बिहार में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार सरकार में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP)असहज है, यह बात किसी से छिपी नहीं है. पार्टी खुलकर इसके समर्थन में नहीं बोलती है, सैद्धांतिक रूप से इसका विरोध तो वह कई बार कर चुकी है. बहरहाल, बुधवार शाम बीजेपी आलाकमान से हरी झंडी मिलने के बाद पार्टी ने इस मुद्दे पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में लेने की पुष्टि तो कर दी, लेकिन गुरुवार को कोई नेता इस मसले पर बाइट देने से बचता रहा. जानकारी के अनुसार, सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार शाम को बीजेपी के एक प्रभावशाली केंद्रीय मंत्री से बातचीत की थी. इस मंत्री के आश्वासन के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर सभी दलों से बात कर रहे अपने संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी को बैठक के लिए एक जून की तारीख घोषित करने के लिए कहा था. लेकिन ये मंत्री बुधवार दोपहर तक बिहार के नेताओं को यह संदेश नहीं पहुंचा पाए थे. यही कारण था कि बिहार के सारे नेता इस बारे में सवाल पूछे जाने पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे थे. जैसे ही दोपहर बाद उन्होंने बिहार के बीजेपी के नेताओं को इस संबंध में पार्टी के फैसले की जानकारी दी और दिल्ली में मीडिया को आधिकारिक रूप से यह खबर लीक की गई, बिहार के नेताओं ने इस संबंध में ट्वीट करना शुरू कर दिया यह नीतीश कुंमार की एक बड़ी जीत मानी जा रही है.
आखिरकार शाम को बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने इसे लेकर ट्वीट किया. इससे पूर्व, जब भी इस मुद्दे पर सवाल पूछा जाता था तो जायसवाल मुखर होकर अपना विरोध और इस विषय पर पार्टी का स्टैंड साफ़ करते थे.
माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने 1 जुन को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। भारतीय जनता पार्टी भी उसमे भाग लेगी।
— Dr. Sanjay Jaiswal (@sanjayjaiswalMP) May 25, 2022
डॉ. संजय जायसवाल के ट्वीट के बाद उप मुख्य मंत्री तारकिशोर प्रसाद, जो गुरुवार को अपने विधानसभा क्षेत्र कटिहार में थे और मीडिया को 'नो कमेंट' कहकर टाल रहे थे ने भी ट्वीट करके इसकी पुष्टि की.
माननीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी द्वारा 1 जुन को आहूत सर्वदलीय बैठक में भारतीय जनता पार्टी भाग लेगी।
— Tarkishore Prasad (@tarkishorepd) May 25, 2022
जनता दल यूनाइटेड के नेताओं के अनुसार, अब ये देखना दिलचस्प होगा कि एक जून की सर्वदलीय बैठक में बीजेपी के तरफ़ से किसे भेजा जाता है.अब तक ये देखा गया है कि यह संदेश जाने के डर से कि बीजेपी इस मुद्दे पर विरोध कर रही है, पार्टी उपस्थिति के नाम पर किसी को भेजकर इस मामले में ख़ानापूर्ति कर लेती है. उदाहरण के तौर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने जब पिछले साल अगस्त माह में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में सभी दलों के विधायक दल के नेता पहुंचे जबकि भाजपा के तरफ़ से मंत्री जनक राम इसमें शामिल थे.
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