वाशिंगटन:
भारत और अमेरिका छह प्रमुख लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ज्ञान के क्षेत्र में अपनी साझेदारी बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। इन छह लक्ष्यों में रणनीतिक संस्थागत साझेदारी और 21वीं सदी के लिए शैक्षिक संस्थानों के मॉडल्स की तलाश करना भी शामिल है। इन लक्ष्यों की घोषणा अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा संयुक्त रूप से जारी एक बयान में की गई है। यह संयुक्त बयान एक दिवसीय अमेरिका-भारत उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन के समापन के मौके पर जारी किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता सिब्बल और क्लिंटन ने संयुक्तरूप से की। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत ने दोनों देशों के बीच एक उच्च शिक्षा मंच स्थापित करने के अपने इरादे की घोषणा की। दोनों पक्षों ने शिक्षकों में सुधार तथा मानव संसाधन विकास के लिए कार्यक्रमों के आदान-प्रदान पर भी सहमति जताई। भारत सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अमेरिका के प्रमुख विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में शुरुआत में 1,500 शिक्षकों और कनिष्ठ विद्वानों को प्रायोजित करने के अपने इरादे का भी संकेत दिया। शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले 300 से अधिक प्रतिनिधियों में बनी सहमति का समर्थन करते हुए दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका के बीच उच्च शिक्षा में संवाद जारी रखने पर सहमति जताई। यह संवाद दोनों देशों की सरकारों, शिक्षकों, और व्यापारियों के बीच समय-समय पर होगा। संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने उच्च शिक्षा समुदाय के साथ सहयोग बढ़ाने और समर्थन देने, शिक्षकों का आदान-प्रदान करने, कौशल विकास, और सांस्थानिक साझेदारी के लिए दोनों देशों में निजी क्षेत्र को शामिल किए जाने का स्वागत किया है। प्रस्तावित रणनीतिक संस्थागत साझेदारी, उच्च शिक्षा के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को लक्षित हैं। इन क्षेत्रों में विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, सामाजिक विज्ञान, मानवीकी, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में सामाजिक चुनौतियों से निपटना शामिल है। अन्य प्रमुख लक्ष्यों में सहमति वाले क्षेत्रों में दोनों देशों के अकादमिक संस्थानों के बीच मौजूदा पहल के जरिए अनुसंधान एवं विकास में सहयोग बढ़ाना और दुनिया की आज की जरूरतों की पूर्ति के लिए व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास के क्षेत्रों में साझेदारी करना शामिल है। दोनों पक्ष विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के संवर्धन एवं आदान-प्रदान कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करने और सभी स्तरों पर शिक्षा में नेतृत्व विकास पर भी सहमत हुए। बयान में कहा गया है कि सिब्बल और क्लिंटन ने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी और कौशल तक पहुंच और उसका विकास, दोनों देशों के सामने खड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए बहुत जरूरी काम हैं। दोनों नेताओं ने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्रों में फलदायी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। अमेरिका-भारत उच्च शिक्षा संवाद वार्षिक द्विपक्षीय आयोजन है। यह आयोजन दोनों देशों के बीच शिक्षा के क्षेत्र में साझेदारी की रणनीति खंगालने के लिए बारी-बारी से दोनों देशों में होता है।
This Article is From Oct 14, 2011