अमेरिकी नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई संगठनों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ गुरुवार को केस दर्ज कराया है. व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले और स्मोक बम छोड़े थे, जिसके बाद ट्रंप की खूब आलोचना हो रही है. बीते सोमवार को ट्रंप व्हाइट हाउस के पास एक चर्च के सामने बाइबिल के साथ फोटो खिंचाने जा रहे थे. इसी दौरान वहां Black Lives Matter प्रदर्शन में शामिल बहुत से प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए थे, जिन्हें वहां से पीछे धकेलने के लिए उनपर आंसू गैस के गोले छोड़े, रबर बुलेट्स चलाए और साउंड बम छोड़े. इसके बाद पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए हैं.
अमेरिकन सिविल लिबर्टीज़ यूनियन और दूसरे समूहों ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप और टॉप के अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों और ब्लैक लाइव्स मैटर के कैंपेनर्स के संविधानिक अधिकारों का हनन किया है. ACLU ने कहा, 'पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर एक सामूहिक तरीके से अचानक हमला किया और इस दौरान उनपर केमिकल का छिड़काव, रबर बुलेट्स और साउंड कैनन जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया.'
ACLU के लीगल डायरेक्टर स्कॉट मिशेलमेन ने कहा कि 'क्योंकि राष्ट्रपति को प्रदर्शनकारियों के विचारों से असहमति है, ऐसे में उनका ऐसा क्रिमिनल एक्शन लेना दिखाता है कि यह हमारे संविधान का कितना बड़ा हनन है.'
ट्रंप इस दौरान लफाएत पार्क के सामने स्थित St John's Episcopal चर्च के पास फोटो ऑप करा रहे थे. यह चर्च वॉशिंगटन में प्रदर्शनों का केंद्र रहा है. इस चर्च पर प्रदर्शनकारियों ने उसकी पिछली रात ग्राफिटी वगैरह बना दिया था, जिसके बाद ट्रंप ने यहा बाइबिल के साथ फोटो खिंचाई और कहा कि वो दंगे रुकवाने के लिए हजारों की संख्या में मिलिट्री के जवानों की तैनाती कर देंगे.
बीते 25 मई को मिनेसोटा के मिनियापोलिस शहर में अफ्रीकी-अमेरिकी शख्स जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस बर्बरता के चलते हुए मौत के बाद पूरे अमेरिका में नस्लभेद और ब्लैक समुदाय पर पुलिस की बर्बरता को लेकर प्रदर्शन चल रहे हैं. इस दौरान दंगे और लूटपाट की घटनाएं भी खूब हो रही हैं.
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