अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की फाइल फोटो
ले बोर्जे (फ्रांस):
पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि ग्रीन हाउस गैसों का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक होने के नाते अमेरिका ग्लोबल वार्मिंग की समस्या खड़ी करने में अपनी भूमिका को स्वीकार करता है और इसके दुरुस्त करने की अपनी जिम्मेदारी भी मानता है।
ओबामा ने कहा, 'दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था और (ग्रीन हाउस गैसों का) दूसरा बड़ा उत्सर्जक होने के नाते... संयुक्त राष्ट्र अमेरिका इस समस्या खड़ी करने में ना सिर्फ अपनी भूमिका को स्वीकार करता है, बल्कि इसके बारे में कुछ करने की अपनी जिम्मेदारी को भी मानता है।
जलवायु परिवर्तन पर एक करार होने के प्रयास लंबे समय से इस विवाद से बाधित रहे हैं कि विकासशील देशों को विकसित देशों की तरह ही बोझ साझा करना चाहिए या नहीं। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान खासी अहमियत रखता है।
जलवायु सम्मेलन आतंकवाद को करार जवाब
इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने पेरिस से बाहर शुरू हुई इस वैश्विक वार्ता को आतंकवाद के खिलाफ जवाब करार दिया, जो साबित करता है कि दुनिया यूरोप और उससे परे हुए इस्लामिक स्टेट से जुड़े हमलों से अप्रभावित है। ओबामा ने अपने भाषण का इस्तेमाल 150 से अधिक वैश्विक नेताओं की ओर से पेरिस और उसकी जनता को शुक्रिया अदा करने में किया, क्योंकि फ्रांस की राजधानी में आतंकवादी हमलों के महज दो हफ्ते बाद इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए फ्रांस तैयार रहा। उन्होंने कहा कि नेताओं ने आतंकवाद से लड़ने के लिए अपना संकल्प दिखाया और उसी समय अपने मूल्यों को भी बरकरार रखा।
ओबामा ने चीनी राष्ट्रपति से भी मुलाकात
इस बीच ओबामा ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी मुलाकात की। ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक चीन ने उत्सर्जन को कम करने के लिए आक्रामक कार्रवाई शुरू की है। शी के साथ अपनी मुलाकात में ओबामा ने जलवायु परिवर्तन पर करीबी सहयोग को ग्लोबल वार्मिंग पर वैश्विक प्रयासों जितना महत्वपूर्ण बताया और कहा कि जलवायु परिवर्तन के अलावा और कहीं चीन के साथ तालमेल इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा है। ओबामा ने पेरिस वार्ता से पहले 180 देशों को उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करने के लिहाज से उन्होंने अमेरिका और चीनी नेतृत्व को श्रेय दिया।
गौरतलब है कि चीन दुनिया की तकरीबन 30 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करता है और अमेरिका करीब 16 प्रतिशत उत्सर्जन करता है। (भाषा इनपुट के साथ)
ओबामा ने कहा, 'दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था और (ग्रीन हाउस गैसों का) दूसरा बड़ा उत्सर्जक होने के नाते... संयुक्त राष्ट्र अमेरिका इस समस्या खड़ी करने में ना सिर्फ अपनी भूमिका को स्वीकार करता है, बल्कि इसके बारे में कुछ करने की अपनी जिम्मेदारी को भी मानता है।
जलवायु परिवर्तन पर एक करार होने के प्रयास लंबे समय से इस विवाद से बाधित रहे हैं कि विकासशील देशों को विकसित देशों की तरह ही बोझ साझा करना चाहिए या नहीं। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान खासी अहमियत रखता है।
जलवायु सम्मेलन आतंकवाद को करार जवाब
इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने पेरिस से बाहर शुरू हुई इस वैश्विक वार्ता को आतंकवाद के खिलाफ जवाब करार दिया, जो साबित करता है कि दुनिया यूरोप और उससे परे हुए इस्लामिक स्टेट से जुड़े हमलों से अप्रभावित है। ओबामा ने अपने भाषण का इस्तेमाल 150 से अधिक वैश्विक नेताओं की ओर से पेरिस और उसकी जनता को शुक्रिया अदा करने में किया, क्योंकि फ्रांस की राजधानी में आतंकवादी हमलों के महज दो हफ्ते बाद इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए फ्रांस तैयार रहा। उन्होंने कहा कि नेताओं ने आतंकवाद से लड़ने के लिए अपना संकल्प दिखाया और उसी समय अपने मूल्यों को भी बरकरार रखा।
ओबामा ने चीनी राष्ट्रपति से भी मुलाकात
इस बीच ओबामा ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी मुलाकात की। ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक चीन ने उत्सर्जन को कम करने के लिए आक्रामक कार्रवाई शुरू की है। शी के साथ अपनी मुलाकात में ओबामा ने जलवायु परिवर्तन पर करीबी सहयोग को ग्लोबल वार्मिंग पर वैश्विक प्रयासों जितना महत्वपूर्ण बताया और कहा कि जलवायु परिवर्तन के अलावा और कहीं चीन के साथ तालमेल इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा है। ओबामा ने पेरिस वार्ता से पहले 180 देशों को उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करने के लिहाज से उन्होंने अमेरिका और चीनी नेतृत्व को श्रेय दिया।
गौरतलब है कि चीन दुनिया की तकरीबन 30 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करता है और अमेरिका करीब 16 प्रतिशत उत्सर्जन करता है। (भाषा इनपुट के साथ)
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