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ब्लॉग राइटर
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सुशील महापात्रा की कलम से : पीएम का वादा और सीएम का दावा, इन मज़दूरों के आगे सब है फेल
मैं जानता हूं कि ये तस्वीर देखकर आप के मन में कोई सवाल खड़ा नहीं होगा। बिना सोचे आपका यही जवाब होगा की यह किसी बाज़ार की तस्वीर है जहाँ लोग मार्केटिंग करने आए हैं।
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ऋचा जैन कालरा की कलम से : क्या 'नो कार डे' लागू करने का वक्त आ गया है...
आज हैदराबाद के सायबराबाद के आईटी कॉरिडोर में वह हो रहा है, जिसकी ज़रूरत देश के हर शहर, हर महानगर को है। यहां के आईटी कॉरिडोर में लगभग पचास हज़ार निजी कारें सड़कों से गायब हैं।
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जब मैं कलाम से अवार्ड लेते-लेते रह गई थी : स्वाति अर्जुन
कल रात जब रात नौ बजे किसी दोस्त से बातें कर रहीं थी तो उसने रोकते हुए कहा, रुक जाओ बड़ी बुरी ख़बर आ रही है। डॉ कलाम नहीं रहे....आंखें तभी से नम हैं, आंसु गाहे-बगाहे पलकों की यात्रा कर.....लौट जा रहे हैं...