 
                                            अहमदाबाद में बिक रहीं नोटबंदी की थीम वाली पतंगें.
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                अहमदाबाद: 
                                        अहमदाबाद के बाजार रंग-बिरंगी पतंगों से पटे हैं. नोटबंदी की थीम पर आधारित पतंगें तो हैं ही जिसमें नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के साथ-साथ 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोटों की तस्वीरें भी हैं. लेकिन इस साल बच्चों को लुभाने वाली पतंगें ज्यादा हैं. डोरेमोन और बेनटेन जैसे कई केरेक्टर पतंगों पर नजर आ रहे हैं. दुकानदार कहते हैं कि नोटबंदी की थीम पसंद की जा रही है.
नोटबंदी की थीम भले ही हिट हो लेकिन नोटबंदी का इस उद्योग पर असर गहरा है. राजूभाई पतंगवाला सालों से पतंगों के व्यवसाय में हैं. वे हर साल लाखों रुपये की पतंगें बनाकर बेचते हैं. लेकिन इस साल नोटबंदी ने इस उद्योग की कमर ही तोड़ दी है. राजूभाई कहते हैं कि इस साल काफी कारीगर बेकार हो गए हैं और पिछले साल के मुकाबले 30 टका पतंगें ही बनी हैं.
अहमदाबाद के जमालपुर इलाके में घर-घर में महिलाएं अक्टूबर से लेकर जनवरी तक पतंगें बनाती हैं और सालभर घर चलाने का सहारा हो, इतना कमा भी लेती हैं. लेकिन इस बार इस कमाई से साल भर तो क्या कुछ महिने भी निकलने की गुंजाइश नहीं है. बहुत कम आर्डर आए हैं.
इस धंधे में अब भी कैशलेस की कोई संभावना लोगों को नजर नहीं आती. दुकानदार जहांगीरभाई कहते हैं कि यहां अभी पेटीएम वगैरह ऐप नहीं चल रहे. थोड़ा धंधा कैश में होता है, थोड़ा उधार में, सब मिक्स चलता है.
राज्य में पांच लाख से ज्यादा परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हैं लेकिन नोटबंदी की वजह से इस उद्योग का माहौल पतंगों जितना रंगीन नहीं है.
                                                                        
                                    
                                नोटबंदी की थीम भले ही हिट हो लेकिन नोटबंदी का इस उद्योग पर असर गहरा है. राजूभाई पतंगवाला सालों से पतंगों के व्यवसाय में हैं. वे हर साल लाखों रुपये की पतंगें बनाकर बेचते हैं. लेकिन इस साल नोटबंदी ने इस उद्योग की कमर ही तोड़ दी है. राजूभाई कहते हैं कि इस साल काफी कारीगर बेकार हो गए हैं और पिछले साल के मुकाबले 30 टका पतंगें ही बनी हैं.
अहमदाबाद के जमालपुर इलाके में घर-घर में महिलाएं अक्टूबर से लेकर जनवरी तक पतंगें बनाती हैं और सालभर घर चलाने का सहारा हो, इतना कमा भी लेती हैं. लेकिन इस बार इस कमाई से साल भर तो क्या कुछ महिने भी निकलने की गुंजाइश नहीं है. बहुत कम आर्डर आए हैं.
इस धंधे में अब भी कैशलेस की कोई संभावना लोगों को नजर नहीं आती. दुकानदार जहांगीरभाई कहते हैं कि यहां अभी पेटीएम वगैरह ऐप नहीं चल रहे. थोड़ा धंधा कैश में होता है, थोड़ा उधार में, सब मिक्स चलता है.
राज्य में पांच लाख से ज्यादा परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हैं लेकिन नोटबंदी की वजह से इस उद्योग का माहौल पतंगों जितना रंगीन नहीं है.
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