
- इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है.
- बीजेपी ने बी सुदर्शन रेड्डी पर माओवादी विद्रोह को कमजोर करने वाली न्यायिक फैसलों के कारण आलोचना की है.
- उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन 21 अगस्त को होगा और मतदान 9 सितंबर को गोपनीय मतपत्र से होगा.
देश में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीति तेज हो गई है. एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के सामने INDIA गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को अपना प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने देश के दूसरे सबसे बड़े पद के लिए होने वाले इस चुनाव को एक वैचारिक लड़ाई बताया है. वहीं बीजेपी ने प्रत्याशी के चयन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि विपक्ष ने एक ऐसे आदमी को संविधान के इतने बड़े पद के लिए चुना है, जिसकी पहचान देश में नक्सल विरोधी लड़ाई को कमजोर करने से जुड़ी रही है.
कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
- बी. सुदर्शन रेड्डी का एक लंबा और कानूनी करियर रहा है, जिसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश, गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्य शामिल है.
- बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले के आकुला मायलावरम गांव में हुआ. वे किसान परिवार से जुड़े हुए हैं.
- हैदराबाद में पढ़ाई की और 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से विधि की डिग्री प्राप्त की. उसी साल वकालत के लिए पंजीकरण कराया. इसके बाद वे वरिष्ठ अधिवक्ता के. प्रताप रेड्डी के चैंबर में शामिल हुए.
- आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में रिट और दीवानी मामलों में वकालत की. 1988 से 1990 तक, उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में सरकारी वकील के रूप में कार्य किया. इसके बाद कुछ समय के लिए केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में नियुक्त हुए.
- साल 1993-94 के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष चुने गए. 8 जनवरी 1993 को उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील नियुक्त किए गए.
- 2 मई 1995 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए. उसके बाद 5 दिसंबर, 2005 को उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया.
- 12 जनवरी, 2007 को बी. सुदर्शन रेड्डी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश चुना गया था. वह 8 जुलाई, 2011 को सेवानिवृत्त हुए.

बी. सुदर्शन रेड्डी के वो फैसले जो सुर्खियों में रहे :
- - सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बी. सुदर्शन रेड्डी ने सलवा जुडूम को रद्द कर दिया. ये छत्तीसगढ़ सरकार की माओवादी विद्रोहियों से लड़ने के लिए आदिवासी युवाओं को हथियारबंद करने की नीति थी.
- - भोपाल गैस त्रासदी के मामले में फैसले दिए, आरोप लगे कि इससे मुख्य अभियुक्त वॉरेन एंडरसन को बचने में मदद मिली.
- - इजरायल को भारत के हथियारों के निर्यात के खिलाफ याचिका दायर की. इस याचिका में 25 नागरिकों में वो भी शामिल थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत की ओर से इजरायल के साथ हथियारों को लेकर समझौता कर रहे थे.
सलवा जुडूम मामले में फैसले ने माओवादियों के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया- बीजेपी
इधर बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए कहा, "5 जुलाई 2011 को, न्यायमूर्ति रेड्डी ने सलवा जुडूम मामले में फैसला सुनाया - जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार की माओवादी विद्रोहियों से लड़ने के लिए आदिवासी युवाओं को हथियारबंद करने की नीति को रद्द कर दिया गया. यह फैसला दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर द्वारा दायर एक याचिका पर आया, जिन पर लंबे समय से नक्सली समूहों से निकटता का आरोप है और बस्तर में एक हत्या की एफआईआर में भी उनका नाम था (जिसे बाद में हटा दिया गया). वह द वायर के वामपंथी संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी भी हैं."

उन्होंने कहा, "इस फैसले को न केवल राज्य सरकार की उग्रवाद-विरोधी रणनीति पर एक प्रहार के रूप में देखा गया, बल्कि माओवादी आंदोलन से जुड़े लोगों के प्रति न्यायिक सहानुभूति के उदाहरण के रूप में भी देखा गया. ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान कर रहे हैं, इंडी गठबंधन ने एक ऐसे उम्मीदवार को खड़ा करने का फैसला किया, जिसकी विरासत पर उग्रवाद को बढ़ावा देने वालों का साथ देने का कलंक है."
Former Supreme Court judge B. Sudarshan Reddy, now put forward by the I.N.D.I Alliance for the Vice President's office, is remembered for a judgment that weakened India's fight against Naxalism.
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 19, 2025
On 5 July 2011, Justice Reddy delivered the verdict in the Salwa Judum case —… https://t.co/Ti7o9RokXG
अमित मालवीय ने कहा, "यह मुकाबला केवल एक संवैधानिक पद को भरने के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि क्या भारत के सर्वोच्च पद हिंसक उग्रवाद के विरुद्ध राष्ट्रीय संकल्प की भावना को दर्शाएंगे, या अतीत के वैचारिक समझौतों की ओर लौट जाएंगे. चुनाव स्पष्ट है, यह राष्ट्रीय कर्तव्य और उन लोगों के बीच एक वैचारिक लड़ाई है, जिन्होंने अपने शब्दों और कर्मों से भारत के दुश्मनों के प्रति सहानुभूति दिखाई है."
वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने भी विपक्ष के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "इंडी गठबंधन ने एक बार फिर अपने पाखंड और मूल्यों के दिवालियेपन को उजागर किया है. कांग्रेस ने बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है – एक ऐसे व्यक्ति जिनका रिकॉर्ड ख़तरनाक फ़ैसलों, राष्ट्र-विरोधी सहानुभूति और अवसरवाद से दागदार है."
प्रदीप भंडारी ने कहा, "कांग्रेस अपने उम्मीदवार के बारे में ये तथ्य छिपाना चाहती है:
- - एक समय कांग्रेस ने उन पर 'जी-हुजूरी' करने का आरोप लगाया था, लेकिन आज उन्हें एक नायक के रूप में पेश किया जा रहा है.
- - सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, उन्होंने सलवा जुडूम को रद्द कर दिया – जिसने माओवादी हिंसा के चरम पर नक्सलियों के खिलाफ भारत की लड़ाई को पंगु बना दिया.
- - इज़रायल को भारत के हथियारों के निर्यात के खिलाफ याचिका दायर की – जिससे भारत की वैश्विक साझेदारियां कमज़ोर हुईं.
- - भोपाल गैस त्रासदी के पर्दाफ़ाश में कांग्रेस का बचाव किया, एंडरसन के भागने के मामले को फिर से खोलने से इनकार कर दिया.
- - तेलंगाना में जाति जनगणना में खामियों और ओबीसी के कम प्रतिनिधित्व की भरमार"

बीजेपी प्रवक्ता ने आगे कहा, "2013 में, कांग्रेस और एनसीपी ने लोकायुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी थी और उन्हें कठपुतली करार दिया था. 2025 में, वही व्यक्ति अब उनका 'मसीहा' है! कांग्रेस ने न्यायमूर्ति गोगोई पर राज्यसभा में जाने के लिए हमला किया, लेकिन उपराष्ट्रपति पद के लिए खुद सेवानिवृत्त न्यायाधीश को मैदान में उतार दिया. यह चुनाव सिर्फ़ एक उम्मीदवार के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि क्या भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रीय संकल्प को दर्शाएंगे या राष्ट्रीय सुरक्षा पर कांग्रेस के गंदे समझौते को!"
बी. सुदर्शन रेड्डी 'इंडिया' ब्लॉक की ओर से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे. जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव की जरूरत पड़ी है. 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होगी.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि वाले तमिलनाडु के एक अनुभवी भाजपा नेता रहे हैं.
उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 66(1) के तहत होता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित व नामांकित सदस्य वोट करते हैं. इस चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया गोपनीय मतपत्र से होती है.
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