- इजरायल सेना ने बेरूत में हिजबुल्ला के वरिष्ठ कमांडर हैथम अली तबातबाई को निशाना बनाकर एयरस्ट्राइक की थी.
- तबातबाई हिजबुल्ला का प्रमुख सैन्य रणनीतिकार और महासचिव नईम कासिम के बाद दूसरा सबसे बड़ा नेता था.
- अमेरिका ने 2016 से तबातबाई को मोस्ट वांटेड आतंकवादी घोषित किया और 2018 में पांच करोड़ रुपये का इनाम रखा था.
इजरायल की सेना ने रविवार को लेबनान की राजधानी में बेरूत में एक एयरस्ट्राइक की. इस हमले का मकसद हिजबुल्ला के सीनियर कमांडर हैथम अली तबातबाई का खात्मा था और इजरायल अपने प्रयास में सफल हो गया. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस की तरफ से बताया गया कि यह हमला बेरूत के केंद्र में किया गया, जहां हिजबुल्ला के चीफ ऑफ स्टाफ को निशाना बनाया गया था. वही कमांडर जो संगठन के सैन्य विस्तार और दोबारा हथियार जुटाने की प्रक्रिया पर बराबर नजर रखे हुए था. टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार, तबताबाई को हिजबुल्ला के महासचिव नईम कासिम के बाद दूसरा सबसे बड़ा लीडर था. इजरायल पिछले 10 सालों से तबताबाई को ढेर करने की प्लानिंग कर रहा था और अब जाकर वह अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हो सका.
50 लाख डॉलर का इनाम
तबातबाई को हिजबुल्ला का असली चीफ ऑफ स्टाफ माना जाता था. साथ ही वह संगठन का सबसे सीनियर मिलिट्री रणनीतिकारों में से एक था. टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार, तबताबाई का जन्म 1968 में बेरूत में ही हुआ था. उसकी मां दक्षिण लेबनान की और पिता ईरानी थे. तबताबाई की परवरिश दक्षिण लेबनान में ही हुई थी. बहुत कम उम्र में ही वह हिजबुल्ला में शामिल हो गया था. अमेरिका ने साल 2016 से उसे मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट की लिस्ट में रखा था. 2018 में अमेरिका ने उसके बारे में कोई भी जानकारी देने पर 50 लाख डॉलर का इनाम भी घोषित किया था.
2015 से जारी थीं कोशिशें
तबातबाई, हिजबुल्ला की खास राडवान फोर्स का चीफ भी था. इस फोर्स को तैयार करने का मकसद ही इजरायल पर हमलों की योजना बनाना और उसे अंजाम तक पहुंचाना था. अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, तबताबाई ने सीरिया और यमन में भी संगठन के विशेष बल अभियानों का नेतृत्व किया. इजरायल ने साल 2015 में दक्षिणी सीरिया में एक हमले में भी उसे मारने की योजना बनाई थी. लेकिन इसमें हिजबुल्ला कमांडर इमाद मुगनिया के बेटे जिहाद मुगनिया की मौत हो गई थी.
तबातबाई ने हिजबुल्ला की नस्र, अजीज और बद्र यूनिट्स की जिम्मेदारी भी संभाली. ये फोर्सेज सैदा से दक्षिणी बॉर्डर तक काम करती थीं जिसमें लिटानी नदी के दक्षिण के इलाके भी शामिल थे. साल 2024 के अंत में, जब आईडीएफ ने हिजबुल्ला की टॉप लीडरशिप के बड़े हिस्से को खत्म कर दिया तो तबताबाई का कद और बढ़ गया. माना जाता है कि वह संगठन के सीमा-पार अभियानों, लॉजिस्टिक नेटवर्क और ईरान सपोर्टेड मिलिशियाओं के साथ को-ऑर्डिनेट करता था. उसके पद के कारण वह नईम कासिम के बाद हिजबुल्ला में सबसे ताकतवर शख्सियत हो गया था. कहा जाता है कि वह गोलान हाइट्स के पास हिजबुल्ला का मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में भी शामिल था.
काफी शक्तिशाली था हमला
लेबनान की हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार इस हमले में पांच लोगों की मौत हुई और कम से कम 25 लोग घायल हुए. ब्लास्ट की वजह से एक रेजीडेंशियल बिल्डिंग में बड़ा सुराख हो गया और दक्षिणी बेरूत के भीड़भाड़ वाले इलाके में मलबा फैल गया. हिजबुल्ला के सांसद अली अम्मार ने बताया कि हमला जिस जगह हुआ, वह पूरी तरह नागरिक इलाका था और वहां किसी भी तरह की सैन्य उपस्थिति बिल्कुल नहीं थी. अम्मार ने कहा,'यह निश्चित तौर पर एक नागरिक क्षेत्र है और यहां किसी भी तरह की सैन्य उपस्थिति का सवाल ही नहीं उठता है.' रविवार को इससे पहले, इजरायल ने सीमा-शहर ऐता अल-शाअब पर भी हमला किया था. इसमें एक शख्स की मौत हो गई थी और लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की थी.
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