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    लता मंगेशकर : जब दिल ने कोई आवाज़ सुनी, तेरा ही तराना याद आया...

    उस्ताद अमान अली ख़ाँ भेंड़ी बाज़ार वाले की शिष्या और पटियाला घराने के उस्ताद बड़े गुलाम अली ख़ाँ की चहेती पाश्र्वगायिका के सांगीतिक जीवन के अनेकों दुर्लभ उपलब्धियाँ हैं, जो कहीं इस बात पर मुहर लगाती हैं कि हर कला संगीत के शिखर पर पहुँचने का स्वप्न देखती है.

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    क्रिकेट की दीवानी हैं लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर की हार-जीत से बदलता था मूड

    15 अगस्त, 1947 को जहां देश आज़ाद हुआ, वहीं दत्ता डावजेकर के संगीत-निर्देशन में पहली बार लता मंगेशकर ‘आपकी सेवा में’ फ़िल्म के लिए अपने करियर का पहला गीत ‘पा लागूं कर जोरी’ साल 1947 में ही गा रही हैं. यह बात जितनी ऐतिहासिक है, उतनी ही सामाजिक, राजनीतिक बदलावों के तहत फ़िल्म संगीत के हवाले से महत्त्वपूर्ण भी.

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    एक बार सुन लिए आशा भोंसले के ये गीत तो खो बैठेंगे दिल का चैन

    आशा भोंसले ने जब गायकी में अपनी रफ्तार पकड़ी तो उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, यतींद्र मिश्र उनकी गायकी और 10 बेहतरीन गीतों से करा रहे हैं रू-ब-रू

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    Birthday Special: एक रेशमी एहसास का नाम है 'गुलज़ार'

    गुलज़ार एक रेशमी एहसास का नाम है, जिनकी कविता और गीतों की हरारत का एक सिरा उन अफसानों से होकर गुजरता है, जो विभाजन की त्रासदी से निकली हैं.

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