सलामतपुर में वीवीआईपी बोधि वृक्ष की सुरक्षा के लिए होमगार्ड के जवान हमेशा तैनात रहते हैं.
भोपाल:
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर लगा है देश का शायद सबसे पहला ऐसा वीवीआईपी पेड़ जिसकी 24 घंटे चार गार्ड निगरानी करते हैं. इसके लिए खास तौर पर पानी के टैंकर का इंतजाम है.
सौ एकड़ की पहाड़ी पर लोहे की लगभग 15 फीट ऊंची जाली के अंदर लहलहाता है यह वीवीआईपी बोधि वृक्ष. 24 घंटे इसकी सुरक्षा-देखभाल के लिए परमेश्वर तिवारी सहित चार होमगार्डों की तैनाती रहती है.
पेड़ की सुरक्षा में तैनात परमेश्वर तिवारी ने कहा ''सितंबर 2012 से मेरी तैनाती है, कभी यहां 4-5 गार्ड रहते हैं. बहुत सारे लोग पहले इसे देखने आते थे अब कुछ कम हुए हैं.'' सिंचाई के लिए यहां सांची नगरपालिका ने अलग से पानी के टैंकर का इंतजाम किया है. पेड़ को बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी हर हफ्ते दौरा करते हैं. यह सब होता है जिला कलेक्टर की निगरानी में.
इलाके के एसडीएम वरुण अवस्थी ने कहा सुरक्षा के लिए 1-4 गार्ड लगाए हैं. पानी की कमी न हो इसका ध्यान रखा जाता है. पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है. पूरा क्षेत्र बौद्धिस्ट सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है.
21 सितंबर, 2012 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने बोधि वृक्ष को रोपा था. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इसका खास महत्व है. बौद्ध धर्मगुरू चंद्ररतन ने कहा तथागत बुद्ध ने बोधगया में इसी पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था. भारत से सम्राट अशोक इसी पेड़ की शाखा श्रीलंका ले गए थे. उसे अनुराधापुरम में लगाया था, उसी को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की जमीन पर लगाया गया.
इस पेड़ का एक पत्ता भी सूखे तो प्रशासन चौकन्ना हो जाता है. पेड़ तक पहुंचने के लिए भोपाल-विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क भी बनाई गई है.
वीडियो
पेड़ के रखरखाव में हर साल लगभग 12-15 लाख रुपये खर्च होते हैं, उस राज्य में जहां थोड़े से कर्ज के लिए 51 किसान खुदकुशी कर चुके हैं. यह और बात है कि जिस विश्वविद्यालय के नाम पर बोधि वृक्ष को रोपा गया, पांच साल बाद उसकी बाउंड्री तक टूट गई है. यूनिवर्सिटी को लगभग 20 लाख का किराया देकर निजी भवन में चलाया जा रहा है.
सौ एकड़ की पहाड़ी पर लोहे की लगभग 15 फीट ऊंची जाली के अंदर लहलहाता है यह वीवीआईपी बोधि वृक्ष. 24 घंटे इसकी सुरक्षा-देखभाल के लिए परमेश्वर तिवारी सहित चार होमगार्डों की तैनाती रहती है.
पेड़ की सुरक्षा में तैनात परमेश्वर तिवारी ने कहा ''सितंबर 2012 से मेरी तैनाती है, कभी यहां 4-5 गार्ड रहते हैं. बहुत सारे लोग पहले इसे देखने आते थे अब कुछ कम हुए हैं.'' सिंचाई के लिए यहां सांची नगरपालिका ने अलग से पानी के टैंकर का इंतजाम किया है. पेड़ को बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी हर हफ्ते दौरा करते हैं. यह सब होता है जिला कलेक्टर की निगरानी में.
इलाके के एसडीएम वरुण अवस्थी ने कहा सुरक्षा के लिए 1-4 गार्ड लगाए हैं. पानी की कमी न हो इसका ध्यान रखा जाता है. पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है. पूरा क्षेत्र बौद्धिस्ट सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है.
21 सितंबर, 2012 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने बोधि वृक्ष को रोपा था. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इसका खास महत्व है. बौद्ध धर्मगुरू चंद्ररतन ने कहा तथागत बुद्ध ने बोधगया में इसी पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था. भारत से सम्राट अशोक इसी पेड़ की शाखा श्रीलंका ले गए थे. उसे अनुराधापुरम में लगाया था, उसी को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की जमीन पर लगाया गया.
इस पेड़ का एक पत्ता भी सूखे तो प्रशासन चौकन्ना हो जाता है. पेड़ तक पहुंचने के लिए भोपाल-विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क भी बनाई गई है.
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पेड़ के रखरखाव में हर साल लगभग 12-15 लाख रुपये खर्च होते हैं, उस राज्य में जहां थोड़े से कर्ज के लिए 51 किसान खुदकुशी कर चुके हैं. यह और बात है कि जिस विश्वविद्यालय के नाम पर बोधि वृक्ष को रोपा गया, पांच साल बाद उसकी बाउंड्री तक टूट गई है. यूनिवर्सिटी को लगभग 20 लाख का किराया देकर निजी भवन में चलाया जा रहा है.
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