अमेरिका में नस्लभेद के खिलाफ प्रदर्शन हर रोज और तेज होता जा रहा है. यहां अमेरिका के नस्लभेदी इतिहास के निशान को मिटाने के नारे उठ रहे हैं. यहां ऐसे लोगों की मूर्तियों को, जिन्होंने उपनिवेशवाद या अश्वेतों की गुलामी को किसी भी तरह समर्थन दिया था, हटाने की मांगें उठ रही हैं. इसी बीच बुधवार को बॉस्टन शहर में प्रदर्शनकारियों ने 'अमेरिका की खोज करने वाले' क्रिस्टोफर कोलंबस की एक मूर्ति का सिर तोड़ दिया, क्योंकि कोलंबस को वहां औपनिवेशिकवाद की शुरुआत करने वाला माना जाता है. स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, बॉस्टन के अलावा डाउनटाउन मायामी में भी कोलंबस की एक मूर्ति के साथ तोड़फोड़ की गई थी. वहीं वर्जीनिया के रिचमंड में भी इसी हफ्ते कोलंबस की मूर्ति को एक तालाब में फेंक दिया गया था.
मंगलवार की आधी रात को बॉस्टन पुलिस को इस घटना का पता चला जिसके बाद पुलिस अलर्ट हुई. इस घटना की जांच हो रही है लेकिन फिलहाल अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
पिछले महीने मिनेसोटा के मिनियापोलिस शहर में अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की एक श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों हुई मौत के बाद से ही यहां नस्लभेद और पुलिस बर्बरता के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं. अमेरिका में लगभग हर 50 राज्य इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं. इन प्रदर्शनों के बीच ही यह दबाव लगातार बढ़ रहा है कि अमेरिका में ऐसे स्मारकों या मूर्तियों को हटा दिया जाए, तो अमेरिका के नस्लभेदी इतिहास से जुड़े हुए हैं. बॉस्टन में कोलंबस की यह मूर्ति सालों से विवाद का हिस्सा रही है और इसे कई बार हटाने की मांगें उठ चुकी हैं.
क्रिस्टोफर कोलंबस को हमेशा से 'नई दुनिया' (अमेरिका) की खोज करने वाला खोजी बताया गया है, लेकिन बहुत से लोग कोलंबस को यहां की मूल जातियों के खिलाफ हुए दशकों के अत्याचार को शुरू करने वाला मानते हैं. कोलंबस को उसी नजर देखा जाता है, जिस नजर से अमेरिका के दक्षिणी राज्यों (जहां नस्लभेद और अश्वेतों की गुलामी का दर्दनाक इतिहास रहा है) के सिविल वॉर के जनरलों को देखा जाता है. बता दें कि अमेरिका में पहले अक्टूबर में कोलंबस दिवस मनाया जाता था, जिसे अब कई शहरों में बदलकर यहां के मूल निवासियों को याद करने वाला दिन घोषित कर दिया गया है.
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