Ganga Dussehra 2023: प्रतिवर्ष पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा मनाया जाता है. मान्यतानुसार इसी दिन गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. गंगा अवतरण के शुभ अवसर को ही गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाने लगा. माना जाता है कि जो भक्त गंगा में डुबकी लगा लेते हैं उनके सभी पाप मिट जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. गंगा मैया (Ganga Maiya) ब्रह्म देव की पुत्री हैं और उनका जन्म मान्यतानुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर हुआ था. गंगा मैया के जन्म से लेकर अवतरण और उसके बाद के जीवन से बहुत सी खास और रोचक बातें जुड़ी हुई हैं. जानिए गंगा मैया की जीवन की कथा यहां.
गंगा दशहरा पर जानिए गंगा मैया से जुड़ी रोचक बातें
वामन पुराण के अनुसार गंगा मैया का जन्म भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के वामन अवतार के चलते हुआ था. कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर एक पैर आसमान में उठाया था जिसके पश्चात ब्रह्म देव ने उस पैर को धोया और पानी को कमंडल में रख लिया. इस कमंडल में जो जल था उसी से गंगा का जन्म हुआ था. यह भी कहा जाता है कि वामन देव के पैरों से आसमान में छेद हो गया था और उससे गंगा मैया का जन्म हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्म देव ने गंगा मैया को श्राप दिया था जिसके पश्चात ही गंगा का धरती पर अवतरण हुआ.
माना जाता है कि एक बार ब्रह्म देव (Brahma Dev) की सेवा में देवता व राजा महाभिष उपस्थित हुआ थे. वहां गंगा भी उपस्थित थीं. इस दौरान गंगा और राजा महाभिष एकदूसरे को देख रहे थे जिसपर ब्रह्म देव की भी नजर पढ़ गई. इससे क्रोधित होकर ब्रह्म देव ने दोनों को श्राप दिया कि उन्हें पृथ्वी पर अवतरण करना होगा. ब्रह्म देव के इस श्राप के चलते ही गंगा मैया का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था.
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा महाभिष ने धरती पर शांतनु के रूप में अवतार लिया था. दोनों ने विवाह किया जिसके पश्चात उनके आठवें पुत्र के रूप में ही भीष्म ने जन्म लिया था. भीष्म से पहले गंगा ने अपने सात पुत्रों को मार दिया था. कहा जाता है कि ऐसा वशिष्ठ ऋषि के श्राप के चलते हुआ था. महाभारत में इस पूरी कथा का विस्तार से वर्णन है.
गंगा मैया के जीवन से एक और बेहद रोचक कथा जुड़ी हुई है. गंगा को जन्म के पश्चात ब्रह्म देव ने उन्हें हिमालय को सौंप दिया था. हिमालय की पुत्री माता पार्वती को माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार गंगा भगवान शिव (Lord Shiva) से विवाह करना चाहती थीं लेकिन उनकी बहन पार्वती इससे खुश नहीं थीं. इसलिए गंगा ने कठोर तप से भोलेनाथ को प्रसन्न किया और उनकी जटाओं में स्थान पाया. इसके पश्चात ही गंगा मैया ने भगवान शिव की जटाओं से निकलकर धरती पर अवतरण किया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)