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बिहार की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार की तरफ से महत्वाकांक्षी बिहार भूमि सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) की शुरुआत की गयी है. लोगों का मानना है कि बिहार में सबसे अधिक हिंसा और हत्या ज़मीन से जुड़े विवाद में होते हैं. सरकार ने अगले एक साल में राज्य में ज़मीन सर्वे का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है. जिसमें ज़मीन के काग़ज़ात की छानबीन कर उसका मालिकाना हक तय किया जायेगा. जिससे उस पर कोई विवाद ना हो. बिहार में वर्तमान में कई जिलों में आजादी से पहले का ही जमीन सर्वे रिकॉर्ड उपलब्ध है. यही कारण है कि कई जगहों पर इसे लेकर प्रशासनिक स्तर पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
भूमि सर्वेक्षण का क्या है उद्देश्य, यह लोगों के लिए क्यों है जरूरी?
भागलपुर के डीएम नवल किशोर चौधरी ने बताया कि वर्तमान में कई जगहों पर काफी पुराने खतियान के आधार पर काम चलाया जा रहा है. भूमि सर्वेक्षण का उद्देश्य पुराने खतियान को अपडेट करना है, जिसमें जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़े बदलाव शामिल होंगे. नये जेनरेशन के लोगों के बीच जमीन का बंटवारा होता है तो इस कारण से परेशानी होती है. इन सब कारणों से बिहार में भूमि विवाद बहुत अधिक बढ़ रहा है.
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— NDTV India (@ndtvindia) August 28, 2024
एनडीटीवी ने पटना हाईकोर्ट के वकील अमरेन्द्र नाथ वर्मा से भी इस मुद्दे पर बात कर उन बातों को जानना चाहा जो सवाल लोगों के मन में लगातार उठ रहे हैं. उन्होंने खुलकर तमाम बातों को बताया साथ ही उन्होंने इस सर्वे को आमलोगों के हित में बताया. हालांकि उन्होंने एक साल में इस सर्वे को पूरा करने के सरकार के दावों को नकारते हुए कहा कि अगर बहुत ही अनुशासित होकर इस सर्वे को किया गया तो यह अगले 2-3 साल में पूरा हो जाएगा.
सर्वे क्या है और ये क्यों जरूरी है?
अमरेन्द्र नाथ वर्मा ने बताया कि सबसे पहले अगर हम यह समझना चाहे कि यह सर्वे क्या है तो हम कहेंगे कि आजादी से पहले ही एक सर्वे हुआ था बाद में 1960 के दशक में एक रिवाइज्ड सर्वे किया गया था. यह सर्वे इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रिवाइज्ड सर्वे पूरा नहीं हो पाया था. बहुत जिलों में उसके सही रिकॉर्ड नहीं हैं. अभी वर्तमान में जमीन की क्या हालत है इसे लेकर कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. सरकार का रिकॉर्ड ग्रेट ग्रेंड फादर के नाम से चल रही है. इस कारण से खरीद और बिक्री में भी बेहद परेशानी होती रही है. इस मामले में सरकार की नियत बिल्कुल सही है. लैंड का रिकॉर्ड अपटुडेडट होनी चाहिए. अभी जो लोग हैं उनके नाम पर उसका रिकॉर्ड दर्ज होना चाहिए.
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खतियान क्या होता है?
खतियान, जमीन से जुड़ा एक दस्तावेज़ होता है. इसे सर्वे में बनाए जाने वाले अधिकार अभिलेख को भी कहा जाता है. खतियान में, हर जमीन के बारे में जानकारी होती है, जैसे कि उसका नाम, पिता का नाम, रकवा, प्लाट नंबर, मौज़े का नाम, परगना, तौज़ी नंबर, ज़िला, सरकार का नाम, और उसका पूरा पता. साथ ही, खतियान में हर किसान के प्लाट का क्षेत्रफल एकड़, डेसीमल, और हेक्टेयर में भी लिखा होता है.
गैरमजरूआ जमीन क्या होता है?
सर्वे 2 आधार पर होगा - टाइटल और पजेशन
सर्वे 2 आधार पर होगा एक टाइटल दूसरा पजेशन के आधार पर होगा. जमीन का टाइटल फिक्स करना सरकार के अंदर नहीं है हालांकि प्राथमिक तौर पर यह सर्वे में तय करना होगा कि इस जमीन पर टाइटल किसका है. साथ ही सर्वे में पजेशन भी देखना होगा कि जमीन का टाइटल और कब्जा एक ही व्यक्ति के नाम है या नहीं.
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जमीन पर कब्जा का आधार क्या होना चाहिए?
जमीन पर अगर किसी व्यक्ति का कब्जा है तो सर्वे में देखा जाएगा कि उसका आधार क्या है. कोई भी जमीन अगर उसके पास आया है और वो उसके ऊपर दावा करता है तो वो या तो खरीदने के बाद आया होगा. या उसे गिफ्ट मिला होगा. या विरासत में उसे मिला होगा. तीनों में से कोई एक माध्यम जमीन पर स्वामित्व के लिए लोगों को दिखाना ही होगा. इसके लिए जरूरी कागजात सर्वे के दौरान पेश करना होगा.
दान के माध्यम से मिले जमीन के लिए क्या है प्रावधान?
बिहार से बाहर रहने वाले लोग इस सर्वे में कैसे ले सकते हैं हिस्सा?
वैसे लोग जिनके जमीन बिहार में हैं लेकिन वो बिहार में नहीं रहते हैं उनके लिए फिजिकली उपस्थित होना अनिवार्य नहीं है. सरकार की तरफ से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही ऑप्शन उपलब्ध करवाए गए हैं. सरकार ने एक पोर्टल भी बनाए हैं. वो अपने टाइटल का पेपर उस पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं. जहां तक बात है प्लॉट पर पजेशन साबित करने के लिए तो वो उसके लिए पावर ऑफ अटर्नी दे सकते हैं. अगर पजेशन में परेशानी है तो उन्हें एक बार उस जगह पर जरूर आना होगा. विवादित मुद्दे में लोगों को आना ही होगा. लेकिन अगर जमीन पर कोई विवाद नहीं है तो वो बिना आए भी इसे पूरा कर सकते हैं.
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जिनका कागजी बंटवारा नहीं हुआ उनके लिए क्या है प्रावधान?
जमीन एक्सचेंज या 'बदलेन' करने वाले के लिए क्या है प्रावधान?
जमीन एक्सचेंज या 'बदलेन' के केस में भी अगर दोनों पक्षों की तरफ से सहमति है तो फिर कोई समस्या का सामना नहीं करना होगा. सरकार उसे वैलिडेट कर देगी और नए कागजात बन जाएंगे. लेकिन अगर कोई भी एक पक्ष इस बात से पीछे हट जाता है तो समस्या बढ़ सकती है.
क्या कृषि योग्य भूमि और अन्य जमीनों के सर्वे में कोई अंतर होगा?
नहीं, दोनों ही जमीन का सर्वे एक ही तरह से किया जाएगा. इसमें फर्क यह है कि जमीन बसने योग्य जमीन के प्लॉट छोटे होंगे क्योंकि उसका एरिया कम होगा तो उसकी माप छोटे इंकाईं से होगी. लेकिन सर्वे का तरीका एक ही होगा.
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