हाफिज सईद (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
अमेरिका के आतंकवाद विरोधी शीर्ष जानकार ने मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को नजरबंदी से रिहा करने के अदालत के आदेश के बाद ट्रंप प्रशासन से पाकिस्तान का प्रमुख गैर नाटो सहयोगी का दर्जा 'रद्द' करने की मांग की है. प्रतिबंधित संगठन के प्रमुख पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है. वह इस वर्ष जनवरी से नजरबंद है. रिहा करने के अदालत के आदेश के कुछ घंटों बाद ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को कहा था कि सईद को अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र दोनों ने आतंकवादी घोषित कर रखा है. रक्षा विशेषज्ञ ब्रूस रीडल ने कहा, 'मुंबई में 26/11 के हमले के नौ वर्ष बीत गए, लेकिन अब तक इसका मास्टरमाइंड न्याय की पहुंच से बाहर है. पाकिस्तान का प्रमुख गैर नाटो सहयोगी का दर्जा 'रद्द' करने का वक्त आ गया है.
हाफिज सईद को रिहा करने के लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विदेश मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी एवं वर्तमान में विदेश संबंध परिषद में कार्यरत एलिसा आयरेस ने कहा कि अगर एक शब्द में कहा जाए तो रिहाई एक उल्लंघन है. उन्होंने कहा, 'हम फिर खबरें पढ़ेंगे कि हाफिज सईद अपनी अगुवाई में हजारों लोगों के साथ और रैलियां निकाल रहा है.' आयरेस ने कहा कि सईद और उसके गुट को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद से सीधे संबद्ध होने की वजह से प्रतिबंधित कर दिया है. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सईद और उसके गुट को दिए गए आतंकवादी दर्जे को बरकरार रखने के अपने दायित्व का पालन करता प्रतीत नहीं होता.
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उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मूल सुरक्षा दायित्व निभाने में नाकाम रहने के बाद आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का दावा नहीं कर सकता. वुडरो विल्सन सेंटर के माइकल कुगेलमेन ने कहा कि किसी को भी इस घोषणा से अचंभित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा 'यह खबर निसंदेह अमेरिकी अधिकारियों को परेशान कर देगी जो हमेशा ये संकेत देते रहे हैं कि मुंबई आतंकवादी हमले में दर्जनों हताहतों में बहुत से अमेरिकी भी शामिल थे.
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने इसके लिये पिछले कुछ हफ्तों में ट्रम्प प्रशासन की ओर से आ रहे मिश्रित संदेशों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान को यह संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर वे हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो इसे सकारात्मक कदम के तौर पर देखा जा सकता है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दक्षिण एशिया नीति में किये गये उनके वादे के अनुरूप पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई को 'रोका' जा सकता है.
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उन्होंने कहा, 'इस प्रक्रिया में उनके (अमेरिका के) कारण पाकिस्तान अनजाने में यह सोच सकता है कि अमेरिका सिर्फ हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई चाहता है ना कि भारत के खिलाफ कार्रवाई करने वाले लश्कर ए तैयबा जैसे समूहों के खिलाफ.' हक्कानी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 'मुझे डर है कि इन मिश्रित संकेतों के कारण ऐसे हालात पैदा होंगे जिनमें पाकिस्तान अफगान-उन्मुख एवं भारत उन्मुख आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में विफल हो सकता है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के नेता हाफिज सईद की नजरबंदी से रिहाई के बारे में पाकिस्तान के आदेश से संबद्ध मीडिया रिपोर्ट से अमेरिका अवगत है.
VIDEO: मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद जल्द रिहा होगा
हाफिज सईद को रिहा करने के लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विदेश मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी एवं वर्तमान में विदेश संबंध परिषद में कार्यरत एलिसा आयरेस ने कहा कि अगर एक शब्द में कहा जाए तो रिहाई एक उल्लंघन है. उन्होंने कहा, 'हम फिर खबरें पढ़ेंगे कि हाफिज सईद अपनी अगुवाई में हजारों लोगों के साथ और रैलियां निकाल रहा है.' आयरेस ने कहा कि सईद और उसके गुट को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद से सीधे संबद्ध होने की वजह से प्रतिबंधित कर दिया है. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सईद और उसके गुट को दिए गए आतंकवादी दर्जे को बरकरार रखने के अपने दायित्व का पालन करता प्रतीत नहीं होता.
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उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मूल सुरक्षा दायित्व निभाने में नाकाम रहने के बाद आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का दावा नहीं कर सकता. वुडरो विल्सन सेंटर के माइकल कुगेलमेन ने कहा कि किसी को भी इस घोषणा से अचंभित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा 'यह खबर निसंदेह अमेरिकी अधिकारियों को परेशान कर देगी जो हमेशा ये संकेत देते रहे हैं कि मुंबई आतंकवादी हमले में दर्जनों हताहतों में बहुत से अमेरिकी भी शामिल थे.
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने इसके लिये पिछले कुछ हफ्तों में ट्रम्प प्रशासन की ओर से आ रहे मिश्रित संदेशों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान को यह संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर वे हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो इसे सकारात्मक कदम के तौर पर देखा जा सकता है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दक्षिण एशिया नीति में किये गये उनके वादे के अनुरूप पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई को 'रोका' जा सकता है.
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उन्होंने कहा, 'इस प्रक्रिया में उनके (अमेरिका के) कारण पाकिस्तान अनजाने में यह सोच सकता है कि अमेरिका सिर्फ हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई चाहता है ना कि भारत के खिलाफ कार्रवाई करने वाले लश्कर ए तैयबा जैसे समूहों के खिलाफ.' हक्कानी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 'मुझे डर है कि इन मिश्रित संकेतों के कारण ऐसे हालात पैदा होंगे जिनमें पाकिस्तान अफगान-उन्मुख एवं भारत उन्मुख आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में विफल हो सकता है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के नेता हाफिज सईद की नजरबंदी से रिहाई के बारे में पाकिस्तान के आदेश से संबद्ध मीडिया रिपोर्ट से अमेरिका अवगत है.
VIDEO: मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद जल्द रिहा होगा
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