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Data Story: किसकी चॉकलेट छीनेंगे ओवैसी? बिहार में दूसरे चरण की 122 सीटों का पूरा वोट गणित

Bihar 122 Seats Analysis: पार्टीवार वोटों का ट्रांसफर अगर मौजूदा गठबंधन के मुताबिक हो तो मौजूदा परिदृश्य में सीटों का अंतर बढ़ सकता है- खासकर उन क्षेत्रों में जहां 2020 में मार्जिन बहुत कम था.

Data Story: किसकी चॉकलेट छीनेंगे ओवैसी? बिहार में दूसरे चरण की 122 सीटों का पूरा वोट गणित
  • बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 122 सीटों पर 2020 में वोट शेयर में बेहद करीबी मुकाबला देखने को मिला था
  • सीमांचल क्षेत्र में AIMIM की उपस्थिति ने RJD के वोट बैंक को प्रभावित कर चुनावी समीकरण बदल दिए हैं
  • मगध और अंग प्रदेश में जातीय और क्षेत्रीय वोटों के आधार पर NDA और महागठबंधन के बीच संतुलन का मुकाबला जारी है
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Bihar Elections 2nd Phase 122 Seats Analysis: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में जिन 122 सीटों पर वोटिंग होनी है, वहां का गणित दिलचस्प है. 2020 में यही वे क्षेत्र थे जहां मुकाबला कांटे का रहा. बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए और राजद-कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन के बीच सिर्फ 1.6 फीसदी वोट-शेयर का अंतर था. मगर नतीजे NDA के पक्ष में झुक गए. इन 122 सीटों में से लगभग 50 सीटें, खासकर मगध और सीमांचल की सीटें, चुनाव के पूरे नतीजे की दिशा तय करेंगी. सीमांचल में AIMIM की भूमिका RJD के लिए चुनौती है, वहीं NDA उम्मीद कर रहा है कि वोट बंटा तो ध्रुवीकरण उसके पक्ष में काम करेगा. इस बार देखना दिलचस्‍प होगा कि क्या नतीजे पहले जैसे रहेंगे या हवाएं अपना रुख बदलेंगी.

#2020: वोट बराबर, बढ़त NDA को

2020 में इन 122 सीटों पर NDA को 66 और महागठबंधन को 49 सीटें मिली थीं. वोट शेयर देखा जाए तो NDA को 38.07% और महागठबंधन को 36.43% वोट मिले. यानी वोट बराबर बंटे, लेकिन NDA ने रणनीतिक सीटों पर बेहतर तालमेल के दम पर बढ़त बनाई.

अंग प्रदेश, मिथिलांचल और तिरहुत में बीजेपी ने भारी वोट फीसदी हासिल किया, जबकि मगध और सीमांचल में RJD का प्रभाव स्पष्ट दिखा. मगध की 26 सीटों में RJD+ को 40% से ज़्यादा वोट मिले, वहीं सीमांचल में RJD और AIMIM दोनों का प्रभाव रहा. AIMIM को यहां 10.81% वोट मिले थे, जिसने कई जगह मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया.

सीमांचल: जहां AIMIM बन गई ‘किंगमेकर'

सीमांचल क्षेत्र (किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और आसपास के जिले) में 24 सीटें आती हैं. यहां AIMIM का प्रभाव अब पहले से कहीं ज़्यादा माना जा रहा है. 2020 में ओवैसी की पार्टी ने इस इलाके में पाँच सीटें जीतकर सभी राजनीतिक समीकरण उलट दिए थे.

यहां की आबादी में मुस्लिम वोट निर्णायक है, और यह वोटबैंक पहले RJD और कांग्रेस का परंपरागत समर्थन आधार माना जाता था. लेकिन 2020 में AIMIM की एंट्री ने RJD के समीकरण को झटका दिया.

इस बार अगर AIMIM दोबारा मैदान में सक्रिय रही, तो उसका असर सीधा RJD+ पर पड़ेगा. वोट विभाजन की स्थिति में NDA को अप्रत्यक्ष लाभ हो सकता है. NDA भले सीमांचल में पिछली बार कमजोर दिखा था (2020 में NDA का औसत वोट 36%), लेकिन अगर AIMIM ने मुस्लिम वोटों में सेंध मारी, तो कई सीटों पर परिणाम बदल सकते हैं.

मगध-अंग में NDA की रणनीति की असली परीक्षा

मगध में पिछली बार RJD ने जोरदार प्रदर्शन किया था. यहां के जातीय समीकरण- यादव, मुस्लिम और दलित वोटों का मिश्रण- RJD के पक्ष में रहे. पर NDA ने अपनी भरपाई अंग प्रदेश में की, जहां उसने 41% से अधिक वोट हासिल किए थे. मिथिलांचल और तिरहुत NDA की परंपरागत ताकत रहे हैं. मिथिलांचल में बीजेपी+ का वोट-शेयर 44% से अधिक था, जबकि RJD वहां 35% के आसपास रुकी. आंकड़े स्‍पष्‍ट दिखाते हैं कि RJD की ताकत दक्षिण और पूर्व बिहार में है, जबकि NDA की पकड़ उत्तर और मध्य बिहार में. दूसरा चरण इन दोनों क्षेत्रों के बीच एक तरह की ‘मिड-लाइन' बनाता है- जहां दोनों गठबंधनों का संतुलन डगमगा सकता है.

LJP और VIP की ‘साइलेंट' मौजूदगी

पिछले चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, LJP की उपस्थिति खासतौर पर मगध और भोजपुर में असर डाल सकती है. 2020 में उसे यहां 5-6% वोट मिले थे, जो कई सीटों पर मार्जिन के बराबर थे. अगर इस बार NDA और LJP में तालमेल ठीक रहा तो ये वोट फिर से NDA की ओर झुक सकते हैं. वहीं दूसरी ओर मुकेश सहनी की पार्टी VIP का भी सीमांचल और मिथिलांचल में असर दिखता है. छोटा वोट बैंक होने के बावजूद ये पार्टी कई जगह ‘स्पॉयलर' बन सकती है.

वोट-ट्रांसफर हुआ तो बदल जाएगी तस्वीर!

राजनीति में 2 जोड़ 2, चार तो नहीं होते, लेकिन पिछले बार के चुनावी आंकड़ों का विश्‍लेषण करने पर कुछ अनुमान लगाए जा सकते हैं. आंकड़ों के अनुसार, अगर सहयोगी दलों के बीच 100% वोट-ट्रांसफर हो जाए, तो NDA का वोट-शेयर बढ़कर 43.97% तक पहुंच सकता है, जबकि RJD+ लगभग 37.45% पर रहेगा.

...तो बढ़ जाएगा सीटों का अंतर!

पार्टीवार वोटों का ट्रांसफर अगर मौजूदा गठबंधन के मुताबिक हो तो मौजूदा परिदृश्य में सीटों का अंतर बढ़ सकता है- खासकर उन क्षेत्रों में जहां 2020 में मार्जिन बहुत कम था. आंकड़े संभावना जताते हैं कि NDA को 122 में से 66 सीटों पर बढ़त मिल सकती है, जबकि महागठबंधन का आंकड़ा 50 से नीचे रह जाएगा. (हालांकि ये कोई ओपिनियन पोल नहीं है.)

आंकड़ों में तो इस बार भी मुकाबला, 2020 की तरह कांटे का होता दिख रहा है, लेकिन मैदान पर समीकरण पहले से ज्यादा जटिल हैं.

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