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दो सेकंड में अमीर से गरीब हो सकता है भारत...ऑस्ट्रेलियाई कंटेंट क्रिएटर ने कही ऐसी बात, छिड़ी बहस, लोग बोले- न्यूयॉर्क में भी...

एक यूजर ने लिखा, "नहीं. भारत 'अमीर' नहीं है. कुछ भारतीय (जो भारत में रहते हैं, लेकिन शायद भारतीय नागरिक भी नहीं हैं) 'अमीर' हैं, जबकि देश का 85% से ज़्यादा हिस्सा रोज़ाना संघर्ष करता है."

दो सेकंड में अमीर से गरीब हो सकता है भारत...ऑस्ट्रेलियाई कंटेंट क्रिएटर ने कही ऐसी बात, छिड़ी बहस, लोग बोले- न्यूयॉर्क में भी...
ऑस्ट्रेलियाई कंटेंट क्रिएटर के Video ने सोशल मीडिया पर छेड़ी बहस

एक ऑस्ट्रेलियाई कंटेंट क्रिएटर ने भारत में अमीरी और गरीबी के बीच के अंतर पर अपनी राय शेयर कर ऑनलाइन एक गरमा गरम बहस छेड़ दी है. एक इंस्टाग्राम वीडियो में, जेरेमी फ्रैंको कहते हैं कि भारत दो सेकंड में अमीर से गरीब हो सकता है. फिर वह बताते हैं कि जब वह गुच्ची और डायर जैसे ब्रांडों वाले एक लग्ज़री शॉपिंग मॉल में थे, तो बाहर कुछ ही कदम चलते ही उन्हें 'स्लमडॉग मिलियनेयर' का कोई सीन सा लगा. क्लिप पर लिखा था, "भारत एक ही समय में गरीब और अमीर है."

फ्रैंको ने पोस्ट के कैप्शन में लिखा, "भारत में द्वंद्व है, आप कभी नहीं जानते कि वह क्या देने वाला है."

नीचे देखें:

ऑस्ट्रेलियाई कंटेंट क्रिएटर के इस पोस्ट ने ऑनलाइन एक बहस छेड़ दी है. कुछ लोग उनसे सहमत थे, तो कुछ को लगा कि यह तुलना अनुचित है.

लोगों में छिड़ी बहस

एक यूजर ने लिखा, "नहीं. भारत 'अमीर' नहीं है. कुछ भारतीय (जो भारत में रहते हैं, लेकिन शायद भारतीय नागरिक भी नहीं हैं) 'अमीर' हैं, जबकि देश का 85% से ज़्यादा हिस्सा रोज़ाना संघर्ष करता है."

दूसरे ने लिखा, "अगली बात ऑस्ट्रेलिया में बेघरों के बारे में. मैं अपने दूसरे हफ़्ते में एक सर्दियों की सुबह एक मृत बेघर आदमी को एम्बुलेंस द्वारा उठाए जाते देखकर हैरान रह गया."

वहीं एक ने लिखा, "हां, मुझे याद है कि जब मैं पहली बार बचपन में बॉम्बे आया था, तब मैं हैरान था कि मेरे पास क्या है और क्या नहीं; एक साथ. इसके लिए द्वैत शब्द ज़्यादा बेहतर है."

हालांकि, कुछ यूज़र्स ने इस तुलना को गलत बताते हुए लिखा, "भारत की विविधतापूर्ण सुंदरता को अक्सर विदेशी कंटेंट क्रिएटर्स नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो अपने फॉलोअर्स के लिए झुग्गी-झोपड़ियों और स्ट्रीट फ़ूड पर ध्यान केंद्रित करते हैं.  कुछ भारतीय और पड़ोसी देश ऐसे कंटेंट का इंतज़ार करते हैं."

"क्या दुनिया भर में झुग्गी-झोपड़ियां नहीं हैं? अगर आप न्यूयॉर्क जाएं तो आपको वहां भी गरीब इलाके मिलेंगे, अंतर यह है कि जब हम न्यूयॉर्क जाते हैं तो हम विशेष रूप से ऐसे स्थानों पर जाने से बचते हैं, जब विदेशी भारत आते हैं तो वे विशेष रूप से इन स्थानों और क्षेत्रों में जाना चाहते हैं, जहां 20 रुपये में भोजन मिलता है, ताकि वे ये सब देख सकें."

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