साल 2012 में दोनों इतालवी नौसैनिकों को दो मछुआरों की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था
नई दिल्ली:
दो इतालवी नौसैनिकों की गिरफ्तारी के मामले में भारत और इटली के बीच विवाद का आलम यह है कि दोनों देश आज इस बात पर भी असहमत दिखे कि संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता अदालत ने आखिर क्या फैसला सुनाया है।
आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है इटली
एक ओर इतालवी विदेशमंत्री ने सोमवार कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एक मध्यस्थता अदालत ने फैसला दिया है कि भारत चार वर्षों से भी ज्यादा समय से दिल्ली में हिरासत में रखे गए इतालवी नौसैनिक को रिहा कर उसे घर वापस जाने की इजाजत दे। वहीं भारत सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इटली ने संयुक्त राष्ट्र अदलात के फैसले को गलत ढंग से पेश किया है, जिससे कि लग रहा है कि अदालत ने नौसैनिक की रिहाई का आदेश दिया है। सरकार से जुड़े सूत्र ने कहा, 'इटली न्यायाधिकरण के आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है। किसी भी मरीन को बरी नहीं किया गया और गिरोने की जमानत की शर्त भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की जाएगी।'
भारत ने इटली के सामने रखी यह शर्त
इतालवी विदेशमंत्री ने एक बयान में कहा कि शुरुआती फैसले में कोर्ट ने फैसला किया कि गिरोन ने घर जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। इसमें कहा गया कि गिरोन की जल्द से जल्द वापसी सुनिश्चित करने के लिए वह भारत से तत्काल संपर्क करेंगे। वहीं दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि अगर गिरोन को जमानत मिल जाती है, तो सरकार इसे लेकर इटली पर शर्त लगाएगी कि वह मामले की सुनवाई में जरूरत पड़ने पर गिरोन की भारत वापसी का वादा करे।
वर्ष 2012 में एक समुद्री तेल टैंकर 'एनरिका लेक्सी' पर सवार दो इतालवी नौसेनिकों को दो भारतीय मछुआरों को गोली मारने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उनका कहना था कि उन्होंने मछुआरों को गलती से समुद्री डाकु समझ लिया था। इन दो में एक मरीन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से इटली लौट चुका है, जबकि भारत सरकार ने दूसरे नौसैनिक सल्वातोर गिरोन के देश छोड़ने पर रोक लगा रखी है। वह अभी दिल्ली स्थित इतालवी दूतावास में रह रहा है।
इस मामले की वजह से भारत और इटली के बीच संबंधों में काफी खटास आ गई थी, हालांकि पिछले साल दोनों देशों ने मामले को हेग में स्थाई मध्यस्थता न्यायालय ले जाने और उसका फैसला मानने पर सहमति जताई थी।
आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है इटली
एक ओर इतालवी विदेशमंत्री ने सोमवार कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एक मध्यस्थता अदालत ने फैसला दिया है कि भारत चार वर्षों से भी ज्यादा समय से दिल्ली में हिरासत में रखे गए इतालवी नौसैनिक को रिहा कर उसे घर वापस जाने की इजाजत दे। वहीं भारत सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इटली ने संयुक्त राष्ट्र अदलात के फैसले को गलत ढंग से पेश किया है, जिससे कि लग रहा है कि अदालत ने नौसैनिक की रिहाई का आदेश दिया है। सरकार से जुड़े सूत्र ने कहा, 'इटली न्यायाधिकरण के आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है। किसी भी मरीन को बरी नहीं किया गया और गिरोने की जमानत की शर्त भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की जाएगी।'
भारत ने इटली के सामने रखी यह शर्त
इतालवी विदेशमंत्री ने एक बयान में कहा कि शुरुआती फैसले में कोर्ट ने फैसला किया कि गिरोन ने घर जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। इसमें कहा गया कि गिरोन की जल्द से जल्द वापसी सुनिश्चित करने के लिए वह भारत से तत्काल संपर्क करेंगे। वहीं दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि अगर गिरोन को जमानत मिल जाती है, तो सरकार इसे लेकर इटली पर शर्त लगाएगी कि वह मामले की सुनवाई में जरूरत पड़ने पर गिरोन की भारत वापसी का वादा करे।
वर्ष 2012 में एक समुद्री तेल टैंकर 'एनरिका लेक्सी' पर सवार दो इतालवी नौसेनिकों को दो भारतीय मछुआरों को गोली मारने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उनका कहना था कि उन्होंने मछुआरों को गलती से समुद्री डाकु समझ लिया था। इन दो में एक मरीन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से इटली लौट चुका है, जबकि भारत सरकार ने दूसरे नौसैनिक सल्वातोर गिरोन के देश छोड़ने पर रोक लगा रखी है। वह अभी दिल्ली स्थित इतालवी दूतावास में रह रहा है।
इस मामले की वजह से भारत और इटली के बीच संबंधों में काफी खटास आ गई थी, हालांकि पिछले साल दोनों देशों ने मामले को हेग में स्थाई मध्यस्थता न्यायालय ले जाने और उसका फैसला मानने पर सहमति जताई थी।
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