विज्ञापन
This Article is From Mar 17, 2016

डीजे रुकवाने पर मार दिए गए पुलिसवाले की वर्दी से सवाल, क्या तुम रोती भी हो...?

Dharmendra Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 17, 2016 14:01 pm IST
    • Published On मार्च 17, 2016 13:56 pm IST
    • Last Updated On मार्च 17, 2016 14:01 pm IST
वर्दी, क्या तुम रोती भी हो...? यदि रोती हो तो वह रूदन कैसा है...? क्या वह इतना क्षुद्र है कि किसी का ध्यान भी नहीं खींचता...! क्या तुम्हारा रूदन इतना निर्बल है...! क्या ड्यूटी की थकान से तुम्हारे आंसुओं की पलकें भी भारी हैं...? मैं जानता हूं कि हम सबका जीवन मृत्यु से आक्रांत है - 'आक्रान्तं मरणेन जन्म्...' मैं यह भी जानता हूं कि मौत तो हम सभी को आनी है, चाहे वह पापात्मा हो या संतात्मा, गुणी हो या अवगुणी - 'कालः कर्षित भूतानि सर्वाणि विविधान्युतः...'

बस, इतना बताओ कि उस दिन जब तुम घर से निकली थीं तो अपने बच्चों को जीभर देख तो लिया था न...! उस आखिरी दिन अपनी बिटिया की फ्रॉक का रंग तुम्हारी मृत्यु-पूरित आंखों में अब भी घुला हुआ है। आंखों के शीशे में चिपक गया है तुम्हारे बिटवा की निक्कर का रंग। चिता की आंच में से एक लपट-सी निकल रही है, हूबहू तुम्हारी जीवन-संगिनी की साड़ी के पल्लू के रंग जैसी, जो उसने उस आखिरी दिन पहनी थी, जो तुम्हारी ज़िन्दगी, तुम्हारी ड्यूटी का भी आखिरी दिन था। तुम्हें याद है न, उस दिन तुम्हारी बहना ने तुमसे कितना बतियाया था... और तुम अपनी माई से तो फोन मिलाना ही भूल गए थे...

तुम न जाने कितनों के ऋण लिए चले गए, लेकिन तुमने ड्यूटी का ऋण तो चुका ही दिया... कम से कम इस ओर तुम विमुक्त मरे। तुम पर ड्यूटी का न मूलधन शेष है, न ब्याज...! निर्ब्याज ऋणमुक्त मुक्ति! बधाई हो वर्दी तुम्हें! जितना भी कटा जीवन, सभी को सलाम मारते कटा। जिसको भी सलाम मारने के लिए कहा गया, तुमने जूता पटककर अच्छा ही सैल्यूट मारा। काम ज़्यादा हो. ज़िन्दगी पता ही नहीं चलती - 'व्यापारेरबहुरकार्यभारगुरुभः कालो न विज्ञायते...' चलो, अब तुम आज़ाद हुए... हर ड्यूटी से, हर सैल्यूट से...

पर वर्दी, सुन लो। गलतफहमी में न रहना। तुम पुलिसिया वर्दी थीं। तुम्हारे जीवन की तो एक औकात थी, लेकिन तुम्हारी मौत से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ना। हर साल हज़ारों वर्दियां सिलती हैं, हर साल हज़ारों फटती हैं, हर साल हज़ारों मरती हैं। हे वर्दी! सुन लो, गलतफहमी में न रहना। तुम्हारे लिए कोई कैंडल मार्च न होगा। कुछ तयशुदा फंड होंगे, जो वक्त-वेवक्त तुम्हारी बेवा को दे दिए जाएंगे। तुम्हारे किसी एक बच्चे को नौकरी देने का भी नियम है, सो भी दे देंगे। पर तुम फटोगी नहीं, या मरोगी नहीं, यह गारंटी मत मांग लेना। तुम पर पत्थर भी पड़ेंगे, खा लेना। किसी और के गुनाहों से होने वाले उपद्रव में चुपचाप भीड़ से रौंदे जाना, धैर्य मत खोना, मर जाना, लेकिन किसी अपराधी के 'मानवाधिकार' को क्षति न पहुंचा देना। वकील अगर पीटे तो पिट लेना, उनसे भिड़ मत जाना। जज अगर डांटे, तो सुन लेना, पलटकर जवाब न दे देना। सीनियर गरियाए, तो प्रसाद समझना। वर्दी, सुनो, तुम किसी गलतफहमी में न रहना। न त्योहार मनाना, न बच्चों को खिलाना, 12-12 घंटे काम करना। समय के पाबंद रहना। गन्दे टॉयलेट की आरआई से शिकायत न कर देना। निजता का ख्याल दिल में न लाना। जहां भी बिस्तर पाओ, सो जाना। सुबह ड्यूटी बढ़िया करना। सबके दुःख दूर करना। कोई यूनियन मत बनाना। दूसरों को बनाने देना। ऐसे चक्कर में मत पड़ना। वर्दी, किसी गलतफहमी में न रहना।

तुम्हें क्या ज़रूरत थी जाकर डीजे रुकवाने की। जहां हर तरफ शोर है, थोड़ा और हो जाता। जिनके लिए रुकवाया, उनके घर में जुलुस के लिए एक भी मोमबत्ती नहीं है। दीपावली पर जलाने के लिए पिछले साल की बची हुई मोमबत्तियां हैं। उनका तुम क्या करोगे...! सुनो वर्दी, गालियां खाना ही तुम्हारी नियति है। इस 'देव-समाज' में तुम्हीं 'दानव' हो। तुम फकत वर्दी हो। तुम मानव नहीं हो, सो, मानवाधिकारों पर तुम्हारा दावा खारिज हुआ। जाओ मरो, डीजे को रोकते हुए, दंगे रोकते हुए, दर्द भोगते हुए, रोज़ भागते हुए... जाओ मरो, सैल्यूट मारते हुए, शान बघारते हुए, लेकिन सुन लो...! किसी गलतफहमी में न रहना। और अगर रोओ, तो सिर्फ सूखा रूदन करना, जो न दिखे। अश्रुविहीन, अ-गलित और अशोष्य। आवाज़ न हो। सन्नाटों में चटखना। हवन की लकड़ी की तरह। जलना, पर खुद न तपना। सुनो वर्दी, तुम्हें निभाना है, सो, कराहना मत...

'पहले मैं झुलसा
फिर धधका
और चटखने लगा

कराह सकता था
मगर कैसे कराह सकता था
जो कराहेगा
कैसे निबाहेगा'


(बदायूं में 17 फरवरी, 2016 को अकाल-मृत्युग्रस्त हुई वर्दी के लिए एक श्रद्धांजलि)

धर्मेंद्र सिंह भारतीय पुलिस सेवा के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com