नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को ज़ोरदार झटका देते हुए उनके खिलाफ एक महिला से रेप और उसी महिला के नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ के मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान अमेठी सीट से सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (एसपी) के टिकट पर चुनावी मैदान में डटे गायत्री प्रजापति के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी प्रभावशाली है, तो इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि पुलिस एफआईआर भी दर्ज न करे.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने और फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. इससे पहले, राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मामले की जांच में कोई अपराध सामने नहीं आया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो महीने का समय दिया है.
दरअसल, गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने वाली महिला चित्रकूट की रहने वाली है, और उसका आरोप है कि मंत्री ने उसे पार्टी में ऊंचा पद दिलाने के नाम पर पिछले दो साल में कई बार रेप किया, और उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ भी की. महिला का यह भी आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट उक्त महिला की याचिका को खारिज कर चुका है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान अमेठी सीट से सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (एसपी) के टिकट पर चुनावी मैदान में डटे गायत्री प्रजापति के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी प्रभावशाली है, तो इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि पुलिस एफआईआर भी दर्ज न करे.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने और फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. इससे पहले, राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मामले की जांच में कोई अपराध सामने नहीं आया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो महीने का समय दिया है.
दरअसल, गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने वाली महिला चित्रकूट की रहने वाली है, और उसका आरोप है कि मंत्री ने उसे पार्टी में ऊंचा पद दिलाने के नाम पर पिछले दो साल में कई बार रेप किया, और उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ भी की. महिला का यह भी आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट उक्त महिला की याचिका को खारिज कर चुका है.
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