हैगटेग #ModiOnceAgain वाले वीडियो में 72 वर्षीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैमरे में देखते हुए आगे बढ़ रहे हैं. उन्हें मशहूर उर्दू कवि नफ़स अम्बालवी की पंक्तियों को कहते हुए सुना जा सकता है- "उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है, मुझे यकीन है कि ये आसमां कुछ कम है".
मुझे इस पर जरा भी हैरानी नहीं हुई कि बीजेपी ने पृष्ठभूमि और अग्रभूमि के रूप में मोदी के साथ केंद्र में ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए अपना अभियान शुरू किया है. नेशनल हाईवे, सड़कों, रेलवे और मेट्रो के बुनियादी ढांचे के अपग्रेडेशन पर ध्यान केंद्रित करने वाले 56 सेकंड लंबे विज्ञापन में न तो बीजेपी का उल्लेख है और न ही किसी मंत्री का जिक्र हुआ है.
Modi akela nahi bada ho raha Modi ke sath-sath Hindustan bhi bada ho raha hai.
— Sameet Thakkar (@thakkar_sameet) January 18, 2023
Rise & rise of SuperPower India under the leadership of Narendra Damodardas Modi.
Less than 500 days to go for the mandate of 2024.
Come join hands for #ModiOnceAgain
Phir ♥️ Dil do Modi Ko 🇮🇳 pic.twitter.com/DAo5tugHwq
पीएम मोदी ने इस सप्ताह बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दिए अपने संबोधन में (प्रतिनिधियों के सेल फोन कार्यक्रम स्थल के बाहर रखवा लिए गए थे) कहा कि पार्टी के पास अपनी सरकार के "ऐतिहासिक काम" को दिखाने के लिए 400 दिनों का समय बचा है. जो एक और कार्यकाल जीतने का रास्ता बनाएगा और बीजेपी को ऐतिहासिक ऊंचाइयों पर ले जाएगा. स्पष्ट रूप से मोदी अब विरासत और इतिहास में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जगह के बारे में सोच रहे हैं. नेहरू तीन कार्यकाल प्रधानमंत्री बने रहे थे.
इस कॉलम के लिए मैंने बीजेपी के चार वरिष्ठ नेताओं से चुनावी तैयारी के बारे में जानकारी लेने के लिए बात की. तीन नेताओं की एक ही लाइन थी : साल 2001 से गुजरात से मोदी ने चुनाव लड़ा था, उसके बाद से उन्होंने कोई भी चुनाव नहीं हारा है. गुजरात में वह चार बार मुख्यमंत्री रहे.
जहां तक बीजेपी का संबंध है, 2024 के लिए बड़ी लड़ाई पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए भी सबसे बड़ी लड़ाई होने जा रही है. और राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने आधिकारिक रूप से मोदी की भूमिका को बीजेपी के चुनाव जीतने वाले कुलदेवता के रूप में स्वीकार किया है.
बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर जेपी नड्डा का कार्यकाल 2024 तक बढ़ा दिया गया है. मैंने पिछले साल सितंबर में एनडीटीवी के कॉलम में इस पर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दी थी. नड्डा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2024 से पहले नौ चुनाव होने हैं और बीजेपी को उन सभी को जीतना है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पीएम पर "व्यक्तिगत हमलों" के साथ विपक्ष ने स्वीकार किया है कि वह बीजेपी की सफलता की कुंजी हैं.
अब तक हमने मोदी के विभिन्न राजनीतिक अवतार देखे हैं - हिंदू "हृदय सम्राट", "विकास पुरुष" और इस बार मोदी कथित तौर पर एक "वैश्विक राजनेता" बनने जा रहे हैं, जिन्हें दुनिया एक प्रभावी नेता के रूप में स्वीकार करती है ( रूस-यूक्रेन के संदर्भ में "यह युद्ध का युग नहीं है" पर उनकी टिप्पणी के बारे में सोचें और उन्हें दुनिया के कई नेताओं द्वारा कैसे दोहराया गया). बीजेपी के एक मंत्री ने मुझसे कहा, "विपक्ष यह कहते हुए हमारा मजाक उड़ाता है कि G20 की अध्यक्षता एक नियमित मामला है. इसे प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी-बारी से आयोजित किया जाता है. वो ये क्यों नहीं समझते हैं कि हमने इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया है."
ग्लोबल स्टेट्समैन के खाके को ध्यान में रखते हुए मोदी ने उन अनाम लोगों (नरोत्तम मिश्रा, सांसद, मंत्री) को भी नसीहत दी, जिन्होंने फिल्मों पर "ध्यान आकर्षित करने वाले बयान" दिए हैं (शाहरुख खान की 'पठान') और बीजेपी के 'अच्छे काम' पर फोकस कम कर दिया है.
बीजेपी ने कथित तौर पर आगामी कर्नाटक चुनाव के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण किया. अमित शाह और जेपी नड्डा सहित पार्टी के केवल तीन नेताओं को ही नतीजों की जानकारी है. मोदी के दिमाग में कर्नाटक तब भी था, जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से दिल्ली में बीजेपी की बड़ी बैठक से इतर मुलाकात की थी.
येदियुरप्पा, जो लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं, ने उन्हें शिवमोगा में हवाई अड्डे का उद्घाटन करने के लिए कहा. शिवमोगा येदियुरप्पा का चुनावी रणक्षेत्र है. येदियुरप्पा को यह भी आश्वासन दिया गया है कि अगर राज्य में पार्टी जीतती है, तो उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को सरकार में एक पद मिलेगा. येदियुरप्पा कुछ समय से ऐसी कुछ चीजों की वजह से नाराज चल रहे थे. ऐसे में जब बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री बने रहेंगे, तो उन्होंने कर्नाटक की तैयारियों पर अपने प्रेजेंटेशन के दौरान मोदी को एक एसओएस भेजा, जिसमें पीएम से राज्य में पैदा हो रहे असंतोष के सुर को बंद करने की अपील की.
एक बहुत अच्छे तरीके से वित्तपोषित बीजेपी के पास जीत के लिए "हवा" और "माहौल" (पीआर, रुझान) है, लेकिन दक्षिण में जीतने के लिए उसे फॉर्मूले को तोड़ना पड़ता है, जिस पर मोदी ने जोर दिया है. बीजेपी के चुनावी हथकंडों में और अधिक पूरे पेज के विज्ञापन, वीडियो, जिंगल्स और यहां तक कि ड्रोन जोड़े जाने की अपेक्षा करें. मोदी के प्रभाव को पूरी तरह से भुनाने की उम्मीद है, क्योंकि 2024 के लिए वो ही जरिया और संदेश हैं.
(स्वाति चतुर्वेदी एक लेखक और पत्रकार हैं, जिन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस, द स्टेट्समैन और द हिंदुस्तान टाइम्स के साथ काम किया है.)
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं)