
रावलपिण्डी जिले में हैं तक्षशिला विश्वविद्याल के अवशेष. (पाकिस्तानी संसद की तस्वीर को पाकिस्तान को दर्शाने के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर के रूप में प्रयोग की गई है.)
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चाणक्य का तक्षशिला विश्वद्यालय से है खास जुड़ाव
अब पाकिस्तान में है तक्षशिला विश्वविद्यालय के अवशेष
पाकिस्तान के इतिहास में कौटिल्य की उपेक्षा से आहत हैं वहां लेखक
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उन्होंने कहा है कि तक्षशिला विश्वद्यालय की स्थापना ईसा पूर्व 7वीं शताब्दी में हुआ था. ताहिर ने बौद्ध ग्रंथ 'जटाकस' के हवाले से कहा है कि तक्षशिला सदियों पुराना शिक्षा का केंद्र रहा है. इस जिक्र महाभारत काल में भी दिखता है.
डॉन में छपे लेख में कहा गया है कि महान दार्शनिक चाणक्य यहां आचार्य थे। 405 ई में यहां आए चीनी यात्री फाह्यान के हवाले से कहा गया है कि इस विश्वविद्यालय का जुड़ाव हिन्दूओं के अलावा बौद्ध से भी रहा है.
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बौद्ध ग्रंथों के हवाल से दावा किया गया है कि रावलपिण्डी जिले से लगभग 32 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित तक्षशिला विश्वविद्यालय में चाणक्य ने अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र की शिक्षा पाई थी। देश बंटवारे के बाद तक्षशिला पाकिस्तान में चला गया, जिसके बाद वहां के इतिहास में इसे तवज्जो नहीं दी गई.
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उन्होंने लिखा है कि चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का सम्राट बनाया था, जिसके बाद मौर्य साम्राज्य ने अपनी राजधानी तक्षशिला को ही बनाई थी. महान दार्शनिक चाणक्य ऊर्फ कौटिल्य/विष्णु गुप्त का इस हद तक तक्षशिला से जुड़ाव होने के बावजूद पाकिस्तान के इतिहास में उन्हें खास तवज्जो नहीं मिलने पर सवाल उठाया है.
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मालूम हो कि पेशे और फोटोग्राफर सैफ ताहिर शोधकर्ता भी हैं. वह बहरीया विश्वविद्यालय और पाकिस्तानी नेवी वॉर कॉलेज कॉलेज में प्रशिक्षक भी रह चुके हैं.
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