
- सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है.
- याचिका चेतन चंद्रकांत अहिरे द्वारा दायर की गई थी, जिसमें 288 विधानसभा क्षेत्रों के नतीजे रद्द करने की मांग थी.
- याचिका में दावा था कि मतदान के दिन शाम छह बजे के बाद डाले गए वोटों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने मतदान का वक्त समाप्त होने के बाद कथित तौर पर डाले गए "76 लाख फर्जी वोटों" के कारण महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को रद्द घोषित करने की याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पिछले साल नवंबर में हुए थे. यह याचिका विक्रोली निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता चेतन चंद्रकांत अहिरे ने दायर की थी. बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 26 जून को उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद अहिरे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सोमवार को इस याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता की दलील थी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शाम 6 बजे के बाद 76 लाख फर्जी वोट डाले गए थे. इसलिए विधानसभा चुनावों को रद्द किया जाए.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ये कहा था
बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और इस मामले को "कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग" बताया था. जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने कहा था कि मुंबई निवासी चेतन चंद्रकांत अहिरे द्वारा दायर याचिका में कानूनी योग्यता, सार और अधिकार का अभाव है.
साथ ही पीठ ने कहा कि हमें इस बात में जरा भी संदेह नहीं है कि इस रिट याचिका को सरसरी तौर पर खारिज किया जाना चाहिए. इसलिए, इसे खारिज किया जाता है. इस याचिका की सुनवाई में हमारी तत्काल वाद सूची को छोड़कर लगभग पूरा दिन लग गया है और इस कारण से याचिका निश्चित रूप से जुर्माने के साथ खारिज करने योग्य है. हालांकि, हम ऐसा करने से बच रहे हैं.
अहिरे ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
मुंबई-विक्रोली निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता अहिरे ने सभी 288 विधानसभा क्षेत्रों के परिणामों को रद्द करने, विजयी उम्मीदवारों को जारी किए गए चुनाव प्रमाण पत्र वापस लेने और मतपत्रों का प्रयोग पुनः शुरू करने सहित व्यापक राहत की मांग की थी. उन्होंने दावा किया था कि मतदान के दिन, 20 नवंबर, 2024 को शाम 6 बजे के बाद लगभग 76 लाख वोट अवैध रूप से डाले गए और एक आरटीआई के जवाब का हवाला देते हुए तर्क दिया कि समय सीमा के बाद डाले गए इन वोटों का कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है.
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