तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि महिलाओं के खिलाफ प्रतिबंधों को पलटना प्राथमिकता में नहीं है. तालिबान ने शनिवार को कहा कि वह इस्लामिक कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी कृत्य की अनुमति नहीं देगा. महिलाओं के अधिकार तालिबान के स्थापित नियमों के अनुसार ही रहेंगे. आपको बता दें कि हाल ही में तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं के विश्वविद्यालय में शिक्षा लेने और गैर सरकारी संगठनों में काम करने पर रोक लगा दी थी.
छात्राएं और महिलाएं कर रहीं विरोध
खामा प्रेस ने बताया कि तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने एक बयान में कहा, "इस्लामिक अमीरात सभी मामलों को इस्लामिक शरिया के अनुसार हल करने की कोशिश करता है. सत्तारूढ़ सरकार देश में शरिया के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं दे सकती है." तालिबान के गैर-सरकारी संगठनों में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगाने की नवीनतम कार्रवाई का अफगानिस्तान की छात्राओं और महिला कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है. साथ ही विश्व स्तर पर भी इसकी निंदा हुई है.
अमेरिका और यूरोप की अपील का नहीं पड़ा असर
संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, यूरोपीय संघ (ईयू), संयुक्त राष्ट्र (यूएन), ओआईसी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सहायता संगठनों सहित कुछ विदेशी सरकारों ने इसकी कड़ी निंदा की और तालिबान की कार्यवाहक सरकार से इसे आदेश को वापस लेने का आग्रह किया और अफगान लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा और गैर सरकारी संगठनों में काम करने की अनुमति देने का अनुरोध किया. अगस्त में जारी यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तथ्य यह है कि अफगानिस्तान में लड़कियां माध्यमिक शिक्षा से वंचित हैं. इससे पिछले 12 महीनों में देश की अर्थव्यवस्था को कम से कम 500 मिलियन अमरीकी डालर का नुकसान हुआ है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत है.
तालिबान ने कहा, धार्मिक मांगों को समझें
खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ज़बीउल्ला मुजाहिद ने अफ़ग़ानिस्तान के साझेदारों और अंतर्राष्ट्रीय सहायता संगठनों से अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक मांगों को समझने और मानवतावादी सहायता को राजनीति से जोड़ने से बचने के लिए भी कहा. 13 जनवरी को, 11 देशों ने अफगानिस्तान के तालिबान प्रशासन से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया. उन्हें सार्वजनिक जीवन में लौटने की अनुमति देने, शिक्षा प्राप्त करने और काम पर लौटने की अनुमति देने की मांग की. हालांकि, तालिबान के अधिकारियों ने देश में महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के संबंध में अपनी सख्त नीति में कोई बदलाव नहीं दिखाया है.
OIC ने कहा-यह शरिया कानून नहीं
इस बीच, इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने तालिबान के इस दावे को खारिज कर दिया कि अफगान महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिबंध इस्लाम के शरिया कानून के अनुरूप हैं. OIC ने बार-बार तालिबान के अधिकारियों से लिंग-आधारित प्रतिबंधों को हटाने और अफगान महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने, काम करने और सार्वजनिक घूमने के मौलिक अधिकारों से लाभान्वित करने की अनुमति देने का आह्वान किया है.
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