है.


ये ज़ुबैर को राहत है पर उन्हें अब दिल्ली की जेल में रहना होगा क्योंकि दिल्ली पुलिस ने सबसे पहले एक ट्वीट को लेकर धार्मिक भावनाएँ आहत करने के आरोप में ज़ुबैर को गिरफ़्तार किया था .. ज़ुबैर को अभी दिल्ली पुलिस के केस में बेल नहीं मिली है. उम्मीद है आपने गुरुवार का प्राइम टाइम देखा होगा, ज़ुबैर गिरफ्तार है और रोहित फरार है. NDTV इंडिया के यू टयूब चैनल पर इस हफ्ते का पांचों प्राइम टाइम देखिएगा. कुछ सोचने का वक्त मिले तो सोचिएगा कि धर्म के नाम पर गरम होने की यह राजनीति कितना नुकसान पहुंचा रही है. इसके बहाने इंसाफ़ का तराज़ू, राजू का मनमाना इंसाफ़ बन गया है. झूठ चरम पर है. हर बात को लोग निजी तौर पर ले लेते हैं. पब्लिक स्पेस में संवाद की जगह हथियार की भाषा ट्रोलिंग ने जगह ले ली है. कब कहा कि किस मानसिक दबाव में हमला कर दे पता नहीं. जापान जैसे शांत देश में एक नौजवान बंदूक खोज जाता है जहां बंदूक का मिलना मुश्किल है और उस बंदूक से पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या कर देता है. कहता है कि शिंजे आबे की बात पसंद नहीं थी. हम मानसिक स्वास्थ्य के सवालों को इग्नोर करते रहते हैं, वैसे ही जैसे दारोगा की बहाली ठीक से नहीं कर पाते लेकिन धर्म की रक्षा के लिए बंदूक का लाइंसेंस बंटवाने का ऐलान करने लग जाते हैं. राजनीतिक दलों को मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना चाहिए. सुशील महापात्रा जब ओडिशा छुट्टी पर गए तो वहां के कई आश्रमों में गए जहां तरहतरह की मानसिक चुनौतियां झेल रहे मरीज़ों की कहानी इंतज़ार कर रही थीं. उम्मीद है आप इस रिपोर्ट को देखेंगे और समझेंगे कि दूसरों के साथ क्या हो रहा है, आपके साथ क्या हो रहा है.


ब्रिटेन के अखबारों में बोरिस जॉनसन को लायर लिखा जा रहा है. झूठ बोलने वाला. बकायदा वेबसाइट बनी है कि बोरिस जॉनसन ने कब कब झूठ बोला. क्या झूठ के कारण जॉनसन हवा में उड़ने लगे और प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच गए. वाशिंगटन पोस्ट ने तो राष्ट्रपति ट्रंप के झूठ या गलत बयानों की गिनती की थी. इसके हिसाब से चार साल में ट्रंप  ने 30,573 झूठे या ग़लत बयान दिए. क्या यह भी मानसिक स्वास्थ्य का प्रश्न है कि जनता झूठ बोलने वाले को पसंद कर लेती है या ऐसे नेता होने लगे हैं जो झूठ बोलकर लोकप्रिय होने लगे हैं. ऐसा क्यों है कि झूठ बोलने वाला प्रधानमंत्री बन जाता है…ऐसा क्यों है कि इसे कोई नहीं समझता है.


 

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