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This Article is From Dec 12, 2018

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सियासी वनवास खत्म, मगर किसका होगा राजतिलक, अब भी बड़ा सवाल

मध्य प्रदेश विधानसभा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के साथ ही कांग्रेस ने अपना सियासी वनवास खत्म कर लिया है.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सियासी वनवास खत्म, मगर किसका होगा राजतिलक, अब भी बड़ा सवाल
मध्य प्रदेश चुनाव परिणाम: कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश विधानसभा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के साथ ही कांग्रेस ने अपना सियासी वनवास खत्म कर लिया है. राज्य में करीब 15 साल तक सत्ता से बाहर रही कांग्रेस लिए यह जश्न का वक्त है क्योंकि बसपा और सपा के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार बनाती दिख रही है. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों के परिणाम आने के बाद 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश किया है. हालांकि, कांग्रेस की सरकार मध्य प्रदेश में बनती तो दिख रही है, जिसके लिए कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है और राजभवन ने अपनी सहमति भी जता दी है. मगर अभी बड़ा सवाल है कि आखिर कांग्रेस मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर किसका राजतिकल करेगी. मध्य प्रदेश की ताज का सरताज कौन होगा यह अब भी बड़ा सवाल है. क्योंकि दावेदार दो बताए जा रहे हैं- कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया. 

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दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद ही यह निर्णय होगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया या फिर कमलनाथ में से कौन सीएम के रूप में आगे लाए जाते हैं. हालांकि, सूत्रों का मानना है कि दोनों नामों में से एक नाम पर सहमति राहुल गांधी और कांग्रेस का आलाकमान ही करेगा. हालांकि, खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री को लेकर फैसला हाईकमान ही लेगा. 
 

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लेकिन मुख्यमंत्री के रेस में अभी कौन सबसे आगे चल रहे हैं, इस सवाल पर अभी भी संशय है. राजनीतिक पंडितों की मानें तो कमलनाथ का पलड़ा ज्यादा भारी लग रहा है. इसकी वजह है कि कमलनाथ न सिर्फ ज्यादा अनुभवी और मझे हुए राजनेता हैं, बल्कि उनकी राजनीतिक सोच और समझ भी ज्यादा परिपक्व नजर आती है. चुनाव कवर करने वाले राजनीतिक पत्रकारों का मानना है कि राज्य में टिकट बंटवारे में भी कलनाथ का ज्यादा हस्तक्षेप रहा. 

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वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में यह बात जाती है कि वह कांग्रेस के लिए राज्य में एक युवा चेहरा के तौर पर हैं. बीते कुछ सालों में उन्होंने अपनी राजनीति को जो दिशा दी है, उससे वहां के लोगों की नजर में उनकी छवि काफी बेहतर हुई है. मगर कांग्रेस में अभी भी वह कमलनाथ के कद की तुलना में पीछे ही माने जा रहे हैं. ऐसा बताया जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का टिकट बंटवारे में ज्यादा नहीं चल सका है. वहीं अगर 15 साल बाद सत्ता में कांग्रेस की वापसी हो रही है तो इसके पीछे कमलनाथ की रणनीतिक का कमाल ही माना जा रहा है. हालांकि, इससे  भी कोई इनकार नहीं कर सकता है कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की जोड़ी ने ही कांग्रेस को जीत का स्वाद चखवाया है.

मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की कवायद में जुटी कांग्रेस, राज्यपाल ने मिलने का समय दिया

मगर कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में से किसी एक का चुनाव आज शाम तक हो जाएगा. मगर इतना जरूर है कि कांग्रेस पार्टी जो भी फैसला लेगी, वह लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जरूर लेगी. बता दें कि सभी 230 सीटों पर परिणाम आने के बाद कांग्रेस को 114, भाजपा के 109, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को दो, समाजवादी पार्टी को एक और निर्दलीय उम्मीदवारों को चार सीटें मिली हैं. बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. इससे पहले सपा ने भी कांग्रेस कोही समर्थन देने का ऐलान किया है. इससे अब कांग्रेस की राह आसान हो गई है और अब कांग्रेस आसानी से सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़े को पूरा कर लेगी.  

VIDEO: मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलने का मांगा समय

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