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54 साल बाद अचानक सामने आ खड़ा हुआ 'क्रीचर', रेगिस्तान में छिपा था रहस्य, वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए कारण

Creature Lost for 54 Years Found Alive: जिस क्रीचर को आधी सदी से किसी ने नहीं देखा, वही एक वीरान रेगिस्तान में अचानक मंडराते नजर आया. वैज्ञानिकों को ये एक गहरी दरार में दिखाई दिया.

54 साल बाद अचानक सामने आ खड़ा हुआ 'क्रीचर', रेगिस्तान में छिपा था रहस्य, वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए कारण
अचानक कई सालों बाद सामने आकर खड़ा हो गया वो क्रीचर, जिसे देखकर वैज्ञानिकों को भी नहीं हुआ यकीन

54 Years Missing Species: सोचिए, एक ऐसा जीव जो आधी सदी से किसी ने देखा ही नहीं...कोई तस्वीर नहीं, कोई वीडियो नहीं, सिर्फ पुराने रिकॉर्ड और संग्रहालयों में धूल खाते कुछ नमूने. वैज्ञानिकों ने इसे लगभग खोया हुआ मान लिया था, लेकिन फिर...सेंट्रल एशिया के एक वीरान रेगिस्तान में अचानक ये जीव सामने आ गया, जैसे प्रकृति कह रही हो, 'मैं अभी खत्म नहीं हुई हूं.' यही कहानी है Turkestan Long-Eared Bat की, जो 1970 के बाद पहली बार जिंदा मिली है.

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दशकों से गायब प्रजाति की रहस्यमयी वापसी (Turkestan long-eared bat)

जर्मनी, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के वैज्ञानिकों की टीम कराकुम रेगिस्तान पहुंची थी. जहां तापमान इंसान को पिघला दे और जिंदगी का नामोनिशान भी मुश्किल से मिले. उनका मिशन था...उस चमगादड़ को ढूंढना, जो दशक-भर से मानो हवा में गायब हो गई थी, लेकिन उम्मीद (rare bat species Central Asia) खत्म होने ही वाली थी कि वैज्ञानिकों ने एक गहरी दरार में एक युवा मादा चमगादड़ को देखा. उसके लंबे कान देखकर टीम हैरान रह गई. यह वही जीव था, जो 54 सालों से गायब था.

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दूसरा चमगादड़ मिला, सीमा के पास (desert bat found)

टीम ने एक और नर चमगादड़ भी उज्बेक सीमा के पास एक गुफा में ढूंढ निकाला. पहली बार इसके वीडियो, फोटो और डीएनए सैंपल लिए गए. अब सरकार यहां 50,000 हेक्टेयर का नया प्रोटेक्टेड एरिया बनाने की योजना बना रही है, ताकि ये दुर्लभ जीव (climate change desert animals) दोबारा गायब न हो जाएं.

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रेगिस्तान का जीवन कितना नाजुक है (khoi hui prajati mili)

  • विशेषज्ञ बताते हैं कि रेगिस्तान की प्रजातियां जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं.
  • कराकुम रेगिस्तान (Karakum desert wildlife) हर साल और गर्म और सूखा होता जा रहा है.
  • वनस्पति घट रही है और तुर्कमेनिस्तान का 80% हिस्सा पहले ही रेगिस्तान है.
  • ऐसे में इस दुर्लभ चमगादड़ का मिलना उम्मीद की एक हल्की-सी किरण जैसा है.

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