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ब्लॉग राइटर
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मैं खुशनसीब हूं, मुझे मिला है दो मांओं का प्यार
रिश्तों की डोर बेहद नाजुक होती हैं और अगर इनमें जरा-सा भी खिंचाव आ जाए तो ये ताउम्र सहज नहीं हो पाते. वैसे तो अपनों के लिए दिल में हमेशा खास जगह होती है, लेकिन जितने भी रिश्ते धरती पर आने के बाद बनते हैं, उनमें से मुझे लगता है कि सबसे अच्छा रिश्ता मां और बेटी का होता है. इस रिश्ते को शब्दों में बांधना बेहद मुश्किल काम है. फिर बांधना चाहिए भी नहीं, क्योंकि मां का प्यार तो हर जगह हमारे साथ होता है.
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- शिखा शर्मा
- मई 13, 2017 23:49 pm IST
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सातवां वेतन आयोग, कहीं लाया खुशी तो कहीं दे गया गम....
मैं जानती थी कि मेरा जवाब अंकल को निराश करने वाला था। इसलिए मैं कुछ देर तक चुप रही, उधर से अंकल बोले, 'बेटा क्या हुआ...?' मैंने हिम्मत जुटाई और कहा कि अंकल सातवें वेतन आयोग से प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों की सैलरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए है।
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- जून 29, 2016 23:56 pm IST
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हाथ छूटा है पर रिश्ता नहीं....जी हां पापा
मेरे पिता अब हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन आज भी कहीं ना कहीं से वे हमें हिम्मत और हौसला दे रहे हैं। आज भी जब कभी मैं निराश होती हूं, तो उनकी तस्वीर के आगे जाकर खड़ी हो जाती हूं। मैं फिर परेशानियों से जूझने और उनसे पार पाने के लिए तैयार हो जाती हूं। उनसे हमारा हाथ ही तो छूटा है, रिश्ता तो नहीं…!
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- जून 19, 2016 02:44 am IST
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कुछ ऐसा है मेरा और मेरी मां का रिश्ता...सबसे अलग, सबसे अनोखा
बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं था, लेकिन आज मन किया कि क्यों न मदर्स डे पर कुछ लिखा जाए...। कुछ ऐसा जिसका भले ही कोई अर्थ न हो, लेकिन जो मेरी मां को मेरे प्यार का अहसास दिलाने को लेकर गंभीर जरूर हो..।