शोध में पता चला है कि मौसम की चरम स्थितियों के लिए मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार हैं.
न्यूयार्क:
मौसम की चरम परिस्थितियां जैसे कि झुलसाने वाली गर्मी, बाढ़, सूखा और मूसलाधार बारिश मनुष्य की गतिविधियों के कारण हो रही ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा है. अमेरिका में पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एक शोध में इसका पता चला है. शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के 50 जलवायु मॉडलों का अध्ययन कर यह पता लगाया है. उन्होंने ऐतिहासिक वायुमंडलीय परिस्थितियों का अवलोकन किया जिसके तहत अभूतपूर्व मौसम देखने को मिला.
वैज्ञानिकों ने मौसम की चरम परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन से जेट स्ट्रीम पर होने वाले असर के बीच संबंध का पता लगाया. पृथ्वी समेत कुछ ग्रहों के वायुमंडल में तेजी से और घुमावदार तरीके से चलने वाली हवा को जेट स्ट्रीम कहा जाता है. अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि 2003 में यूरोप में चलने वाली लू, 2010 में पाकिस्तान में बाढ़ और रूस एवं 2011 में टेक्सास और ओक्लाहोमा में चलने वाली लू और सूखा तथा 2015 में कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग जैसी मौसम की असामान्य घटनाओं ने इसमें उनकी रुचि पैदा की.
यूनिवर्सिटी के माइकल मान ने कहा, ‘‘कुछ परिस्थितियों में वायुमंडलीय प्रवाह ने प्रभावी तौर पर हवा की धाराओं को बाधित किया. वायुमंडलीय प्रवाह उसी तरह है जिस तरह सामुदायिक एंटीना और उपभोक्ता के घरों के बीच तांबे की तार से टेलीविजन सिग्नल आते हैं.’’ शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक ऊंचाई पर उत्तर से दक्षिण की ओर चलने वाली जेट स्ट्रीम हवाएं आसामान्य मौसमी परिस्थतियों के लिए जिम्मेदार होती हैं. तापमान का बढ़ना या घटना जेट स्ट्रीम पर असर डालता है जिससे सूखा, बाढ़ या लू जैसा मौसम बनता है.
जर्मनी में पॉट्सडैम के इस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के स्टीफन रैमस्टॉर्फ ने कहा, ‘‘अगर किसी क्षेत्र में कई सप्ताहों तक एक ही मौसम रहता है तो गर्मी, प्रचंड लू और सूखे में बदल सकती है तथा लगातार होने वाली बारिश से बाढ़ आ सकती है.’’ मान ने कहा, ‘‘अब हम मनुष्य की गतिविधियों से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की असामान्य घटनाओं के बीच संबंध का लगाने में सक्षम है.’’ यह शोध जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वैज्ञानिकों ने मौसम की चरम परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन से जेट स्ट्रीम पर होने वाले असर के बीच संबंध का पता लगाया. पृथ्वी समेत कुछ ग्रहों के वायुमंडल में तेजी से और घुमावदार तरीके से चलने वाली हवा को जेट स्ट्रीम कहा जाता है. अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि 2003 में यूरोप में चलने वाली लू, 2010 में पाकिस्तान में बाढ़ और रूस एवं 2011 में टेक्सास और ओक्लाहोमा में चलने वाली लू और सूखा तथा 2015 में कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग जैसी मौसम की असामान्य घटनाओं ने इसमें उनकी रुचि पैदा की.
यूनिवर्सिटी के माइकल मान ने कहा, ‘‘कुछ परिस्थितियों में वायुमंडलीय प्रवाह ने प्रभावी तौर पर हवा की धाराओं को बाधित किया. वायुमंडलीय प्रवाह उसी तरह है जिस तरह सामुदायिक एंटीना और उपभोक्ता के घरों के बीच तांबे की तार से टेलीविजन सिग्नल आते हैं.’’ शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक ऊंचाई पर उत्तर से दक्षिण की ओर चलने वाली जेट स्ट्रीम हवाएं आसामान्य मौसमी परिस्थतियों के लिए जिम्मेदार होती हैं. तापमान का बढ़ना या घटना जेट स्ट्रीम पर असर डालता है जिससे सूखा, बाढ़ या लू जैसा मौसम बनता है.
जर्मनी में पॉट्सडैम के इस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के स्टीफन रैमस्टॉर्फ ने कहा, ‘‘अगर किसी क्षेत्र में कई सप्ताहों तक एक ही मौसम रहता है तो गर्मी, प्रचंड लू और सूखे में बदल सकती है तथा लगातार होने वाली बारिश से बाढ़ आ सकती है.’’ मान ने कहा, ‘‘अब हम मनुष्य की गतिविधियों से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की असामान्य घटनाओं के बीच संबंध का लगाने में सक्षम है.’’ यह शोध जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है.
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