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अमेरिका के औद्योगिक गलियारों में जिस व्यक्ति की कभी तूती बोलती थी, उसे भेदिया कारोबार के सबसे बड़े मामले में दोषी ठहराया जाना किसी नाटकीय घटनाक्रम से कम नहीं है...
बुधवार को अमेरिका की संघीय जिला अदालत के न्यायाधीश जेड रैकॉफ ने गुप्ता को दो साल की कैद की सजा सुनाई। इसके अलावा उन पर 50 लाख डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया है। 63 साल के गुप्ता कभी अमेरिका में सबसे अधिक सफल भारतीय मूल के उद्यमी बनकर उभरे थे, लेकिन भेदिया कारोबार के आरोपों को स्वीकारने के बाद उन्हें 'कपटी और बेईमान' कहा जा रहा है।
मैनहट्टन के शीर्ष संघीय अभियोजक प्रीत भराड़ा ने गुप्ता के खिलाफ भेदिया कारोबार के आरोप लगाए थे। इसके बाद पिछले साल दिवाली के दिन गुप्ता ने संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। एक साल बीत गया और भारत में जब दशहरा मनाया जा रहा था, तब अमेरिका में जिला जज जेड रैकोफ, रजत गुप्ता को सजा सुना रहे थे।
कोलकाता के मनिकटाला में जन्मे गुप्ता के पिता स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार थे, जबकि मां टीचर थीं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी-टेक करने के बाद गुप्ता वजीफे पर हॉर्वर्ड बिजनेस स्कूल पहुंचे और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसी दौरान उनकी माता का असमय निधन हो गया।
भेदिया कारोबार मामले में सरकारी कार्रवाई का सामना करने वाले गुप्ता वॉल स्ट्रीट के सबसे ऊंचे पद वाले कर्मचारी हैं। गुप्ता ने अपने बाकी के करियर और लोक-उपकारी कार्यों का हवाला देते हुए जज से नरमी की मांग की थी। गुप्ता के वकील गैरी नफ्तालिस ने संघीय अदालत में पिछले सप्ताह ज्ञापन सौंपकर अपने इस हॉवर्ड शिक्षित मुवक्किल के लिए परिवीक्षा की मांग की। उन्होंने कहा कि गुप्ता रवांडा में रहकर स्थानीय सरकार के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवा और कृषि के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं।
नफ्तालिस की ओर से सामुदायिक सेवा के दूसरे प्रस्ताव में कहा गया था कि गुप्ता कवनेंट हाउस की न्यूयॉर्क स्थित उस साइट पर काम कर सकते हैं, जो बेघरों, भागे हुए और खतरे में पड़ने वाले युवाओं को घर और अन्य सुविधाएं देती है।
भराड़ा ने गुप्ता के लिए आठ से 10 साल तक की कैद मांगी थी। उनका तर्क था, "इस तरह के अपराध निर्णय लेने में एक अलग संयोग मात्र नहीं है। गुप्ता के अपराध की गंभीरता दर्शाने के लिए और दूसरे कारोबारी भेदियों को भय दिखाने के लिए एक सही अवधि तक की कैद दी जानी जरूरी है, ताकि वे कारोबारी राज चुराकर इस आम बन चुके अपराध में संलिप्त न हो जाएं।" गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज होने पर 2011 में दिवाली के मौके पर उन्होंने एफबीआई के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
अमेरिकी व्यवसायिक जगत में गुप्ता कई प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। इनमें गोल्डमैन सॉक्स और प्रॉक्टर एंड गैंबल के बोर्ड की सदस्यता, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के सह-संस्थापक, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कार्यकारी नेतृत्व के सलाहाकार का पद प्रमुख हैं। वह अमेरिकन एयरलाइंस की मुख्य कंपनी एएमआर कॉरपोरेशन के निदेशक भी रहे हैं।
गुप्ता को अपने परिवार के साथ-साथ प्रमुख बिजनेस लीडरों और वैश्विक लोक उपकारी जनों का सहयोग मिलता रहा है। इनमें माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान भी शामिल हैं। ये लोग उन 400 लोगों में भी शामिल हैं, जिन्होंने रैकऑफ को पत्र लिखकर गुप्ता के परोपकारी कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। गुप्ता ने हॉवर्ड में अपनी कक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया और मैकेंजे में नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन अनुभव के अभाव में उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया।
इसके बाद एक प्रोफेसर ने मैकेंजे के तत्कालीन प्रमुख से व्यक्तिगत संपर्क किया और गुप्ता 1973 में संस्थान के न्यूयॉर्क कार्यालय से जुड़े। इसके बाद अगले 20 साल में गुप्ता इसी कंपनी के वैश्विक प्रमुख बन गए। वह इस पद पर पहुंचने वाले भारत में जन्मे पहले मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) थे। अमेरिकी कॉरपोरेट जगत से संयुक्त राष्ट्र तक में उनके चाहने वाले प्रशंसक थे, लेकिन भेदिया कारोबार के आरोपों ने उनकी 40 साल की साख को एक झटके में धूल में मिला दिया।
पिछले साल 26 अक्टूबर को एफबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था। अमेरिका की एक अदालत ने इस साल जून में गुप्ता को भेदिया कारोबार का दोषी पाया। उन पर आरोप था कि उन्होंने गुप्त सूचनाएं गेलियोन हेज फंड के संस्थापक तथा अपने मित्र राज राजारत्नम को उपलब्ध कराईं। यह अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा भेदिया कारोबार मामला है, जिसमें श्रीलंकाई मूल के राजारत्नम भी आरोपों के घेरे में आए। गुप्ता तथा राजारत्नम की मुलाकात अनिल कुमार के जरिए हुई थी, जो आईएसबी के सह-संस्थापक भी हैं।
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