हर साल 6 अप्रैल को इंटरनेशनल डे ऑफ़ स्पोर्ट फॉर डेवलपमेंट एंड पीस (International Day of Sport for Development and Peace) के तौर पर मनाया जाता है. ये दिन उन सभी एथलीटों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता हैं, जिन्हें अपना देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. लेकिन उन्होंने अपने सपनों को पूरा किया. ऐसी ही एक एथलीट हैं युसरा मर्दिनी, जो किशोरावस्था में युद्धग्रस्त सीरिया से भाग गईं. युसरा मर्दिनी ने शरणार्थी ओलंपिक टीम के हिस्से के रूप में 2016 और 2020 ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था.
युसरा मर्दिनी की कहानी
युसरा मूलत: सीरिया की रहनी वाली हैं, जो कि भीषण गृह युद्ध का शिकार रहा है. सीरिया में युसरा के लिए तैराकी की प्रैक्टिस करना आसान नहीं था. एक बार तो प्रैक्टिस के दौरान ही वहां बमबारी होने लगी, जिसमें उनके स्विमिंग पूल की छत उड़ गई. युसरा को मजबूरन सीरिया छोड़ अपनी बहन के साथ रिफ्यूजी कैंप में शरण लेनी पड़ी. युसरा और उनकी बहन जब एक नौका में सवार होकर सीरिया से ग्रीस जा रही थी, तब बोट में ज्यादा लोग सवार होने की वजह से बोट डूबने लगा. इस दौरान उनकी तैराकी काम आई, जिसकी मदद से उन्होंने खुद की और दूसरे रिफ्यूजियों की जान बचाई.
युसरा और उनकी बहन दोनों ही अच्छी स्विमर थीं. उन्होंने समुद्र में छलांग लगाई और बोट को खींचकर किनारे तक पहुंचाया. उन दोनों ने मिलकर करीब 20 लोगों की जान बचाई. युसरा अभी जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित एक रिफ्यूजी कैंप में रह रही हैं और यहीं से उन्होंने रियो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया. युसरा ने अपनी तैराकी कौशल से कई लोगों को प्रभावित किया है.
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