विज्ञापन

बिहार में 94 लाख परिवारों को 2-2 लाख, पेंशन 400 से बढ़ाकर 1100, मानदेय डेढ़ गुना... नीतीश का चुनावी मास्टरस्ट्रोक! 

कैबिनेट के ये 4 से 5 बड़े फैसले बिहार के बड़े तबके को लुभाएगा, चाहे वह महिलाएं हों या फिर जातिगत जनगणना से लाभान्वित दलित और पिछड़े समाज के लोग या फिर पंचायत स्तर पर काम एवं राजनीति करने वाली एक बड़ी फौज.

बिहार में 94 लाख परिवारों को 2-2 लाख, पेंशन 400 से बढ़ाकर 1100, मानदेय डेढ़ गुना... नीतीश का चुनावी मास्टरस्ट्रोक! 
  • बिहार में 94 लाख परिवारों को 2 लाख रुपये देने का ऐलान किया गया.
  • सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये की गई.
  • पंचायती राज प्रतिनिधियों का मानदेय 1.5 गुना बढ़ाया गया और मनरेगा राशि बढ़ाई गई.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

बिहार में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे बिहार सरकार एक-एक कर अपने तुरुप के पत्ते निकालती जा रही है. मंगलवार को बिहार कैबिनेट में लिए गए फैसलों में, कई ऐसे फैसले हैं, जिसका प्रदेश के चुनाव पर सीधा असर पड़ेगा. ये फैसले न केवल लोकलुभावन हैं, बल्कि एक बड़े तबके को सीधा प्रभावित करते हैं और सत्ताधारी दल ये उम्मीद भी करेंगे कि इन फैसलों के बाद, इसके लाभार्थियों का रुझान उनकी ओर बढ़ेगा.

कैबिनेट में लिए गए फैसलों की अहमियत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अमूमन कैबिनेट की मीटिंग के बाद उसमें लिए गए फैसलों की ब्रीफिंग के लिए प्रदेश के कैबिनेट सचिव बैठते हैं, लेकिन मंगलवार को इसकी ब्रीफिंग खुद बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने की और उनके साथ कैबिनेट सचिव एस सिद्धार्थ एवं स्वास्थ्य सचिव और विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत भी मौजूद थे.

Latest and Breaking News on NDTV

94 लाख परिवारों को दो-दो लाख

इन फैसलों में सबसे अहम फैसला जातिगत जनगणना को लेकर लिया गया. नीतीश कैबिनेट ने जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों के आधार पर 94 लाख परिवारों को बिहार में दो-दो लाख दिए जाने की मंजूरी दे दी. यानी 94 लाख परिवारों में अगर प्रति परिवार 4 व्यक्ति या वोटर भी माना जाए, तो लगभग चार करोड़ वोटरों को यह फैसला सीधा प्रभावित करेगी.

दूसरा महत्वपूर्ण फैसला सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि को लेकर लिया गया. गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को दिए जाने वाली सहायता राशि पहले ₹400 थी, जिसे बढ़ाकर ₹1100 कर दिया गया, यानी बिहार की बहुत बड़ी आबादी इससे लाभान्वित होगी और सत्तारूढ़ दल उम्मीद करेगी कि वो लाभान्वित तबका, चुनाव में उन पर नज़रें इनायत करें.

पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय डेढ़ गुना बढ़ा

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण फैसला पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरियों के प्रतिनिधियों के लिए लिया गया. नीतीश कैबिनेट ने उनके मानदेय को सीधा डेढ़ गुना बढ़ा दिया और ये पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तर के प्रतिनिधियों पर लागू होगा. यानी गांव और पंचायत के स्तर पर वोट को प्रभावित करने वाला एक बड़ा तबका,  जिसके पॉकेट में पहले से अधिक धनराशि आएगी. उनके मानदेव को बढ़ाने के अलावे ग्राम पंचायतों को मनरेगा के तहत पहले जो ₹5 लाख तक खर्च करने की अधिकतम सीमा थी, उसे बढ़ाकर ₹10 लाख  कर दिया गया. यही नहीं, पंचायती राज प्रतिनिधियों के सदस्यों की आकस्मिक एवं सामान्य मृत्यु पर पांच लाख रुपए की राशि भी देय होगी.

Latest and Breaking News on NDTV

महिलाओं के लिए बैंक से मिलने वाले ऋण की क्वांटिटी बढ़ाने का फैसला

महिलाओं का बड़ा तबका भी नीतीश के कैबिनेट के फैसले से लाभान्वित हुआ. जीविका दीदी, जो कि गांव और पंचायत के स्तर पर काम करने वाली ग्रामीण महिलाएं हैं और जो सीधे तौर पर सरकार के विकास योजनाओं को जमीन पर उतारने में अपनी भूमिका निभाती हैं, उनको बैंक से मिलने वाले ऋण की क्वांटिटी बढ़ाने का फैसला भी किया गया है तथा ब्याज दर में राहत देने की बात भी हुई है.

सभी जीविका दीदियों को बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में 'दीदी की रसोई'  चलाने का जिम्मा दिया गया है. एक सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर और गरीब मरीजों के लिए जो खाना पहले ₹40 में मिलता था, अब वो 20 रुपए में मरीजों को मिलेगा. इससे उन्हें साल भर का रोजगार मिलेगा और उनके आय में सीधे तौर पर वृद्धि होगी.

यही नहीं बल्कि राज्य सरकार ने यह भी ऐलान किया कि गरीब परिवार की बेटियों के विवाह कार्यक्रम में सुविधा के लिए, सभी पंचायतों में विवाह भवन का निर्माण कराया जाएगा. इस योजना को 'मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना' का नाम दिया गया है. सरकार मानती है कि इस योजना से बड़ी संख्या में महिलाएं लाभान्वित होंगी और खासकर विवाह के उम्र वाली लड़कियां, यानी फर्स्ट टाइम फीमेल वोटर्स.

Latest and Breaking News on NDTV

Photo Credit: IANS

नीतीश सरकार का चुनावी मास्टर स्ट्रोक!

कुल मिलाकर कैबिनेट के ये 4 से 5 बड़े फैसले बिहार के बड़े तबके को लुभाएगा, चाहे वह महिलाएं हों या फिर जातिगत जनगणना से लाभान्वित दलित और पिछड़े समाज के लोग या फिर पंचायत स्तर पर काम एवं राजनीति करने वाली एक बड़ी फौज. जब ऐसी लुभावनी योजनाएं सरकार से चुनाव के ठीक पहले उनकी झोली में गिरेगी तो सरकार यह उम्मीद भी रखती है कि जब वो चुनाव के दिन कतार में खड़े होंगे तो उसकी इस दरियादिली को याद रखेंगे.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com