
- अमेरिकी राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच व्हाइट हाउस में मीटिंग में युद्ध खत्म करने पर चर्चा होगी.
- रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा किया था और यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का विरोध करता रहा है.
- ट्रंप ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की संभावना को खारिज करते हुए युद्ध समाप्ति की शर्तें पेश कर सकते हैं.
अब से कुछ देर बाद व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की मुलाकात होने वाली है. अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ मुलाकात करने के बाद अब ट्रंप, जेलेंस्की से मिलने वाले हैं. पुतिन ने युक्रेन में जंग को रोकने के लिए एक शर्त रखी थी और माना जा रहा है कि वही शर्तें ट्रंप, जेलेंस्की के सामने रख सकते हैं. खबरों के ट्रंप, जेलेंस्की से क्रीमिया को छोड़ने और नाटो को ज्वॉइन न करने का प्रस्ताव कर सकते हैं. ये दोनों वही शर्तें हैं जिस पर पुतिन ने युद्ध को खत्म करने की रजामंदी जाहिर की है.
2014 में क्रीमिया पर कब्जा
क्रीमिया वह हिस्सा है जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा किया था. वहीं पुतिन ने हमेशा से यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का विरोध किया है. नाटो में शामिल होने का एजेंडा जेलेंस्की ने तब से ठाना है जब से उन्होंने यूक्रेन की सत्ता संभाली है. सोमवार को ट्रंप ने जेलेंस्की से मुलाकात से पहले जोर देकर इस बात को कहा कि अगर उनके यूक्रेनी समकक्ष चाहें तो युद्ध खत्म हो सकता है. ट्रंप ने इस दौरान साल 2014 का जिक्र किया जब बराक ओबामा व्हाइट हाउस में थे और रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. ट्रंप ने यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की संभावना को भी खारिज कर दिया है जिसका रूस विरोध करता रहा है.
ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर लिखा, 'यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहें तो रूस के साथ युद्ध लगभग तुरंत खत्म कर सकते हैं, या फिर लड़ाई जारी रख सकते हैं. याद कीजिए कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी. ओबामा को क्रीमिया वापस नहीं मिला (12 साल पहले, बिना एक भी गोली चलाए!), और यूक्रेन का नाटो में शामिल होना भी नहीं. कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं!!!.'
एक भी गोली नहीं चली!
फरवरी 2014 में रूस की सेनाएं क्रीमिया में दाखिल हो गई थीं. उस दौरान एक भी गोली नहीं चली थी. लेकिन आज भी माना जाता है कि 10 साल पहले क्रीमिया में जो कुछ हुआ, उसने ही साल 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध की नींव रख दी थी. 20 फरवरी, 2014 को, क्रीमिया की क्षेत्रीय संसद के अध्यक्ष और रूसी राजनेता व्लादिमीर कोंस्तांतिनोव ने कहा कि वह प्रायद्वीप के रूस को 'वापस' करने की संभावना से इनकार नहीं करते है. उसी दिन, हजारों बंदूकधारी लोग बिना नंबर की वर्दी में यूक्रेन के क्रीमिया में दिखाई दिए. 4 मार्च 2014 को रूस ने क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया था.
नाटो से क्यों है पुतिन को ऐतराज
रूस के राष्ट्रपति कई सालों से नाटो के विस्तार को सुरक्षा के लिए खतरा मानते रहे हैं. वह यूक्रेन के इस गठबंधन में शामिल होने की किसी भी संभावना का हमेशा विरोध करते आए हैं. 2022 के हमले से पहले उन्होंने मांग की थी कि नाटो उन मीडिल और पूर्वी यूरोपीय देशों से सेनाओं की तैनाती हटा ले जो 1997 के बाद पश्चिमी गठबंधन में शामिल हुए थे. लेकिन पूर्वी यूरोप में सैन्य कार्रवाई रूस ने ही शुरू की थी, जब उसने 2008 में जॉर्जिया और फिर 2014 में क्रीमिया पर आक्रमण किया. युद्ध शुरू होने के दो हफ्ते सप्ताह बाद जेलेंस्की ने कहा, 'नाटो यूक्रेन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.'
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