वाशिंगटन:
भारत ने सरकार से सरकार के बीच होने वाले विदेशी सैन्य बिक्री करार के तहत छह अतिरिक्त लॉकहीड मार्टिन सी-130जे सुपर हरक्यूलस विमानों के लिए अमेरिका से आग्रह किया है। अमेरिका को हाल ही में इस आग्रह से अवगत कराया गया था और वाशिंगटन के रक्षा विभाग ने कांग्रेस से इसकी मंजूरी हासिल करने के लिए 27 अक्टूबर को उसे इस बारे में सूचित कर दिया है, क्योंकि दूसरे देशों को होने वाली किसी भी सैन्य बिक्री के लिए कांग्रेस की मंजूरी अनिवार्य है। इस प्रस्ताव के महीने भर के अंदर पारित होने की सम्भावना है, क्योंकि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों दलों ने भारत-अमेरिका सम्बंधों को मजबूत बनाने का समर्थन किया है। भारतीय वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल नार्मन अनिल कुमार ब्राउन ने रक्षा पत्रिका 'इंडिया स्ट्रेटजिक' के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वह अमेरिका के साथ जनवरी 2012 तक एक औपचारिक समझौते की उम्मीद करते हैं। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि 2008 में जिन छह सी-130जे विमानों के आर्डर दिए गए थे, उनमें से पांच की आपूर्ति समय पर या समय से पहले प्राप्त हो चुकी है। और छठे व अंतिम विमान की आपूर्ति 11 नवम्बर से पहले होने की सम्भावना है। पहला विमान फरवरी 2011 में पहुंचा था और उसके पहले ही पायलट प्रशिक्षण का काम पूरा हो गया था। रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह सौदा लगभग 1.2 अरब डॉलर का हो सकता है। फुटबाल के आकार वाले बिना रनवे वाले मैदानों या घास के मैदानों से उड़ान भरने और वहां उतरने में सक्षम इन विमानों में चार रॉयस एई 2100डी3 इंजन लगे हुए हैं। प्रथम छह विमानों को 1.1 अरब डॉलर में खरीदा गया था और इसमें प्रशिक्षण, मदद पैकेज, स्पेयर, कुछ विशेष उपकरण और भारत में 30 प्रतिशत शुरुआती निवेश शामिल था। इसके तहत लॉकहीड मार्टिन ने वायु सेना के हिंडन हवाईअड्डे पर एक उन्नत नमूना स्थापित किया है। सी 130जे विमानों को यहीं पर रखा गया है। विमानों के दूसरे दस्ते को ओडिशा के चारबतिया में रखा जाएगा। ये विमान यहां से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को अपनी सेवाएं मुहैया कराएंगे। बहरहाल, एजेंसी ने अधिसूचना में कहा है, "यह प्रस्तावित बिक्री एक महत्वपूर्ण साझेदार की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करते हुए और अमेरिका-भारत के रणनीतिक रिश्ते को मजबूत करते हुए अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान करेगी।" एजेंसी ने कहा है, "प्रस्तावित बिक्री भारत सरकार को एक विश्वसनीय सामरिक विमानन क्षमता उपलब्ध कराएगी, जो क्षेत्र में आक्रमण को रोकने में मददगार होगा और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत मुहैया कराएगा।" एजेंसी ने आगे कहा है कि इस प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन पर कोई असर नहीं होगा। एजेंसी ने कहा है, "इस प्रस्तावित बिक्री के परिणामस्वरूप अमेरिका की रक्षा तैयारियों पर कोई विपरीत असर नहीं होगा।" एजेंसी ने कहा है कि प्रस्तावित बिक्री से सम्बंधित कई अन्य नए समझौतों की भी सम्भावना है, लेकिन फिलहाल इस समय खास नए समझौते तय नहीं हो पाए हैं और खरीदार तथा ठेकेदार के बीच बातचीत के दौरान इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा। इस उपकरण में छह रॉल्स रॉयस एई 2100डी3 अतिरिक्त इंजन, आठ एएन/एएआर-47 प्रक्षेपास्त्र चेतावनी प्रणाली (दो स्पेयर), आठ एएन/एएलआर-56एम एडवांस्ड राडार वार्निग रिसीवर्स (दो स्पेयर), आठ एएन/एएलई-47 काउंटर-मेजर्स डिस्पेंसिंग सिस्टम (दो स्पेयर), आठ एएक्यू-22 स्टार एसएएफआईआरई-3 स्पेशल ऑपरेशन सूट (दो स्पेयर), आठ एआरसी-210 रेडियो और 3200 फ्लेयर कारतूस शामिल हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
भारत, अमेरिका, सी-130जे, विमान