राष्ट्रपति भवन में चल रहे 'नवाचार उत्सव' में आकाश ने कहा, ''आजकल 'साइलेंट हार्ट-अटैक' काफी आम हो गया है. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
अच्छी खासी सेहत वाले किसी परिचित का अचानक दिल के दौरे के कारण गुजर जाना एक बड़ा सदमा होता है, लेकिन अपने दादाजी के अचानक हुए निधन से आहत तमिलनाडु के छात्र आकाश मनोज ने एक ऐसी तकनीक बना डाली, जो उन लोगों पर मंडराने वाले हृदयाघात के खतरे की पहचान कर सकती है, जिनमें आम तौर पर इसके कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देते.
दसवीं कक्षा में पढ़ रहे आकाश अपनी इस नवोन्मेषी तकनीकी के दम पर राष्ट्रपति भवन के 'इनोवेशन स्कॉलर्स इन-रेजीडेंस प्रोग्राम' के तहत राष्ट्रपति के मेहमान के रूप में रह रहे हैं. इस कार्यक्रम के तहत नवोन्मेषकों, लेखकों और कलाकारों को एक सप्ताह से अधिक के लिए राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिलता है.
राष्ट्रपति भवन में चल रहे 'नवाचार उत्सव' में आकाश ने कहा, ''आजकल 'साइलेंट हार्ट-अटैक' काफी आम हो गया है. लोग इतने स्वस्थ दिखते हैं कि उनमें हृदयाघात से जुड़ा कोई लक्षण दिखता ही नहीं है. मेरे दादाजी भी एकदम स्वस्थ लगते थे लेकिन अचानक ही दिल के दौरे से उनका निधन हो गया.'' आकाश की यह तकनीक हमारे रक्त में एफएबीपी3 नामक प्रोटीन की मौजूदगी पर आधारित है, जिसकी मात्रा दिल तक रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति के बाधित होने का संकेत देती है. इस तकनीक में रक्त में एफएबीपी3 की मात्रा का समय-समय पर विश्लेषण किया जाता है. इसकी खास बात यह है कि इसके लिए शरीर से रक्त निकालने की जरूरत नहीं पड़ती.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित नवोन्मेष प्रदर्शनी में लगी अपनी इस तकनीक के बारे में बताते हुए आकाश ने कहा, ''एफएबीपी3 प्रोटीन सबसे छोटे प्रोटीनों में से एक है और यह हमारे शरीर में पाया जा सकता है. यह रिणावेशित (निगेटिव चार्ज वाला) होता है, इसलिए धनावेश :पॉजिटिव चार्ज: की ओर तेजी से आकषिर्त होता है. उसके इसी गुण का इस्तेमाल करते हुए मैंने यह तकनीक तैयार की है.
इनपुट: भाषा
दसवीं कक्षा में पढ़ रहे आकाश अपनी इस नवोन्मेषी तकनीकी के दम पर राष्ट्रपति भवन के 'इनोवेशन स्कॉलर्स इन-रेजीडेंस प्रोग्राम' के तहत राष्ट्रपति के मेहमान के रूप में रह रहे हैं. इस कार्यक्रम के तहत नवोन्मेषकों, लेखकों और कलाकारों को एक सप्ताह से अधिक के लिए राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिलता है.
राष्ट्रपति भवन में चल रहे 'नवाचार उत्सव' में आकाश ने कहा, ''आजकल 'साइलेंट हार्ट-अटैक' काफी आम हो गया है. लोग इतने स्वस्थ दिखते हैं कि उनमें हृदयाघात से जुड़ा कोई लक्षण दिखता ही नहीं है. मेरे दादाजी भी एकदम स्वस्थ लगते थे लेकिन अचानक ही दिल के दौरे से उनका निधन हो गया.'' आकाश की यह तकनीक हमारे रक्त में एफएबीपी3 नामक प्रोटीन की मौजूदगी पर आधारित है, जिसकी मात्रा दिल तक रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति के बाधित होने का संकेत देती है. इस तकनीक में रक्त में एफएबीपी3 की मात्रा का समय-समय पर विश्लेषण किया जाता है. इसकी खास बात यह है कि इसके लिए शरीर से रक्त निकालने की जरूरत नहीं पड़ती.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित नवोन्मेष प्रदर्शनी में लगी अपनी इस तकनीक के बारे में बताते हुए आकाश ने कहा, ''एफएबीपी3 प्रोटीन सबसे छोटे प्रोटीनों में से एक है और यह हमारे शरीर में पाया जा सकता है. यह रिणावेशित (निगेटिव चार्ज वाला) होता है, इसलिए धनावेश :पॉजिटिव चार्ज: की ओर तेजी से आकषिर्त होता है. उसके इसी गुण का इस्तेमाल करते हुए मैंने यह तकनीक तैयार की है.
इनपुट: भाषा
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