प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
वैज्ञानिकों को एक चंद्र उल्कापिंड में एक ऐसा खनिज मिला है जो चंद्रमा के सतह के नीचे बर्फ के रूप में बड़ी मात्रा में पानी के मौजूद होने का संकेत देता है जो कि भविष्य के मानव अन्वेषण के लिए काफी सहायक हो सकता है. जापान के तोहोकू विश्वविद्यालय के एक दल को उत्तर पश्चिम अफ्रीका में एक रेगिस्तान में मिले एक चंद्र उल्कापिंड में मोगेनाइट नाम का एक खनिज मिला है. मोगेनाइट सिलिकॉन डायआक्साइड का क्रिस्टल होता है जो कि पृथ्वी पर विशिष्ट अवसादी परिस्थितियों में क्षारीय तरल पदार्थ से बनता है. यह खनिज इससे पहले चंद्रमा के पत्थरों में नहीं मिला है.
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अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि यह खनिज चंद्रमा के सतह पर प्रोसेलेरम टेरेन नामक क्षेत्र में बना है क्योंकि चंद्रमा की धूल में मूल रूप से मौजूद पानी कड़ी धूप से वाष्प बनकर उड़ गया. इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले तोहोकू विश्वविद्यालय के मासाहिरो कायामा ने कहा कि पहली बार हम यह साबित कर सकते हैं कि चंद्र के द्रव्य में बर्फ के रूप में पानी है. (इनपुट भाषा से)
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अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि यह खनिज चंद्रमा के सतह पर प्रोसेलेरम टेरेन नामक क्षेत्र में बना है क्योंकि चंद्रमा की धूल में मूल रूप से मौजूद पानी कड़ी धूप से वाष्प बनकर उड़ गया. इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले तोहोकू विश्वविद्यालय के मासाहिरो कायामा ने कहा कि पहली बार हम यह साबित कर सकते हैं कि चंद्र के द्रव्य में बर्फ के रूप में पानी है. (इनपुट भाषा से)