मध्यप्रदेश में नरसिंहपुर जिले के बरमान रेत घाट पर शनिवार को हुए एक घटनाक्रम ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब सोमवार को उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो में जिला पंचायत के CEO और IAS अधिकारी गजेंद्र नागेश एक युवक को थप्पड़ मारते और सार्वजनिक रूप से फटकारते दिखाई दे रहे हैं. घटना के बाद जिले में आक्रोश फैल गया है और अधिकारी पर पद के दुरुपयोग और सार्वजनिक अपमान के आरोप लगे हैं.
बताया जा रहा है कि युवक बृजेश नौरिया, जो घाट के पास एक दुकान चलाता है, पेशाब करने के लिए घाट के पीछे गया था. उसी समय अधिकारी वहां पहुंचे और नाराज़ हो गए. आरोप है कि औपचारिक कार्रवाई करने की बजाय उन्होंने युवक को दो-तीन थप्पड़ मारे, गाली-गलौज की और उसकी दुकान गिरवाने तथा घाट पर आने से रोकने की धमकी दी.
इस दौरान बीच-बचाव करने पहुंचे पुजारी कैलाश चंद्र मिश्रा ने जब घाट क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय न होने की बात कही तो अधिकारी और भड़क गए. मिश्रा का आरोप है कि उन्हें अपमानजनक शब्द कहे गए और धमकी दी गई “रेत में गाड़ दूंगा, जितनी लंबाई है उतनी गहराई में.” पुजारी ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें सज़ा के तौर पर उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया गया.
घटना के बाद जिले के पुजारी समाज और ब्राह्मण समुदाय में भारी नाराज़गी है. समुदाय के लोगों ने इसे सार्वजनिक अपमान बताया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है.सोमवार को वीडियो वायरल होने के बाद कैलाश चंद्र मिश्रा ने कलेक्टर और एसपी को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि इस घटना से उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया है और उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
SDOP मनोज गुप्ता ने बताया कि ब्राह्मण समाज के 25–30 लोगों ने इस मामले में ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने कहा कि वीडियो हमारे संज्ञान में आया है. उसे वरिष्ठ अधिकारियों और संबंधित थाने को भेजा गया है.
वहीं, IAS अधिकारी गजेंद्र नागेश ने अपने बचाव में कहा कि उनका उद्देश्य नर्मदा नदी की पवित्रता बनाए रखना था. “ वहीं उस दिन की जो घटना है कि बच्चे को हमने समझाया था मां नर्मदा के आंचल को इस तरह हम गंदा करेंगे तो कौन व्यक्ति स्वीकार करेगा बावजूद इस तरह की हठधर्मिता है तो ये अच्छी बात नहीं है. बरमान में 62 व्यापारी काम कर रहे हैं तो वहां जिस तरह कलेक्टर और जिले के अधिकारियों ने तय किया है 150 मीटर छोड़कर दुकानें बनाना है लेकिन शायद कुछ लोगों को तकलीफ होती है लेकिन हमारे लिये मां नर्मदा और बरमान हमारे लिये गौरव है. थप्पड़ मारने का आशय नहीं था लेकिन कोई ऐसा करेगा तो बुलाकर उसे हिदायत देने में मुझे नहीं लगता कोई गलत बात है.” उन्होंने कहा.यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि प्रशासनिक अधिकार की सीमा क्या है और क्या किसी भी परिस्थिति में सार्वजनिक रूप से किसी नागरिक का अपमान या शारीरिक दंड उचित ठहराया जा सकता है.
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