
खजांची का जन्म नोटबंदी के दौरान बैंक कतार में हुआ था
कानपुर देहात:
खजांची नाम का यह नवजात बोल नहीं सकता है, सिर्फ मुस्कुरा भर सकता है और वह अपने सिर को सीधा रखने की कोशिश कर रहा है. लेकिन वह यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार का एक प्रतीक है. राज्य में शनिवार को शुरू होने जा रहे चुनावों से पहले अखिलेश अपनी रैलियों में खजांची का जिक्र करते रहे हैं. खजांची को उसकी मां ने पीएम मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा किए जाने के बाद बैंक के बाहर कतार में जन्म दिया था.
कानपुर में पिछले दिनों एक रैली में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- बैंक कतार में एक बच्चे का जन्म हुआ. बैंक के कर्मचारियों ने उसे खजांची नाम दिया. मैंने उस नाम का सम्मान करते हुए उसे दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी. अखिलेश ने कहा कि नोटबंदी से अमीरों को नहीं, गरीबों को तकलीफ हुई.
खजांची की मां सर्वेशा देवी बैंक की कतार में पांच घंटे तक खड़ी रही, जिसके बाद उसे प्रसव पीड़ा होने लगी. यह बच्चा उनकी पांचवीं संतान है. उसके जन्म से कुछ समय पहले ही सर्वेशा के पति की मौत हो गई थी. वह एक सपेरा था. बैंक कर्मचारियों और अन्य लोगों ने बच्चे का नाम खजांची रखने का सुझाव दिया, जिसे सर्वेशा की मां ने मान लिया. लेकिन अब चुनावों के इस दौर में इस नौनिहाल का राजनीति से वास्ता जोड़ दिया गया है. खजांची के एक महीने के होने से पहले ही चुनावी माहौल में अखिलेश यादव ने उसकी मां को दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी.
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर अपने गांव में खजांची अपने कच्चे घर के बाहर अपने परिवार की इकलौती खाट पर सोया हुआ है. इस गांव में पिछड़े वर्ग के करीब 450 वोटर हैं. सर्वेशा देवी ने अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के संघर्ष के बारे में बताते हुए कहती हैं- इस बच्चे ने मुझे भरोसा दिलाया है कि मैं जीवन निर्वाह कर सकती हूं.
केंद्र सरकार द्वारा अचानक नोटबंदी की घोषणा के बाद लाखों लोगों को बैंकों और एटीएम के बाहर कतारों में लगने पर मजबूर होना पड़ा. लेकिन सर्वेशा से नोटबंदी के बारे में पूछे जाने पर वह कहती है, मुझसे राजनीति के बारे में न पूछें. मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. रसूलाबाद से स्थानीय समाजवादी पार्टी उम्मीदवार और अखिलेश सरकार में कनिष्ठ मंत्री अरुणा कोरी कहती हैं कि खजांची उनके चुनाव प्रचार का एक अहम हिस्सा है. इस सीट पर 19 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. उन्होंने कहा कि कम से कम अखिलेश ने इस बच्चे की मदद तो की है. वहीं कोरी की प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार निर्मला शंखवार कहती हैं, अगर वह स्टार, तो सबके लिए है, किसी एक पार्टी के लिए नहीं. गांवों में सभी लोग कह रहे हैं कि नोटबंदी निश्चित रूप से बहुत अच्छा फैसला था.
कानपुर में पिछले दिनों एक रैली में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- बैंक कतार में एक बच्चे का जन्म हुआ. बैंक के कर्मचारियों ने उसे खजांची नाम दिया. मैंने उस नाम का सम्मान करते हुए उसे दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी. अखिलेश ने कहा कि नोटबंदी से अमीरों को नहीं, गरीबों को तकलीफ हुई.
खजांची की मां सर्वेशा देवी बैंक की कतार में पांच घंटे तक खड़ी रही, जिसके बाद उसे प्रसव पीड़ा होने लगी. यह बच्चा उनकी पांचवीं संतान है. उसके जन्म से कुछ समय पहले ही सर्वेशा के पति की मौत हो गई थी. वह एक सपेरा था. बैंक कर्मचारियों और अन्य लोगों ने बच्चे का नाम खजांची रखने का सुझाव दिया, जिसे सर्वेशा की मां ने मान लिया. लेकिन अब चुनावों के इस दौर में इस नौनिहाल का राजनीति से वास्ता जोड़ दिया गया है. खजांची के एक महीने के होने से पहले ही चुनावी माहौल में अखिलेश यादव ने उसकी मां को दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी.
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर अपने गांव में खजांची अपने कच्चे घर के बाहर अपने परिवार की इकलौती खाट पर सोया हुआ है. इस गांव में पिछड़े वर्ग के करीब 450 वोटर हैं. सर्वेशा देवी ने अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के संघर्ष के बारे में बताते हुए कहती हैं- इस बच्चे ने मुझे भरोसा दिलाया है कि मैं जीवन निर्वाह कर सकती हूं.
केंद्र सरकार द्वारा अचानक नोटबंदी की घोषणा के बाद लाखों लोगों को बैंकों और एटीएम के बाहर कतारों में लगने पर मजबूर होना पड़ा. लेकिन सर्वेशा से नोटबंदी के बारे में पूछे जाने पर वह कहती है, मुझसे राजनीति के बारे में न पूछें. मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. रसूलाबाद से स्थानीय समाजवादी पार्टी उम्मीदवार और अखिलेश सरकार में कनिष्ठ मंत्री अरुणा कोरी कहती हैं कि खजांची उनके चुनाव प्रचार का एक अहम हिस्सा है. इस सीट पर 19 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. उन्होंने कहा कि कम से कम अखिलेश ने इस बच्चे की मदद तो की है. वहीं कोरी की प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार निर्मला शंखवार कहती हैं, अगर वह स्टार, तो सबके लिए है, किसी एक पार्टी के लिए नहीं. गांवों में सभी लोग कह रहे हैं कि नोटबंदी निश्चित रूप से बहुत अच्छा फैसला था.
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